PM CM Removal Bill and ADR: एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 40% सीएम पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें हत्या जैसे गंभीर अपराध शामिल हैं। ऐसे में मोदी सरकार ने हाल ही में जो तीन विवादित बिल पेश किए हैं, उनको लेकर सवाल खड़े हो गए हैं।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और नेशनल इलेक्शन वॉच (NEW) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, देश के 31 में से 12 मुख्यमंत्रियों (40%) के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से चार मुख्यमंत्रियों पर गंभीर आपराधिक मामले हैं, जिनमें हत्या, हत्या का प्रयास, अपहरण और डकैती जैसे अपराध शामिल हैं।
क्या भविष्य में देश के बहुत-से मुख्यमंत्रियों की कुर्सी ख़तरे में पड़ सकती है? विपक्ष में इस बात को लेकर चिन्ता क्यों है कि देश में सरकारों के गिराने या कुछ मुख्यमंत्रियों को दबाव में लाने की राजनीति का नया ख़तरा पैदा हो सकता है। अगर ऐसा हुआ तो किन-किन मुख्यमंत्रियों पर तलवार लटक सकती है? यह जानना चाहिए।
ये सवाल हाल ही में पेश किए गए पीएम सीएम बिल की वजह से उठे हैं। केंद्र सरकार एक ऐसा क़ानून लाना चाहती है, जिसमें प्रावधान होगा कि यदि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई मंत्री गंभीर आपराधिक केस में गिरफ्तार हो कर 30 दिन तक जेल में रहता है, तो उसे अपने पद से हटा दिया जाएगा। अब तक संविधान में ऐसी कोई सीधी व्यवस्था नहीं थी। मतलब, अगर कोई नेता जेल भी चला जाए तो कानून में साफ नहीं लिखा था कि वो पद से हटेगा या नहीं। फ़िलहाल ये बिल सेलेक्ट कमेटी को भेज दिया गया है।
लेकिन अगर ये बिल कानून बनता है तो किस-किस मुख्यमंत्री पर खतरे के बादल मंडराने लगेंगे। देश में कुल 30 मुख्यमंत्री हैं और इनमें से 40 प्रतिशत मुख्यमंत्री ऐसे हैं जिनपर क्रिमिनल केस दर्ज हैं। किसी पर एक, किसी पर दो तो किसी पर 50 से ज्यादा केस दर्ज हैं । इन 13 मुख्यमंत्रियों में से 8 मुख्यमंत्री ऐसे हैं जो इस पीएम सीएम बिल के कानून बनने पर उसके दायरे में आ सकते हैं । अब देखिए इन 40 प्रतिशत में से 33 प्रतिशत ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिन पर बहुत सारे केस हैं और गंभीर धाराओं के तहत आरोप लगे हैं ।
आइये एक एक करके देखते हैं ADR रिपोर्ट की मुताबिक मुख्यमंत्रियों का क्राइम मीटर क्या कहता है ?
एम के स्टालिन (तमिल नाडू) 47 केस
एम. के. स्टालिन पर कुल 47 आपराधिक आरोप हैं, जिनमें कई गंभीर धाराएं भी शामिल हैं। स्टालिन पर चुनाव में झूठा बयान देने (धारा 171G), धर्म और भाषा के आधार पर नफरत फैलाने (धारा 153A), अपहरण (धारा 363) और अवैध भीड़ का हिस्सा बनने (धारा 143) जैसे आरोप हैं। साथ ही, मानहानि (धारा 499, 500), गलत तरीके से रास्ता रोकना (धारा 341), सरकारी आदेश की अवहेलना (धारा 188) और सरकारी काम में बाधा डालना (धारा 353) जैसे मामले भी दर्ज हैं। कई धाराएं महामारी के दौरान लापरवाही और सार्वजनिक जगहों पर उपद्रव से जुड़ी हैं। हालांकि, ये सभी केस चुनाव, विरोध प्रदर्शन और राजनीतिक गतिविधियों से जुड़े हैं।
चंद्रबाबू नायडू (आंध्र प्रदेश) 19 केस
चंद्रबाबू नायडू पर 19 आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें कई गंभीर आरोप शामिल हैं। उन पर धोखाधड़ी (धारा 420, 418), हत्या की कोशिश (धारा 307), जानलेवा हमले (धारा 324, 326), जालसाज़ी (धारा 468, 465, 471) और सरकारी पद का गलत इस्तेमाल (धारा 409, 166, 167, 217) जैसे गंभीर आरोप लगे हैं। साथ ही, दंगा भड़काना (धारा 153A, 505), आपराधिक साजिश (धारा 120B), सरकारी काम में बाधा डालना (धारा 353, 332) और जान से मारने की धमकी (धारा 506, 503) जैसी धाराएं भी हैं। ये केस भ्रष्टाचार, सत्ता के दुरुपयोग और सांप्रदायिक उकसावे से जुड़े हैं।
हेमंत सोरेन (झारखंड) 5 केस
हेमंत सोरेन पर कुल 5 आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें कई धोखाधड़ी और जालसाज़ी से जुड़े गंभीर आरोप शामिल हैं। उन पर चुनाव में बेईमानी या पहचान की नकल (IPC 171F), महत्वपूर्ण दस्तावेजों की जालसाज़ी (IPC 467, 468, 466, 474, 471), धोखाधड़ी से संपत्ति हासिल करना (IPC 420), चोरी (IPC 379), सरकारी आदेश की अवहेलना (IPC 188, 174) और बदनामी फैलाने की नीयत से जालसाजी (IPC 469) जैसे आरोप लगे हैं। इन केसों से जुड़ी धाराएं दिखाती हैं कि आरोप गंभीर हैं और इनमें कानूनी दस्तावेजों की गड़बड़ी, चुनाव में गड़बड़ी और सरकारी आदेशों की अनदेखी शामिल है।
सिद्धारमैया (कर्नाटक) 13 केस
सिद्धारमैया पर कुल 13 आपराधिक आरोप दर्ज हैं, जिनमें ज़्यादातर उपद्रव, चुनावी गड़बड़ी और सार्वजनिक शांति भंग करने से जुड़े हैं। उन पर गैरकानूनी जमावड़ा (IPC 141, 143, 144, 149), दंगा और घातक हथियार के साथ दंगा (IPC 147, 148), गलत तरीके से रास्ता रोकना (IPC 341), चुनावी बेईमानी और रिश्वत (IPC 171C, 171E, 171F), जान-बूझकर नुकसान पहुंचाना (IPC 427, 435), जनसुरक्षा को खतरा (IPC 336, 290) और सरकारी आदेश न मानना (IPC 188) जैसी धाराओं में केस हैं। कुल मिलाकर, सिद्धारमैया पर आरोप हैं कि उन्होंने कई बार कानून-व्यवस्था को तोड़ा, भीड़ का हिस्सा बने और चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश की।
पिनाराई विजयन (केरल) 2 केस
पिनाराई विजयन पर कुल 2 आपराधिक आरोप दर्ज हैं, जो ज्यादातर धोखाधड़ी, साजिश और सार्वजनिक उपद्रव से जुड़े हुए हैं। उन पर आपराधिक साजिश (IPC 120B), धोखाधड़ी और जालसाजी से प्रॉपर्टी हासिल करने की कोशिश (IPC 420, 406, 471), फर्जी दस्तावेज़ को असली बताकर इस्तेमाल करना, और दंगा करने व गैरकानूनी भीड़ का हिस्सा बनने (IPC 143, 147, 149) जैसे गंभीर आरोप हैं। इसके अलावा सार्वजनिक रास्ते को बाधित करने (IPC 283) और सामान को नुकसान पहुंचाने (IPC 425) जैसे केस भी दर्ज हैं। यानी, उनके खिलाफ आपराधिक विश्वासघात से लेकर भीड़ में शामिल होने तक के आरोप लगे हैं।
देवेन्द्र फडणवीस (महाराष्ट्र) 4 केस
देवेंद्र फडणवीस पर कुल 4 आपराधिक मामले दर्ज हैं, जो मुख्य रूप से धोखाधड़ी और विश्वासघात से जुड़े हैं। उन पर धोखाधड़ी कर प्रॉपर्टी हासिल करने की कोशिश (IPC 420), आपराधिक विश्वासघात (IPC 406), धोखा देना (IPC 417) और जानबूझकर किसी को नुकसान पहुंचाने की नीयत से धोखा देना (IPC 418) जैसे आरोप हैं। इन धाराओं का मतलब है कि उन पर यह आरोप है कि उन्होंने किसी की संपत्ति या भरोसे का गलत फायदा उठाया, जिससे किसी को आर्थिक नुकसान हो सकता था। ये सभी आरोप आर्थिक अपराध की श्रेणी में आते हैं।
प्रेम सिंह तमांग (सिक्किम) 3 केस
सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग पर कुल 19 आपराधिक धाराओं के तहत कुल 3 केस दर्ज हैं। इनमें सबसे गंभीर आरोप धोखाधड़ी (IPC 420, 468), विश्वासघात (IPC 409, 403), और आपराधिक साजिश (IPC 120B) से जुड़े हैं। उनके खिलाफ आरोप हैं कि उन्होंने सरकारी पद का दुरुपयोग किया, धोखे से संपत्ति हासिल की और गलत दस्तावेज़ों का इस्तेमाल किया। इसके अलावा, उन पर गैरकानूनी भीड़ का हिस्सा बनने (IPC 141, 149), दंगा फैलाने (IPC 147), और सरकारी कर्मचारी को ड्यूटी से रोकने (IPC 353, 152) जैसे आरोप भी हैं। सार्वजनिक आदेशों की अवहेलना (IPC 188), शारीरिक नुकसान पहुंचाना (IPC 323, 336) और रास्ता रोकना (IPC 341) जैसी धाराएं भी उन पर लगी हैं। यानी उनके खिलाफ लगे आरोप सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि कानून व्यवस्था से जुड़ी गंभीर चुनौतियों को भी दिखाते हैं।
रेवंत रेड्डी (तेलंगाना) 89 केस
तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी पर कुल 89 आपराधिक मामले दर्ज हैं जिनमें से 72 गंभीर मामले हैं। इन आरोपों में आपराधिक धमकी (IPC 506), धार्मिक और सामाजिक उकसावे वाले बयान (IPC 505(2), IPC 153), जानबूझकर अपमान (IPC 504), दंगा भड़काने (IPC 153), आदेश का उल्लंघन (IPC 188), और अन्य कई धाराएं शामिल हैं। 2016 का SC/ST एक्ट मामला और 2019 का चुनाव आचार संहिता उल्लंघन का मामला हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया है। COVID-19 नियम उल्लंघन का मामला अभी विचाराधीन है। पुलिस पर आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में उन्हें बरी किया गया और बीजेपी द्वारा दर्ज मानहानि का मामला फिलहाल स्थगित है। कुल मिलाकर, उनके खिलाफ कई राजनीतिक और सामाजिक आरोप लगे हुए हैं।
ADR के डेटा के मुताबिक किस मुख्यमंत्री का क्राइम मीटर कितना डाउन है ये अभी हमने देखा । हम ये भी जानते हैं कि राजनीति में बढ़ते आपराधिकरण को लेकर देश में पिछले काफी दिनों से चर्चा चल रही है । केंद्र सरकार का कहना है कि ये कदम राजनीति कको साफ सुथरा रखने के लिए लाया गया है । पीएम ने पश्चिम बंगाल में एक सभा में कहा कि ये बिल हम इसलिए ला रहे हैं क्योंकि अब किसी को जेल से सरकार नहीं चलाने देंगे । लेकिन यहां आपको ये जानना भी ज़रूरी है कि पिछले कुछ सालों में बहुत से राजनेताओं की गिरफ्तारियां सवालों के घेरे में रही हैं ।
सरकारी आंकड़ों के हिसाब से 10 सालों में ईडी ने 193 राजनेताओं के खिलाफ केस दर्ज किया है लेकिन हैरानी की बात ये है कि 193 में से सिर्फ 2 नेताओं को ही सजा मिली बाकियों पर केस अब भी चल रहा है। दूसरी ओर विपक्ष भी ये आरोप लगाता रहता है कि ईडी सरकार के इशारे पर काम करती है और बिना किसी ठोस सबूत के विपक्षी नेताओं को घेरने की कोशिश करती रहती है । अब ऐसे में जब पीएम सीएम बिल आ चुका है तो लोग ये सवाल उठा रहे हैं कि इन 8 मुख्यमंत्रियों में से दो सरकार के सहयोगी भी हैं तो क्या ऐसे में इनको भी गिरफ्तार करके 30 दिन जेल में रखा जाएगा । या ये वॉशिंग मशीन में धुल जाएंगे ?