जितिन के पार्टी छोड़ते ही सोशल मीडिया पर सबसे ज़्यादा जो सवाल पूछा गया वह यह कि राजस्थान कांग्रेस के असंतुष्ट नेता सचिन पायलट भी क्या कुछ ऐसा ही क़दम उठाएंगे?
रामदेव ने एलोपैथिक पद्धति को दिवालिया साइंस बताया तो विरोधी विचार रखने वालों को देशद्रोही बताने वाली ट्रोल आर्मी ने इसे फिर से धर्म से जोड़ दिया और सोशल मीडिया पर इसे सनातन या हिंदुत्व बनाम ईसाईयत से जोड़कर नया रंग दे दिया।
सरकार को दोषी ठहराने के बजाय सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महिमामंडन किया जा रहा है, इसके लिए ऐसे-ऐसे तर्क दिए जा रहे हैं कि ग़रीब, अशिक्षित और कई बार शिक्षित जनता भी मान बैठती है कि हां, ये बात सही ही है।
पिछले साल जब कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने शुरू हुए थे तो मीडिया के एक वर्ग द्वारा इसके लिए दिल्ली के निज़ामुद्दीन स्थित मरकज़ में तब्लीग़ी जमात के कार्यक्रम को जिम्मेदार ठहराया गया था।
पायलट ने दौसा, भरतपुर और चाकसू में बड़ी किसान महापंचायतें की हैं और इनमें अशोक गहलोत और प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा की मदद के बिना ही भीड़ जुटाकर आलाकमान तक अपने ‘जिंदा’ होने का पैगाम पहुंचाया है।
यह बात तय है कि 2022 में प्रियंका ही उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा होंगी। प्रियंका को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने से सुस्त और निस्तेज पड़ी कांग्रेस में जान आ सकती है।
अपने पिता महेंद्र सिंह टिकैत से विरासत में मिली किसानों की राजनीति को आगे बढ़ा रहे राकेश टिकैत ख़ुद चुनाव लड़कर बुरी तरह हार चुके हैं। लेकिन इस आंदोलन से वह एक मजबूत किसान नेता के रूप में उभरे हैं।