दक्षिण भारत के राज्यों में बहुभाषा की वकालत क्यों की जा रही है? हिंदी भाषी राज्यों को लेकर ऐसा क्यों नहीं है? वह भी तब जब हिंदी भाषी राज्यों में 90% से ज़्यादा लोग एकभाषी हैं। कई राज्यों में तो यह 95 फ़ीसदी तक है। जबकि दक्षिण भारत के राज्यों में एक भाषी लोगों का अनुपात हिंदी राज्यों की तुलना में कम है। इसका मतलब है कि दक्षिण के राज्यों में दो या दो से ज़्यादा भाषा बोलने वाले लोगों का अनुपात हिंदी भाषी राज्यों से ज़्यादा है। तो सवाल है कि बहुभाषा को लागू करने की ज़रूरत दक्षिण भारत में है या हिंदी भाषी राज्यों में?