कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ पंजाब और हरियाणा के किसानों के जबरदस्त आंदोलन के सामने भारत सरकार झुकती दिख रही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा है कि अगर किसान संगठन ये चाहते हैं कि भारत सरकार उनसे 3 दिसंबर से पहले बात करे तो वे दिल्ली पुलिस द्वारा तय की जगह पर आ जाएं, उसके दूसरे ही दिन भारत सरकार उनसे बातचीत करेगी। 

बता दें कि किसानों ने शनिवार को भी बुराड़ी के निरंकारी समागम ग्राउंड पर जाने से इनकार कर दिया और कहा है कि उन्हें जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने की इजाजत दी जाए। किसान नेताओं का कहना है कि जब तक उन्हें जंतर-मंतर पर जाने की इजाजत नहीं दी जाती, वे दिल्ली के बॉर्डर पर ही जमे रहेंगे। किसानों के इस रूख़ के कारण सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर सुरक्षा बेहद कड़ी कर दी गई है। 

इससे पहले हरियाणा और पंजाब के किसान शुक्रवार रात भर और शनिवार को दिन भर दिल्ली-हरियाणा के सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर जमे रहे। 

केंद्र सरकार किसानों के उन बयानों से परेशान है, जिनमें वे बार-बार कह रहे हैं कि वे छह महीने का राशन साथ लेकर आए हैं, कम पड़ेगा तो और मंगा लेंगे। उनका साफ कहना है कि या तो मोदी सरकार कृषि क़ानून वापस ले, वरना वे दिल्ली में ही डेरा डाले रहेंगे। इसका मतलब साफ है कि पंजाब-हरियाणा के किसान आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार हैं। 

हरियाणा को खोलने पड़े बॉर्डर्स

किसानों के ख़िलाफ़ आंसू गैस से लेकर पानी की बौछार तक इस्तेमाल कर चुकी दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार दोपहर को भी उन्हें बुराड़ी के निरंकारी ग्राउंड आने की इजाजत दी थी। लेकिन किसानों ने वहां जाने से इनकार कर दिया था और बॉर्डर पर ही डेरा डाल दिया था। 

पंजाब-हरियाणा के बॉर्डर पर किसानों को रोकने के लिए कई तरह के इंतजाम करने वाली खट्टर सरकार को शुक्रवार शाम को अपने सारे बॉर्डर्स को खोलना पड़ा था।

ऑल इंडिया किसान संघर्ष को-ऑर्डिनेशन कमेटी, राष्ट्रीय किसान महासंघ, भारतीय किसान यूनियन सहित कई संगठनों ने इस 'दिल्ली चलो' मार्च का आह्वान किया था। अब इन्होंने मिलकर संयुक्त किसान मोर्चा बनाया है और इसी की अगुवाई में यह आंदोलन आगे बढ़ रहा है। 

सुनिए, किसान आंदोलन पर चर्चा-  

‘क़ानून वापस ले सरकार’

किसानों के आंदोलन से पस्त मरकज़ी सरकार के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से अपील की है कि वे कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए अपना आंदोलन ख़त्म कर दें। लेकिन किसानों का साफ कहना है कि मोदी सरकार इन कृषि क़ानूनों को वापस ले, तभी आंदोलन ख़त्म होगा। वरना वे, महीनों तक दिल्ली में जमे रहेंगे। 

आंदोलित किसानों का कहना है कि सरकार एमएसपी को लेकर अपना स्टैंड साफ क्यों नहीं करती। अगर सरकार उनसे बातचीत करना चाहती है, तो वे इसके लिए तैयार हैं लेकिन उसे हर हाल में इन क़ानूनों को वापस लेना ही होगा।

राहुल का हमला

किसानों के आंदोलन को विपक्षी दलों का भी साथ मिला है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा है कि किसान सच्चाई की लड़ाई लड़ रहे हैं और सच और अहंकार की लड़ाई में हमेशा अहंकार की हार होती है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को इन कृषि क़ानूनों को वापस लेना ही होगा। 

पश्चिमी यूपी के किसान आए साथ 

भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेतृत्व में पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड से हज़ारों किसानों ने शनिवार को दिल्ली के लिए कूच किया। ग़ाज़ियाबाद में यूपी गेट बॉर्डर के आगे लगी दिल्ली पुलिस की बैरिकेडिंग तोड़कर किसान दिल्ली की सीमा में दाखिल हो गए लेकिन पुलिस ने उन्हें ग़ाज़ीपुर टोल प्लाजा के पास रोक लिया था। 

इसके बाद किसान वहीं धरने पर बैठ गए थे। कुछ घंटों के बाद पुलिस ने उन्हें दिल्ली जाने की इजाजत दे दी लेकिन शर्त यह रखी गई कि वे ट्रैक्टर-ट्रालियों के साथ नहीं जाएंगे।

शनिवार सुबह भाकियू के नेतृत्व में हज़ारों किसान ट्रैक्टर-ट्रालियों में सवार होकर दिल्ली के लिए निकल पड़े। भाकियू के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार किसानों के मसलों को हल करने में नाकाम रही है। मेरठ, मुज़फ़्फरनगर, हापुड़, शामली, बाग़पत से भाकियू कार्यकर्ता बड़ी संख्या में दिल्ली आए हैं। राकेश टिकैत का कहना है कि केंद्र सरकार हरियाणा, पंजाब के किसानों के साथ अत्याचार कर रही है। उन्होंने मांग की है कि सरकार एमएसपी को क़ानून में शामिल करे और इसे लिखकर दे। भाकियू ने शुक्रवार को भी मुज़फ्फरनगर, मेरठ, बागपत में हाईवे को जाम कर दिया था और बुधवार को मुज़फ्फरनगर में पंचायत भी की थी।