बिहार चुनाव में अचानक से आरक्षण का मुद्दा आ गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे उछाला है। दूसरे चरण की वोटिंग से पहले वाल्मीकिनगर में नीतीश कुमार ने जातियों की आबादी के हिसाब से आरक्षण की बात कही है। यानी सीधे तौर पर नीतीश पिछड़ों को लुभाने में लगे हैं। पिछड़ों को लुभाने का मतलब है कि अगड़ों यानी सवर्णों को नाराज़ करना जो बीजेपी का कोर वोटबैंक है। बीजेपी नीतीश कुमार के जेडीयू के साथ गठबंधन में है। ऐसे में क्या नीतीश के जातियों की आबादी के हिसाब से आरक्षण की बात करने से बीजेपी को नुक़सान नहीं होगा? सवाल यह भी है कि नीतीश अपने लिए वोटबैंक का जुगाड़ कर रहे हैं या बीजेपी को नुक़सान पहुँचा रहे हैं?
नीतीश के आरक्षण राग से बीजेपी को होगा नुकसान!
- बिहार
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- 31 Oct, 2020

भले ही बीजेपी के कोर वोटर सवर्ण हैं और अपने शुरुआती दिनों में वह इसकी खुलकर वकालत करती रही थी लेकिन हाल के दिनों में चुनावी मजबूरियों के कारण आरक्षण पर खुलकर बोलने से बचती रही है। हालाँकि उसने यह ज़रूर किया कि सवर्णों को भी आरक्षण के दायरे में लाकर उनको ख़ुश करने की कोशिश की है। ऐसे में नीतीश कुमार ने जाति की आबादी के आधार पर आरक्षण का राग क्यों छेड़ा?