घटनाओं को अलग-अलग देखने से अकसर सचाईयाँ छिप जाती हैं। हम घटनाएं तो देख पाते हैं, उनके असर का अंदाज़ा नहीं लगा सकते। यह अनुमान भी नहीं लगा सकते कि दुनिया किस दिशा में जा रही है। इसलिए हमें उन्हें एक-दूसरे से जोड़कर पढ़ना-समझना पड़ता है।