क्या एक राज्यपाल अपनी मर्जी से जनता के चुने हुए विधायकों के फ़ैसलों को ठंडे बस्ते में डाल सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने इस सवाल का जवाब देते हुए तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि को करारा झटका दिया है। मंगलवार को आए एक सनसनीखेज फ़ैसले में कोर्ट ने राज्यपाल द्वारा 10 विधेयकों को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए सुरक्षित रखने को कानूनन अवैध और त्रुटिपूर्ण ठहराया और इसे तत्काल रद्द कर दिया।
तमिलनाडु के गवर्नर को सुप्रीम झटका, 10 विधेयकों पर रोक 'अवैध'
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- 8 Apr, 2025
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के गवर्नर द्वारा 10 विधेयकों पर लगाई गई रोक को असंवैधानिक करार दिया है। अदालत ने इसे ‘गैरकानूनी और अलोकतांत्रिक’ बताया। जानिए इस ऐतिहासिक फ़ैसले का असर राज्य और केंद्र के संबंधों पर।

कोर्ट ने साफ़ शब्दों में कहा कि राज्यपाल को अपनी कुर्सी की गरिमा बनाए रखते हुए राज्य विधानमंडल की सलाह और सहायता से काम करना होगा, न कि लोकतंत्र की राह में रोड़े अटकाने चाहिए। कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल को संसदीय लोकतंत्र की स्थापित परंपराओं के प्रति सम्मान दिखाते हुए कार्य करना चाहिए और विधायिका के माध्यम से व्यक्त जनता की इच्छा का सम्मान करना उनका कर्तव्य है। यह फ़ैसला तमिलनाडु में चल रहे सियासी घमासान को नया रंग देने के साथ-साथ पूरे देश में राज्यपालों की भूमिका पर बहस छेड़ सकता है!