Trump Modi Trade Talks Russian Oil: अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने पीएम मोदी से दिवाली पर बात की। मोदी ने ट्वीट करके जानकारी दी। लेकिन बातचीत क्या हुई, ये बात ट्रंप और मीडिया बता रहे हैं। मोदी नहीं बता रहे हैं। पढ़िए ये रिपोर्टः
पीएम मोदी के साथ यूएस राष्ट्रपति ट्रंप
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच दिवाली की पूर्व संध्या पर हुई फोन बातचीत ने भारत-अमेरिका संबंधों पर नई बहस छेड़ दी है। पीएम मोदी ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ट्रंप को धन्यवाद देते हुए सिर्फ दिवाली शुभकामनाओं का जिक्र किया, लेकिन ट्रंप ने वार्ता में रूस से तेल आयात रोकने और यूक्रेन युद्ध समाप्ति पर चर्चा होने का खुलासा किया। इससे विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार पर बातचीत के ब्योरे छिपाने का आरोप लगाते हुए तीखा तंज कसा है। दूसरी ओर, मीडिया रिपोर्ट्स में भारत-अमेरिका व्यापार समझौते के करीब पहुंचने और टैरिफ में छूट की अटकलें हैं।
दिवाली पर फोन कॉल और पीएम का ट्वीट
21 अक्टूबर को व्हाइट हाउस में दिवाली समारोह के दौरान ट्रंप ने दीये जलाए और भारतीय समुदाय को शुभकामनाएं दीं। समारोह के बाद उन्होंने संवाददाताओं से कहा, "मैंने आज पीएम मोदी से बात की। हमारा रिश्ता बहुत अच्छा है। वह रूस से ज्यादा तेल नहीं खरीदेंगे। वे रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करना चाहते हैं जितना मैं चाहता हूं। उन्होंने आयात काफी कम कर दिया है और आगे भी कम करेंगे।" ट्रंप ने इसे "बड़ा कदम" बताया और कहा कि अब चीन पर दबाव बनाना है।
इसके जवाब में पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट किया: "राष्ट्रपति ट्रंप, आपके फोन कॉल और गर्मजोशी भरी दिवाली शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद। इस प्रकाश पर्व पर, हमारे दोनों महान लोकतंत्र (भारत-अमेरिका) आशा की किरण फैलाते रहें और आतंकवाद के हर रूप के खिलाफ एकजुट रहें।" मोदी के इस संदेश में केवल शुभकामनाओं और आतंकवाद विरोधी एकजुटता का जिक्र था, लेकिन रूसी तेल या ट्रेड डील पर कोई टिप्पणी नहीं थी। दूसरी तरफ भारतीय मीडिया भारत-यूएस के बीच ट्रेड डील होने की खबरें बता रहा है।
यह पहला मौका नहीं है जब ट्रंप ने मोदी से ऐसे "आश्वासन" का दावा किया था। पिछले हफ्ते (15 अक्टूबर) उन्होंने कहा था कि मोदी ने रूस तेल आयात तत्काल रोकने का वादा किया। विदेश मंत्रालय ने इसे खारिज करते हुए कहा कि भारत ऊर्जा सुरक्षा और उपभोक्ता हितों के आधार पर आयात नीति तय करता है। मोदी की ट्रंप से कोई बात नहीं हुई है। सितंबर में भारत ने रूस से 1.62 मिलियन बैरल प्रति दिन तेल आयात किया, जो कुल आयात का एक तिहाई है।
कांग्रेस का हमला: "मोदी छिपाते हैं, ट्रंप उजागर करते हैं"
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने इस पर तंज कसते हुए एक्स पर लिखा: "प्रधानमंत्री ने आखिरकार सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया कि राष्ट्रपति ट्रंप ने उन्हें फोन किया था और दोनों के बीच बातचीत हुई थी। लेकिन पीएम ने सिर्फ इतना बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने दिवाली शुभकामनाएं दीं। जहां मोदी बातें छिपा जाते हैं, वहीं ट्रंप उन्हें उजागर कर देते हैं। अपनी ओर से, ट्रंप ने कहा कि दिवाली शुभकामनाओं के अलावा, उन्होंने रूस से भारत के तेल आयात पर बात की और आश्वासन मिला कि ये आयात बंद हो जाएंगे। पिछले छह दिनों में यह चौथी बार है जब ट्रंप ने भारत की नीति की घोषणा की। इससे पहले, 10 मई को ऑपरेशन सिंदूर को रोकने की घोषणा भी ट्रंप ने मोदी से पहले की।"
रमेश ने आगे कहा कि मोदी "मौनी बाबा" बन जाते हैं जब ट्रंप भारत-पाक सीजफायर या रूस तेल पर दावा करते हैं। कांग्रेस का आरोप है कि इससे भारत की विदेश नीति पर सवाल उठते हैं। पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, "ट्रंप की घोषणाएं अमेरिका की नीति तय करती दिख रही हैं, भारत की नहीं। जनता को पूरा ब्योरा चाहिए।"
रूस तेल आयात पर विवाद: ट्रंप का दबाव, भारत की असहमति
ट्रंप प्रशासन ने रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण मॉस्को पर आर्थिक दबाव बढ़ाने के लिए भारत पर जोर दिया है। अगस्त 2025 में ट्रंप ने रूस तेल आयात के बदले भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया, जिससे कुल टैरिफ 50% हो गया। उन्होंने कहा, "अगर वे रूस तेल खरीदते रहेंगे, तो भारी टैरिफ चुकाएंगे।" व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने पुष्टि की कि भारत ने आयात आधा किया है, लेकिन भारतीय स्रोतों ने कहा कि नवंबर के ऑर्डर पहले ही प्लेस हैं, प्रभाव दिसंबर से दिखेगा।
भारत ने स्पष्ट किया कि रूस तेल सस्ता (डिस्काउंट पर) है, जो वैश्विक ऊर्जा संकट में उपभोक्ताओं को राहत देता है। यूरोपीय संघ भी रूस ऊर्जा खरीदता है, इसलिए दोहरा मापदंड नहीं चलेगा। ट्रंप ने इसे "मोदी का युद्ध" कहा, लेकिन भारत ने खारिज किया।
भारत-यूएस ट्रेड डील: 15-16% टैरिफ राहत की उम्मीदें, लेकिन...?
मीडिया में खबरें हैं कि भारत-अमेरिका व्यापार समझौते के पहले चरण पर सहमति बन रही है। मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक भारत और अमेरिका लंबे समय से अटके व्यापार समझौते के करीब पहुंच रहे हैं, जिससे भारतीय आयातों पर अमेरिकी टैरिफ 50 प्रतिशत से घटकर 15 से 16 प्रतिशत हो जाएगा। मिंट ने यह खबर मामले से अवगत तीन लोगों के हवाले से यह खबर दी है।
समझा जाता है कि भारत अमेरिकी कृषि उत्पादों (जैसे डेयरी) के लिए अपना बाजार खोल देगा।
मिंट की रिपोर्ट में कहा गया है कि ऊर्जा और कृषि पर आधारित इस समझौते के तहत भारत धीरे-धीरे रूसी कच्चे तेल के आयात में कमी ला सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि उन्होंने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की। उन्होंने बताया कि बातचीत मुख्यतः व्यापार पर केंद्रित रही। ट्रंप ने कहा कि ऊर्जा पर भी उनकी बातचीत हुई और मोदी ने उन्हें आश्वासन दिया कि भारत रूस से अपनी तेल खरीद सीमित करेगा।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार, चीन के साथ ट्रंप का विवाद (रेयर अर्थ मिनरल्स पर) भारत को फायदा दे सकता है। अमेरिका 16-18% टैरिफ एक्सेस ऑफर कर सकता है, जो वर्तमान 50% से कम है। लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर करना है।
हालांकि, ट्रंप ने कहा, "भारत का व्यापार अमेरिका के लिए एकतरफा आपदा है।" उन्होंने अगस्त में 50% टैरिफ लगाया, जो 48 अरब डॉलर के भारतीय निर्यात (टेक्सटाइल, ज्वेलरी, ऑटो) को प्रभावित कर रहे हैं। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, "भारत-यूएस वार्ता में शानदार प्रगति पर है, अक्टूबर-नवंबर तक पहले चरण का फैसला आएगा।" लेकिन ट्रंप ने 1 नवंबर से चीन पर 155% टैरिफ की घोषणा की, जो भारत को सौदेबाजी का मौका दे सकती है।
भारत की जनता को ब्योरा क्यों नहीं? सवाल बरकरार
मुख्य सवाल यही है कि पीएम मोदी ट्रंप से हुई पूरी बातचीत का ब्योरा क्यों नहीं दे रहे? विशेषज्ञों का कहना है कि यह कूटनीतिक संतुलन बनाए रखने के लिए है। भारत BRICS सदस्य है और रूस से ऊर्जा जरूरी है, लेकिन अमेरिका प्रमुख व्यापारिक साझेदार। टैरिफ राहत मिलने पर अर्थव्यवस्था को फायदा होगा, लेकिन जनता को पारदर्शिता चाहिए।
भारत-अमेरिका दोनों ही रणनीतिक साझेदार हैं। ट्रंप की "मोदी मेरे दोस्त" वाली भाषा सकारात्मक है, लेकिन टैरिफ और तेल आयात पर दबाव जारी है। लेकिन अब लग रहा है कि व्यापार सौदा करीब है, लेकिन अंतिम घोषणा का इंतजार है। कांग्रेस का तंज राजनीतिक है, लेकिन उसकी भी पारदर्शिता की मांग जायज है।