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किसान आंदोलन: शांतिपूर्ण रहा चक्का जाम, हरियाणा-पंजाब में दिखा असर

कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे किसानों के आह्वान पर शनिवार को किया गया चक्का जाम शांतिपूर्ण रहा। दिल्ली और उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड को जाम से बाहर रखा गया था। 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली के दौरान जिस तरह कुछ उपद्रवी तत्वों ने हिंसा का सहारा लिया, उसे देखते हुए किसान संगठन और पुलिस दोनों ही अलर्ट मोड में रहे। केंद्र सरकार ने दिल्ली के तीनों बॉर्डर्स पर आधी रात तक के लिए इंटरनेट को बंद कर दिया है। 

चक्का जाम 12 से 3 बजे तक रहा। इस दौरान दिल्ली में कई मेट्रो स्टेशन को बंद रखा गया। किसी भी अप्रिय हालात से निपटने के लिए पुलिस, पैरामिलिट्री फ़ोर्स और अन्य सुरक्षा बलों के 50 हज़ार जवानों को दिल्ली-एनसीआर में तैनात किया गया था। 

इस दौरान आपातकालीन और ज़रूरी सेवाओं वाले वाहनों जैसे- एंबुलेंस, स्कूल बस आदि को नहीं रोका गया। किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने सभी किसानों और आंदोलनकारियों को निर्देश दिया था कि चक्का जाम पूरी तरह शांतिपूर्ण और अहिंसक होना चाहिए। 

अंबाला के शंभू बॉर्डर, हरियाणा-राजस्थान के शाहजहांपुर बॉर्डर और दिल्ली-गुड़गांव के बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों ने जाम लगाया। पंजाब और हरियाणा में कई जगहों पर प्रदर्शनकारी सड़क पर उतरे और यहां जाम का ख़ासा असर देखने को मिला। महाराष्ट्र में भी चक्का जाम के समर्थन में किसान सड़कों पर उतरे। 

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किसान आंदोलन को लेकर देखिए वीडियो- 

इस दौरान किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि उन्होंने सरकार को इन क़ानूनों को ख़त्म करने के लिए 2 अक्टूबर तक का वक़्त दिया है, तब तक किसान संगठन ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर धरने पर बैठेंगे। टिकैत ने कहा कि सरकार के साथ कोई बातचीत दबाव में नहीं की जाएगी। 

सुरक्षा व्यवस्था को किया मजबूत 

चक्का जाम को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने राजधानी की सीमा वाले इलाक़ों में सुरक्षा इंतजामों को मजबूत कर दिया था। इसके साथ ही हरियाणा पुलिस के आला अफ़सरों ने भी पूरे महकमे को अलर्ट पर रखा गया है। सभी जिलों के पुलिस अफ़सरों से कहा गया था कि वे सुरक्षा और यातायात संबंधी इंतजामों को पुख्ता रखें। हरियाणा में भी कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ लोग लामबंद हो रहे हैं और कुछ दिन पहले जींद में हुई महापंचायत में बड़ी संख्या में लोग उमड़े थे। 

26 जनवरी के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर हरियाणा, राजस्थान और उत्तरांखड में हुई महापंचायतों में जितनी बड़ी संख्या में लोग उमड़े हैं, उससे पता चलता है कि यह आंदोलन कई राज्यों में फैल चुका है।

किसान नेताओं की नाराज़गी 

किसान नेताओं ने कहा है कि सरकार ने दिल्ली के चारों ओर के रास्तों को और धरने वाली जगहों पर पानी, बिजली, टॉयलेट जैसी ज़रूरी सुविधाओं को भी बंद कर दिया गया है। उन्होंने कहा है कि आंदोलन में शामिल नौजवान लड़कों का उत्पीड़न किया जा रहा है। 

किसान नेताओं ने कहा है कि आंदोलन वाले इलाक़ों को छावनी बना दिया है और इंटरनेट भी बंद कर दिया है। उनका कहना है कि केंद्र सरकार इस आंदोलन से घबरा गई है और वह पत्रकारों पर मुक़दमे दर्ज कर रही है। उन्होंने कहा कि आंदोलन जारी रहेगा और इसे और मजबूती से लड़ा जाएगा। 

सिंघु, टिकरी और ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर इन दिनों बड़ी संख्या में पुलिस बल को तैनात करने, कंक्रीट की दीवार बनाने सहित कई क़दम उठाए जा रहे हैं। 

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दिल्ली पुलिस ने सिंघु बॉर्डर पर बाहर से आने वालों की एंट्री रोक दी है। कुछ दिन पहले स्थानीय लोगों ने इस बॉर्डर को खाली कराने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था, तब आंदोलनकारी किसानों और स्थानीय लोगों के बीच झड़प हुई थी। इसके बाद से पुलिस ने यह फ़ैसला लिया है कि किसी भी शख़्स को धरनास्थल पर नहीं जाने दिया जाएगा। 

कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली के बॉर्डर्स पर धरना दे रहे किसानों को ढाई महीने का वक़्त होने जा रहा है। कई दौर की वार्ता बेनतीजा होने के बाद मुश्किल यह है कि आगे की वार्ता के लिए कोई तारीख़ तय नहीं हो पा रही है। 

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क़मर वहीद नक़वी
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