loader

संसद में अडानीः नारे ऐसे गूंजे जो दबाए न दबे

संसद का बजट सत्र चल रहा है। गहमा-गहमी जारी है। पक्ष और विपक्ष सब एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। सरकार अपने गुणगान कर रही है तो विपक्ष उसके काम को शून्य बताने पर तुला हुआ है। इस सबके बीच कुछ ऐसा भी हो रहा है जो शायद भारतीय संसद के इतिहास में अभूतपूर्व है।
गुरुवार को दोपहर के दो बजे जब प्रधानमंत्री ने राज्यसभा को संबोधित करना शुरु किया तो विपक्षी दलों ने ‘मोदी अडानी भाई-भाई’ के नारों से उनका स्वागत किया। विपक्षी सासंदों द्वारा प्रधानमंत्री या फिर सरकार के मुखिया के खिलाफ ऐसी नारेबाजी कोई इकलौती घटना नहीं है। लगभग हर प्रधानमंत्री को विपक्ष के विरोध करना पड़ता है। विरोध के तरीके भी बदलते रहते हैं। इसमें तख्ती पोस्टर से लेकर बेल में आने तक सबकुछ इस संसद में होता रहा है। कभी-कभी विरोध इतना तीखा होता है कि प्रधानमंत्रियों को विपक्ष की बात तक माननी पड़ती रही है।
ताजा ख़बरें
भारतीय संसद में यह पहली बार है कि प्रधानमंत्री पर एक कारोबारी के साथ रिश्तों को लेकर सवाल उठाया जा रहा हो। और प्रधानमंत्री इस पर जवाब देने की बजाए, सबकुछ बोल रहे हों।  
मोदी के मामले में अनोखा यह है कि उनके और गौतम अडानी के रिश्तों को लेकर में सदन में जमकर नारेबाजी हुई विपक्षी दलों ने मोदी अडानी भाई-भाई, देश बेच के खाई मलाई, जैसे नारे लगाए। विपक्षी दलों का हंगामा तब तक चलता रहा जब तक प्रधानमंत्री बोलते रहे। इस दौरान अडानी समूह पर लग रहे आरोपों पर प्रधानमंत्री की चुप्पी पर विपक्षी दलों ने हंगामा किया और नारा उछाला ‘मौनी बाबा कुछ तो बोलो, कुछ तो बोलो, जेपीसी पर कुछ तो बोलो, एलआईसी पर कुछ तो बोलो। यह प्रधानमंत्री के लिए असहज करने वाली स्थिति थी।
देश से और खबरें
अपने भाषण के दौरान कई बार उन्हें रुकना पड़ा। हालांकि बाद में उन्होंने विपक्ष के हंगामें को अपनी काबिलियत साबित करने की कोशिश की और कहा कि ‘एक अकेला कितनों पर भारी पड़ रहा है।‘  जबकि यह प्रधानमंत्री के अति आत्मविश्वास से ज्यादा कुछ नहीं था। इस दौरान उन्होंने अटल बिहारी की मशहूर लाइनें ‘जितना किचड़ उछालोगे, उतना ही कमल खिलेगा' भी दोहराईं।      
विपक्षी दल इस दौरान पूरे समय अडानी समूह के घोटाले की जांच की मांग करते रहे। उन्होंने प्रधानमंत्री से जेपीसी के गठन की मांग की। इस मामले में सबसे ज्यादा मुखर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी है। जो प्रधानमंत्री को घेरने की लगातार कोशिश कर रहे हैं।    
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें