बिहार चुनाव में अचानक से आरक्षण का मुद्दा आ गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे उछाला है। दूसरे चरण की वोटिंग से पहले वाल्मीकिनगर में नीतीश कुमार ने जातियों की आबादी के हिसाब से आरक्षण की बात कही है। यानी सीधे तौर पर नीतीश पिछड़ों को लुभाने में लगे हैं। पिछड़ों को लुभाने का मतलब है कि अगड़ों यानी सवर्णों को नाराज़ करना जो बीजेपी का कोर वोटबैंक है। बीजेपी नीतीश कुमार के जेडीयू के साथ गठबंधन में है। ऐसे में क्या नीतीश के जातियों की आबादी के हिसाब से आरक्षण की बात करने से बीजेपी को नुक़सान नहीं होगा? सवाल यह भी है कि नीतीश अपने लिए वोटबैंक का जुगाड़ कर रहे हैं या बीजेपी को नुक़सान पहुँचा रहे हैं?