एक चौंकाने वाला शोध सामने है। 12 साल से एक लकवाग्रस्त शख्स अब स्वाभाविक रूप से फिर से चल सकता है। ऐसा वैज्ञानिकों के एक शोध से संभव हुआ। यह शोध है मस्तिष्क और स्पाइनल कोड प्रत्यारोपण का। इस नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने एक ऐसा उपकरण बनाया है जो लकवाग्रस्त रोगी के मस्तिष्क को पढ़कर यानी उसके इरादों को समझकर उसके शरीर के अंगों को हरकतें करने का संकेत देता है। इससे शख्स शरीर के लकवाग्रस्त हिस्से को भी सामान्य तौर पर हिला-डुला सकता है और काम कर सकता है।
ऐसी तकनीक जो दिमाग पढ़कर कर देगा लकवे का इलाज!
- स्वास्थ्य
- |
- 26 May, 2023
क्या आपको पता है कि दिमाग से जुड़े स्पाइनल कोड का संपर्क टूट जाए तो शरीर के अंग काम करने बंद कर देते हैं? क्या इसका इलाज संभव है? जानिए, इसके लिए अब वैज्ञानिकों ने क्या उपाय खोज निकाला है।

यह कैसे काम करता है और इससे दुनिया भर में किन-किन लोगों को फायदा होगा, यह जानने से पहले यह समझ लें कि आख़िर लकवा बीमारी क्या है और इसमें शरीर के अंग कैसे काम करने बंद कर देते हैं। इसे आसान भाषा में समझें तो शरीर एक मशीन या कम्प्यूटर की तरह है। इंसान का दिमाग कम्प्यूटर के सीपीयू की तरह है जो शरीर का सबसे जटिल हिस्सा है और जो पूरे शरीर को नियंत्रित करता है। दिमाग के निर्देशों के अनुसार शरीर के हिस्से- हाथ, पैर, अंगुलियाँ, आँखें आदि हिलते-डुलते या काम करते हैं।