‘बिजली है शक्ति इसे व्यर्थ न गंवाओ, जितनी ज़रूरत हो उतना जलाओ!’ यह नारा हम बचपन से सुनते आ रहे हैं। लेकिन इस वक्त अचानक सबको यह फिर याद आ गया है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट किया है और लोगों से अपील की है कि ‘इस संकट में एकजुट होकर परिस्थितियों को बेहतर करने में सरकार का साथ दें। अपने निवास या कार्यक्षेत्र के ग़ैर-ज़रूरी बिजली उपकरणों को बन्द रखें। अपनी प्राथमिकताएँ तय कर बिजली का उपयोग ज़रूरत के मुताबिक़ करें।’

बिजली की किल्लत की वजह क्या है? जब देश में लगभग चार सौ गीगावॉट बिजली बन सकती है तो आखिर दो सौ चार गीगावॉट की मांग सुरसा के मुंह जैसी क्यों दिख रही है?
अशोक गहलोत अकेले नहीं हैं जो बिजली की कमी से चिंतित हैं। उनके राष्ट्रीय नेता राहुल गांधी पहले ही फेसबुक पर लिख चुके हैं कि देश में गंभीर बिजली संकट चल रहा है और अनेक राज्यों में लोग आठ-आठ घंटे की बिजली कटौती झेल रहे हैं। दिल्ली के बिजली मंत्री सत्येंद्र जैन तो यहां तक चेतावनी दे चुके हैं कि अस्पतालों और मेट्रो ट्रेन तक की बिजली सप्लाई में कटौती की नौबत आ सकती है। उधर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी बिजली संकट पर नाराजगी जताते हुए अधिकारियों को चेतावनी दे चुके हैं कि चाहे जहां से खरीदनी पड़े बिजली खरीदें लेकिन जनता को अचानक बिजली कटौती से बचाने का इंतज़ाम करें।