भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की हंसी-मजाक और दोस्ताना अंदाज वाली तस्वीर ने अमेरिकी मीडिया को सकते में डाल दिया है। यह तस्वीर तियानजिन में आयोजित एससीओ शिखर सम्मेलन की है। अमेरिकी न्यूज़ चैनल सीएनएन पर एक राजनीतिक विश्लेषक ने इसे 'हर अमेरिकी के लिए सिहरन पैदा करने वाला' क्षण करार दिया है। आखिर क्या है इस तस्वीर का राज और क्यों इसे वैश्विक शक्ति संतुलन में बदलाव का संकेत माना जा रहा है? 

एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान ली गई इस तस्वीर में तीनों नेता एक-दूसरे के साथ हंसी-मजाक और दोस्ताना व्यवहार में नजर आए। एक तस्वीर में प्रधानमंत्री मोदी को पुतिन का हाथ पकड़कर हँसते हुए देखा गया, जबकि दूसरी तस्वीर में वे शी जिनपिंग के साथ उत्साहपूर्ण अभिवादन करते दिखे। एक अन्य तस्वीर में ये तीनों नेता कंधे से कंधा मिलाकर चलते नजर आए, जो एकता और सहयोग को दिखाता है। यह तस्वीर ऐसे समय में सामने आई है जब अमेरिका ने रूस, चीन और भारत के साथ अपने संबंधों में कई तरह के तनाव पैदा किए हैं। इसमें व्यापारिक प्रतिबंध और टैरिफ जैसे कदम शामिल हैं।
ताज़ा ख़बरें

अमेरिकी मीडिया ने इसे कैसे देखा

अमेरिकी मीडिया ने इस तस्वीर को एक चेतावनी के रूप में देखा है। अमेरिकी समाचार चैनल सीएनएन के विश्लेषक मिस्टर जोन्स ने इसे नई विश्व व्यवस्था की शुरुआत के रूप में पेश किया, जिसमें भारत, रूस और चीन जैसे देश एकजुट होकर अमेरिकी प्रभुत्व को चुनौती दे सकते हैं। जोन्स ने इस तस्वीर को ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण करार देते हुए कहा, 'शी जिनपिंग, पुतिन, मोदी और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन की यह तस्वीर हर अमेरिकी की रीढ़ में सिहरन पैदा कर देनी चाहिए।'

फॉक्स न्यूज ने इस तस्वीर को 'अमेरिकी विदेश नीति की विफलता' का प्रतीक बताया और कहा कि अमेरिका की कठोर नीतियों ने इन देशों को एक साथ ला दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह तस्वीर अमेरिका के लिए एक संदेश है कि वह अपनी वैश्विक रणनीति पर पुनर्विचार करे, खासकर तब जब वह रूस पर यूक्रेन संकट के कारण प्रतिबंध, चीन पर तकनीकी और व्यापारिक प्रतिबंध, और भारत के साथ कुछ व्यापारिक मुद्दों पर तनाव का सामना कर रहा है। 

न्यूयॉर्क टाइम्स ने कहा, 'श्री मोदी ने यह दिखाना चाहा कि अगर ट्रंप प्रशासन टैरिफ़ के ज़रिए नई दिल्ली को अलग-थलग करना जारी रखता है तो भारत के अन्य महत्वपूर्ण मित्र भी हैं - जिनमें चीन भी शामिल है, भले ही सीमा विवाद अभी सुलझा न हो।'
दुनिया से और खबरें

भारत-चीन संबंध

तस्वीर में मोदी और शी जिनपिंग के बीच दिखाई गई दोस्ती के बावजूद विशेषज्ञ इसे सतही मानते हैं। भारत और चीन के बीच 2020 के गलवान संघर्ष के बाद से सीमा विवाद अनसुलझा है और दोनों देशों के बीच विश्वास की कमी बनी हुई है। भारत के पूर्व राजदूत गौतम बंबावाले ने एक साक्षात्कार में कहा, 'भारत और चीन अभी भी एक-दूसरे को संदेह की नज़र से देखते हैं। इस तस्वीर को ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए, क्योंकि दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य होने में अभी लंबा समय लगेगा।' इसके अलावा, चीन और पाकिस्तान के बीच बढ़ती नजदीकी भी भारत के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। 

तो क्या यह तस्वीर भारत की कूटनीतिक चतुराई का नमूना है, जो पश्चिमी देशों के साथ संबंधों को मजबूत करते हुए रूस और चीन जैसे देशों के साथ भी संतुलन बनाए रखने में सक्षम है?

भारत की वैश्विक स्थिति

यह तस्वीर भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका को दिखाती है। भारत ने हाल के वर्षों में अपनी कूटनीतिक रणनीति को और सुधारा है, जिसमें वह वैश्विक मंच पर एक स्वतंत्र और प्रभावशाली शक्ति के रूप में उभर रहा है। एससीओ जैसे मंचों पर भारत की सक्रिय भागीदारी से दिखता है कि वह वैश्विक शक्ति संतुलन में एक अहम भूमिका निभा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की यह नीति उसे वैश्विक मंच पर और अधिक लचीलापन प्रदान करती है।

अमेरिका के सामने चुनौतियाँ

इस तस्वीर ने अमेरिका में चिंता की लहर पैदा कर दी है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका ने कई देशों पर कड़े व्यापारिक और आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं, जिसके कारण ये देश वैकल्पिक गठजोड़ की तलाश में हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह तस्वीर अमेरिका को यह सोचने पर मजबूर कर सकती है कि उसकी 'अमेरिका फर्स्ट' नीति अब कितनी प्रभावी है। कुछ विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि यदि अमेरिका अपनी नीतियों में बदलाव नहीं करता, तो वह वैश्विक मंच पर अलग-थलग पड़ सकता है।
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

एशियाई ताक़तों का वक़्त?

इस तस्वीर ने न केवल अमेरिका बल्कि अन्य पश्चिमी देशों में भी चर्चा को छेड़ा है। यूरोपीय विश्लेषकों ने इसे 'एशियाई शक्तियों के उभरने' का प्रतीक बताया है, जबकि कुछ ने इसे 'पश्चिमी प्रभुत्व के अंत' की शुरुआत के रूप में देखा है। हालांकि, कुछ भारतीय विशेषज्ञों ने इस तस्वीर को ज्यादा तवज्जो न देने की सलाह दी है। विदेश नीति विश्लेषक श्याम सरन ने कहा, 'यह तस्वीर एक कूटनीतिक आयोजन का हिस्सा है। इसे वैश्विक गठजोड़ के रूप में देखना जल्दबाजी होगी।'

मोदी, पुतिन और शी की यह तस्वीर केवल एक फोटोग्राफ नहीं है, बल्कि यह वैश्विक राजनीति में बदलते समीकरणों को दिखाती है। यह तस्वीर अमेरिका के लिए एक चेतावनी हो सकती है कि वह अपनी विदेश नीति और वैश्विक रणनीति पर पुनर्विचार करे।