उपराष्ट्रपति और राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद देश में नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की चर्चा तेज हो गई है। इस बीच, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने मंगलवार को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। इस मुलाकात ने राजनीतिक गलियारों में अटकलों को जन्म दिया है कि क्या हरिवंश उपराष्ट्रपति की दौड़ में शामिल हैं। 

जगदीप धनखड़ ने सोमवार को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफे के बाद राज्यसभा की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने की जिम्मेदारी उपसभापति हरिवंश पर आ गई है। संविधान के अनुसार, उपराष्ट्रपति की अनुपस्थिति में राज्यसभा के उपसभापति या राष्ट्रपति द्वारा अधिकृत कोई अन्य सदस्य सदन की अध्यक्षता करता है।
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हरिवंश ने मंगलवार को राज्यसभा की सुबह की कार्यवाही की अध्यक्षता की और सदन को बताया कि उपराष्ट्रपति के पद पर रिक्तता के संबंध में संवैधानिक प्रक्रिया की जानकारी जल्द साझा की जाएगी। उनकी राष्ट्रपति से मुलाकात को इस संदर्भ में एक औपचारिक और प्रोटोकॉल के तहत की गई मुलाकात माना जा रहा है। हालाँकि, कुछ राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह मुलाकात केवल औपचारिक नहीं थी, बल्कि इसमें नए उपराष्ट्रपति के चयन और हरिवंश की संभावित भूमिका पर भी चर्चा हो सकती है।

जगदीप धनखड़ का इस्तीफा

अगस्त 2022 में भारत के 14वें उपराष्ट्रपति बने जगदीप धनखड़ ने सोमवार शाम को अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने और चिकित्सकीय सलाह का पालन करने का हवाला देते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा सौंपा। उनके इस्तीफे में लिखा था, 'स्वास्थ्य और चिकित्सकीय सलाह को प्राथमिकता देने के लिए मैं भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देता हूँ।' 

जगदीप धनखड़ का यह इस्तीफा अप्रत्याशित था, क्योंकि धनखड़ ने उसी दिन संसद के मानसून सत्र के पहले दिन राज्यसभा की कार्यवाही की अध्यक्षता की थी।

धनखड़ के कार्यकाल में विपक्ष के साथ कई बार तीखी नोकझोंक हुई थी। दिसंबर 2024 में विपक्ष ने उनके ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव लाने की कोशिश की थी, जिसे हरिवंश ने खारिज कर दिया था। इसके अलावा, धनखड़ ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता और राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग यानी एनजेएसी को रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आलोचना करके भी विवाद खड़ा किया था। कुछ सूत्रों का कहना है कि उनके इस्तीफे के पीछे स्वास्थ्य के अलावा अन्य कारण, जैसे सरकार के साथ मतभेद, भी हो सकते हैं।
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क्या हरिवंश उपराष्ट्रपति की दौड़ में?

जनता दल (यूनाइटेड) के सांसद हरिवंश नारायण सिंह 2020 से राज्यसभा के उपसभापति के रूप में कार्यरत हैं। उनको उपराष्ट्रपति पद के लिए संभावित उम्मीदवारों में गिना जा रहा है। वे बिहार से हैं और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए में अहम सहयोगी नीतीश कुमार की पार्टी से ताल्लुक रखते हैं। हरिवंश के नाम पर चर्चा चलने के पीछे कई वजहें हैं-
  • सरकार का भरोसा: हरिवंश को केंद्र सरकार और विशेष रूप से भारतीय जनता पार्टी का विश्वास प्राप्त है। उनकी निष्पक्ष और संयमित कार्यशैली को सराहा जाता है।
  • राजनीतिक अनुभव: हरिवंश एक अनुभवी राजनेता और पत्रकार रहे हैं। उन्होंने पहले 'प्रभात खबर' जैसे समाचार पत्रों में काम किया और बिहार में नीतीश कुमार के करीबी सहयोगी के रूप में अपनी पहचान बनाई।
  • एनडीए की रणनीति: बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए एनडीए हरिवंश जैसे बिहार के नेता को उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनकर अपनी स्थिति मजबूत करना चाहेगा। 

उपराष्ट्रपति चुनाव

उपराष्ट्रपति के पद के लिए अभी तक कोई आधिकारिक उम्मीदवार की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन एक्स पर कुछ पोस्टों में संभावित नामों का ज़िक्र किया गया है। इनमें हरिवंश के अलावा बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री हैं मुख्तार अब्बास नकवी का नाम भी चर्चा में है। इसके अलावा, कुछ अन्य नाम भी अनौपचारिक रूप से सामने आ रहे हैं। संविधान के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा और राज्यसभा के सभी सदस्यों से मिलकर बने इलेक्टोरल कॉलेज द्वारा किया जाता है। वर्तमान में संसद की कुल संख्या 786 है। इसमें से एनडीए के पास 422 वोट होने का अनुमान है, जो बहुमत (394 वोट) से कहीं अधिक है। इस मजबूत स्थिति के कारण एनडीए का उम्मीदवार आसानी से चुना जा सकता है।
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चुनाव की प्रक्रिया और समयसीमा

संविधान के अनुच्छेद 68(2) के तहत उपराष्ट्रपति के पद पर रिक्तता होने पर जल्द से जल्द चुनाव कराना अनिवार्य है, आमतौर पर छह महीने के भीतर। यह चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली और एकल हस्तांतरणीय मत के माध्यम से गुप्त मतदान द्वारा होता है। नए उपराष्ट्रपति को पूरे पाँच साल का कार्यकाल मिलेगा, न कि धनखड़ के बचे हुए कार्यकाल का हिस्सा।

हरिवंश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात को लेकर अभी तक कोई साफ़ जानकारी नहीं है कि यह केवल संवैधानिक जिम्मेदारियों के तहत थी या उपराष्ट्रपति पद की दौड़ से जुड़ी थी। हालांकि, उनकी अनुभवी छवि और एनडीए के समर्थन के कारण वे एक मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं। उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया जल्द शुरू होने की उम्मीद है और एनडीए की मजबूत स्थिति को देखते हुए उनका उम्मीदवार प्रबल स्थिति में होगा।