बिहार चुनाव की तारीख घोषित होते ही चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी ने सबसे पहले 51 नामों की पहली सूची जारी कर दी है। पहली सूची में 16 प्रतिशत उम्मीदवार मुस्लिम हैं और 18 प्रतिशत अति पिछड़ी जातियों (ईबीसी) से हैं। प्रशांत किशोर भ्रष्टाचार के खिलाफ मुखर रहे हैं, इसलिए उम्मीदवारों के चयन में उनकी स्वच्छ छवि पर विशेष ध्यान दिया गया है। किशोर ने चुनावी मुकाबले के लिए कई पूर्व नौकरशाहों और पुलिस अधिकारियों को शामिल किया है।
उम्मीदवारों में एक प्रसिद्ध गणितज्ञ भी हैं। कुम्हरार से जन सुराज के उम्मीदवार केसी सिन्हा ने पटना विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में कार्य किया है। उनके द्वारा लिखी गई पुस्तकें बिहार और कई अन्य राज्यों के स्कूलों में दशकों से पढ़ाई जा रही हैं।
वाईबी गिरी मांझी से जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार हैं। पटना हाईकोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता, वाईबी गिरी कई हाई-प्रोफाइल मामलों का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने बिहार के अतिरिक्त महाधिवक्ता और पटना हाईकोर्ट में केंद्र सरकार के मामलों के लिए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में भी काम किया है।
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मुजफ्फरपुर सीट से जन सुराज के उम्मीदवार डॉ. अमित कुमार दास पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व छात्र हैं और उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता फैलाने और बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने के लिए काम किया है। वह और उनकी पत्नी, जो एक डॉक्टर भी हैं, मुजफ्फरपुर में एक अस्पताल चलाते हैं।

मुस्लिम वोटरों पर कुछ ज्यादा ही फोकस 

प्रशांत किशोर ने पार्टी लॉन्च के बाद मुस्लिम समुदाय पर विशेष फोकस किया है, जो बिहार की लगभग 17% आबादी (लगभग 41 सीटों के बराबर) है। किशोर ने वादा किया था कि मुस्लिमों को जनसंख्या अनुपात में टिकट मिलेंगे। उन्होंने आरजेडी को चुनौती दी थी कि वे भी ऐसा करें। यह सूची उसी दिशा में एक कदम है, लेकिन कुल 243 सीटों में से केवल 21% (51) कवर करती है, इसलिए पूरी तस्वीर बाद की सूचियों से साफ होगी।

इस सूची की खास बातें


  • 18 टिकट अति पिछड़े वर्ग (ईबीसी) को यानी (35%)

  • 9 टिकट एससी यानी दलित समुदाय को यानी (18%)

  • 8 टिकट मुस्लिमों को यानी (16%)

  • 7 टिकट ओबीसी समुदाय को यानी (14%)

  • 6 टिकट सामान्य वर्ग को यानी (12%)

  • 5 टिकट महिलाओं को यानी (10%)

  • 3 टिकट अन्य (युवा, ट्रांसजेंडर) यानी (6%)

सूची के आते ही सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया शुरू हो गई और लोगों ने कहा कि अगर पहली सूची में हर जाति-समुदाय के प्रत्याशी उतारे गए हैं तो क्षत्रिय प्रत्याशी एक भी नहीं है। बिहार में राजपूत 4 से 5% आबादी है। लेकिन प्रशांत किशोर की पहली सूची में प्रतिनिधित्व नहीं के बराबर है। किशोर ने दावा किया कि अगले 2-3 दिनों में बाकी सीटों पर घोषणा होगी, और वे राघोपुर (तेजस्वी यादव की सीट) से अभियान शुरू करेंगे।

प्रशांत किशोर ने संकेत क्या दिया

प्रशांत किशोर का "40-20" फॉर्मूला (40% हिंदू + 20% मुस्लिम एकजुटता) मुस्लिम वोटों को आरजेडी से छीनने की कोशिश लगती है। वर्तमान विधानसभा में केवल 19 मुस्लिम विधायक हैं, जबकि आबादी 17% है। 8 टिकट देकर जनसुराज ने संकेत दिया है कि वे "एक मुस्लिम प्रति सीट" नीति अपनाएंगे, जहां आरजेडी मुस्लिम उतारेगी, वहां वे हिंदू प्रत्याशी उतारेंगे। इससे मुस्लिम वोट विभाजन रुकेगा और बीजेपी को नुकसान हो सकता है। लेकिन आरजेडी इसे "वोट काटने" की रणनीति बताया है।
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बिहार चुनाव का बिगुल ज़रूर बज चुका है लेकिन जब तक बीजेपी, आरजेडी और कांग्रेस की सूचियां नहीं आती हैं जब तक तस्वीर साफ नहीं होगी। इसके अलावा छोटे दल यानी चिराग पासवान की पार्टी, पशुपति पारस की पार्टी, मुकेश सहनी की पार्टी और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी की सूचियां भी समीकरण बदलने का दम रखती हैं। इसलिए जनसुराज पार्टी की पहली सूची से सब कुछ साफ नहीं हुआ है।