पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद एक विशाल क़िले में बदल गई है। सुरक्षा बलों ने शहर के प्रमुख मार्गों को शिपिंग कंटेनरों और बैरिकेड्स से रोक दिया, जबकि मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को अनिश्चितकाल के लिए निलंबित कर दिया गया। यह सब तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान यानी टीएलपी के 'लब्बैक अल-अक्सा मिलियन मार्च' के मद्देनजर किया गया है, जो ग़ज़ा में इसराइली कार्रवाइयों के खिलाफ अमेरिकी दूतावास तक पहुंचने का प्रयास कर रही है। लाहौर में हुई हिंसक झड़पों में कम से कम दो प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई, जबकि दर्जनों घायल बताए जा रहे हैं। पुलिस ने एक मौत की पुष्टि की है, लेकिन टीएलपी ने दो मौतों का दावा किया है।

लाहौर से इस्लामाबाद तक फैली आग

टीएलपी ने पहले घोषणा की थी कि वह शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद इस्लामाबाद के डिप्लोमैटिक एन्क्लेव स्थित अमेरिकी दूतावास के बाहर विशाल विरोध प्रदर्शन करेगी। यह मार्च ग़ज़ा में फिलिस्तीनियों पर हो रही कथित हत्याओं के खिलाफ एकजुटता दिखाने के लिए है। पार्टी ने इसे 'फाइनल कॉल' करार दिया है, जिसमें लाखों समर्थक फैजाबाद इंटरचेंज से इकट्ठा होकर दूतावास तक पहुंचने का इरादा जाहिर किया।
लेकिन इससे पहले ही गुरुवार को लाहौर में तनाव चरम पर पहुंच गया। पंजाब पुलिस ने टीएलपी के मुख्यालय (मुल्तान रोड) को घेर लिया और नेता साद हुसैन रिजवी को गिरफ्तार करने की कोशिश की। पुलिस का दावा है कि यह कार्रवाई संभावित हिंसा को रोकने के लिए थी। लेकिन प्रदर्शनकारियों ने इसका कड़ा विरोध किया। झड़पों में पथराव, आगजनी और वाहनों को तोड़फोड़ का दौर चला। 

डॉन न्यूज के अनुसार, पुलिस ने एक मौत की पुष्टि की, जबकि टीएलपी ने दावा किया कि दो कार्यकर्ता मारे गए और दर्जनों घायल हुए। पंजाब पुलिस के प्रवक्ता ने बताया कि 12 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए हैं, जिनमें से कुछ की हालत गंभीर है। लाहौर के विभिन्न अस्पतालों में घायलों को भर्ती कराया गया है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदर्शनकारियों ने मुल्तान रोड पर दुकानों को आग लगाई और वाहनों को क्षतिग्रस्त किया, जिससे शहर का एक हिस्सा युद्धक्षेत्र में बदल गया।
एक्स पर सामने आए वीडियो में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच सीधी झड़पें दिखाई दे रही हैं, जहां लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल हुआ। 

सुरक्षा व्यवस्था कड़ी

इस्लामाबाद प्रशासन ने गुरुवार रात से ही सख्ती बरतनी शुरू कर दी। फैजाबाद इंटरचेंज, जीरो पॉइंट और रेड जोन के आसपास शिपिंग कंटेनरों से सड़कें अवरुद्ध कर दी गईं। संसद, विदेशी दूतावास और सरकारी भवनों वाले रेड जोन को पूरी तरह सील कर दिया गया। आसपास के होटलों को खाली करा लिया गया और सुरक्षा बलों की तैनाती दोगुनी कर दी गई है।
आंतरिक मंत्रालय ने पाकिस्तान टेलीकम्युनिकेशन अथॉरिटी को निर्देश दिया कि रात 12 बजे से इस्लामाबाद और रावलपिंडी में मोबाइल डेटा और इंटरनेट सेवाएं निलंबित रहें। इसे 'सुरक्षा चिंताओं' का हवाला देते हुए मंजूरी दी गई। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, यह कदम 2021 में टीएलपी के प्रदर्शनों के दौरान अपनाई गई रणनीति का दोहराव है, जब इंटरनेट ब्लैकआउट ने पूरे शहर को ठप कर दिया था।

नागरिकों को भारी परेशानी हो रही है। सड़कें जाम हैं, और बिना इंटरनेट के संपर्क टूट गया है। ट्रिब्यून इंडिया के अनुसार, रावलपिंडी और इस्लामाबाद के निवासियों को यात्रा और संचार में कठिनाई हो रही है।

अमेरिकी दूतावास की चेतावनी

अमेरिकी दूतावास ने अपने नागरिकों के लिए सुरक्षा सलाह जारी की। इसमें कहा गया, 'पाकिस्तान भर में 10 अक्टूबर को विरोध प्रदर्शनों की निगरानी की जा रही है। सड़कें बंद या अवरुद्ध हो सकती हैं। अमेरिकी नागरिकों को बड़े समूहों से दूर रहने और आसपास सतर्क रहने की सलाह दी जाती है।' दूतावास ने लाहौर, कराची और पेशावर में भी इसी तरह की चेतावनी जारी की।
मनी कंट्रोल की रिपोर्ट में उल्लेख है कि यह मार्च 'लब्बैक या अक्सा' के नाम से जाना जा रहा है, जो टीएलपी की कट्टरपंथी विचारधारा को दिखाता है। इंडिया टुडे के अनुसार, यह प्रदर्शन ग़ज़ा में 'हत्याओं' के खिलाफ है, लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह पाकिस्तान की आंतरिक स्थिरता को खतरे में डाल रहा है।

टीएलपी का इतिहास

तहरीक-ए-ल्ब्बैक पाकिस्तान एक कट्टर इस्लामी संगठन है, जो 2017 में पाकिस्तान में ईशनिंदा कानूनों पर प्रदर्शनों के लिए जाना जाता है। 2021 में इसने फ्रांस के राजदूत को निष्कासित करने की मांग की थी, जिसके दौरान हिंसा में सैकड़ों गिरफ्तारियां हुईं। पार्टी ने पहले भी इस्लामाबाद को महीनों तक ठप कर दिया था। अब यह ग़ज़ा मुद्दे पर अमेरिका को निशाना बना रही है।