जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने गुरुवार 16 अक्टूबर को 44 नामों की अपनी सूची जारी कर दी। इसी के साथ उसके 101 प्रत्याशियों की सूची पूरी हो गई। एनडीए के प्रमुख घटक दलों बीजेपी और जेडीयू को 101-101 सीटें मिली हैं। जेडीयू ने बुधवार को 57 लोगों की सूची जारी की थी। जेडीयू की पहली सूची में एक भी मुस्लिम प्रत्याशी नहीं था। लेकिन दूसरी सूची में 4 नाम हैं। बिहार के 17% मुस्लिम आबादी में यह संख्या बहुत कम है, वो भी तब जब जेडीयू मुस्लिमों को साथ लेकर चलने की बात करती रही हो।  
जेडीयू ने 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में 11 मुस्लिमों को टिकट दिया था लेकिन वे आरजेडी के मुस्लिम प्रत्याशियों के मुकाबले टिक नहीं सके थे। आरजेडी के पास अभी 12 मुस्लिम विधायक हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी के 8 मुस्लिम प्रत्याशी जीते थे। ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम से 5 मुस्लिम विधायक सीमांचल से बने थे। लेकिन चुनाव जीतने के बाद उनमें से 4 आरजेडी में चले गए। लेकिन इस बार जेडीयू ने 2020 से सबक लेते हुए कम मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं। 
कुल मिलाकर विधानसभा में 19 मुस्लिम विधायक हैं, जिसमें आरजेडी के 12 के अलावा कांग्रेस 4, भाकपा माले 1, बसपा 1 और एआईएमआईएम से 1 विधायक है। बिहार में इस बार मुस्लिम प्रत्याशियों को लेकर समीकरण बदलने जा रहे हैं।
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जेडीयू की पहली सूची में 57 उम्मीदवारों की घोषणा की गई थी। उस सूची में कुर्मी और अति पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) मतदाताओं को ध्यान में रखकर उम्मीदवारों का चयन किया गया था। इसमें कोई मुस्लिम उम्मीदवार शामिल नहीं था, जिससे यह संकेत मिलता है कि पार्टी ने पहली सूची में सामाजिक संतुलन को प्राथमिकता दी और विशेष रूप से कुर्मी और ईबीसी समुदायों को टारगेट किया। लेकिन पहली सूची आने के बाद विवाद बना हुआ है। पहली सूची में चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) द्वारा दावा की गई चार सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की गई, जिससे एनडीए के भीतर सीट-बंटवारे को लेकर विवाद बढ़ा। जेडीयू की पहली सूची में सामाजिक विविधता को ध्यान में रखा गया था, लेकिन मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं था, जो बिहार की आबादी के हिसाब से एक महत्वपूर्ण समुदाय है।
दूसरी सूची में जिन 44 नामों में से 4 मुस्लिमों को जेडीयू उम्मीदवार बनाया गया है, उसमें सबा जफर (अमौर), मंजर आलम (जोकीहाट) शगुफ्ता अजीम (अररिया) और मोहम्मद जमा खान (चैनपुर) शामिल हैं। ये सीटें उन क्षेत्रों में हैं, जहां मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी-खासी संख्या है, जैसे कि अमौर, जोकीहाट, और अररिया।

जेडीयू सूची में जाति-वर्ग समीकरण

दोनों सूचियों को मिलाकर जेडीयू ने 30% नए उम्मीदवार दिए हैं। जिनमें मुख्य फोकस कुर्मी और ईबीसी पर है। जेडीयू ने ओबीसी से 37 उम्मीदवार, ईबीसी से 22 उम्मीदवार, सामान्य वर्ग से 22 उम्मीदवार, एससी से 15 उम्मीदवार,  मुस्लिमों में से 4 उम्मीदवार और एसटी से 1 उम्मीदवार को टिकट दिया है।

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जेडीयू की दोनों सूचियां बिहार की जटिल सामाजिक और क्षेत्रीय गतिशीलता का महत्व बता रही हैं। पहली सूची में मुस्लिम प्रतिनिधित्व की कमी को दूसरी सूची में चार मुस्लिम उम्मीदवारों के चयन से सुधारा गया है। एनडीए के भीतर सीट-बंटवारे का विवाद और कुछ समुदायों का सीमित प्रतिनिधित्व (जैसे एसटी) भविष्य में चुनौतियां पेश कर सकता है। चिराग पासवान की पार्टी की सूची स्पष्ट होने के बाद एनडीए का घमासान और बढ़ने वाला है।