अदालतों में पहले से ही लंबित मामलों का भारी बोझ था और कोरोना काल में हालात बेहद ख़राब हो गये हैं। निचली अदालतों में अब रिकॉर्ड 4 करोड़ से ज़्यादा लंबित मामले हो गए हैं। कोरोना महामारी आने से पहले 3.2 करोड़ मामले ही लंबित थे। यानी क़रीब 80 लाख लंबित मामले बढ़ गए। यदि निचली अदालतों के साथ ही उच्च न्यायालयों और शीर्ष अदालत में लंबित मामलों को जोड़ लें तो 4.6 करोड़ मामले हो गए हैं जबकि मार्च 2020 तक कुल लंबित मामले 3.7 करोड़ ही थे। ऐसे हालात तब हुए जब कोरोना महामारी के दौरान अदालतों ने सुनवाई के ऑनलाइन माध्यमों का इस्तेमाल किया और अदालती प्रक्रिया भी डिजिटल हुई है। तो फिर दिक्कत कहाँ आई?