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प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने मोहम्मद जुबैर के खिलाफ FIR वापस लेने की मांग की

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने गुरुवार (28 नवंबर, 2024) को उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक हलफनामा दायर करने की निंदा की, जिसमें पत्रकार और ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर पर "भारत की संप्रभुता और एकता को खतरे में डालने" का आरोप लगाया गया। उनके खिलाफ बीएनएस 152 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने कहा कि सभी समझदार दिमाग इस धारा का विरोध कर रहे हैं क्योंकि इसमें स्वतंत्र विचारकों और मीडिया को चुप कराने की क्षमता है। यह उन लोगों के खिलाफ भी लगाया जा सकता है जो व्यवस्था की आलोचना करते हैं।''

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने कहा- हमने अतीत में ऐसे कई मामले देखे हैं जहां राजद्रोह कानूनों का दुरुपयोग किया गया था। बीएनएस 152 भी वही है लेकिन नए अवतार में। हम पत्रकार मोहम्मद जुबैर के खिलाफ दर्ज एफआईआर को वापस लेने की मांग करते हैं।

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यति नरसिंहानंद के वीडियो देखे होंगे। नफ़रती भाषा और जहर उगलते शब्द। यही आरोप लगते रहे हैं उनपर। उन्हीं वीडियो को ऑल्ट न्यूज़ के सहसंस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर साझा कर कथित हेट स्पीच को लेकर आगाह करते रहे हैं। लेकिन अब एक्स पर ऐसी ही पोस्ट के लिए उनके ख़िलाफ़ गंभीर आरोप लगे हैं। वह भी देश की संप्रभुता को ख़तरे में डालने जैसा गंभीर आरोप। तो सवाल है कि उन्होंने ऐसा क्या किया कि उनपर ऐसे आरोप लगे?

गाजियाबाद पुलिस ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय को बताया है कि ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर के ख़िलाफ़ 8 अक्टूबर को दर्ज की गई एफआईआर में भारतीय न्याय संहिता यानी बीएनएस की धारा 152 के तहत एक नया आरोप जोड़ा गया है। यह आरोप भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को ख़तरे में डालने का है।

गाजियाबाद पुलिस ने अदालत को यह तब बताया जब हाईकोर्ट जुबैर की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। याचिका में जुबैर ने यति नरसिंहानंद का एक वीडियो क्लिप साझा करने को लेकर 8 अक्टूबर को अपने खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी। यह मामला अक्टूबर महीने में पहली बार सामने आया था। दरअसल, जुबैर ने एक्स पर यति नरसिंहानंद के एक के बाद एक कई वीडियो पोस्ट किया था। जुबैर ने 3 अक्टूबर को वीडियो का एक थ्रेड पोस्ट किया था। पहले ट्वीट में एक वीडियो में डासना देवी मंदिर के पुजारी यति नरसिंहानंद को 29 सितंबर को गाजियाबाद में एक कार्यक्रम में पैगंबर मोहम्मद के बारे में भड़काऊ टिप्पणी करते हुए दिखाया गया था। नफरत भरे भाषण देने के लिए जाने जाने वाले पुजारी ने लोगों से पैगंबर के पुतले जलाने का आग्रह किया, जिससे उत्तर प्रदेश भर के मुस्लिम समुदायों ने विरोध प्रदर्शन किया और उन्होंने सख्त कार्रवाई की मांग की।
थ्रेड में अपने दूसरे ट्वीट में जुबैर ने लिखा, 'यति नरसिंहानंद का समर्थन करने वाले लोगों के लिए। राजनीति में महिलाओं, खासकर भाजपा की महिला नेताओं (2021) के बारे में यति नरसिंहानंद सरस्वती महाराज की घिनौनी टिप्पणियों का वीडियो यहां है।' इस ट्वीट के साथ जुबैर ने यति द्वारा महिला राजनेताओं के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने का एक वीडियो पोस्ट किया।
इस थ्रेड में 2022 का एक और वीडियो भी शामिल था, जिसमें यति नरसिंहानंद ने पृथ्वीराज चव्हाण के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की थी।
हालांकि जुबैर यति नरसिंहानंद के पिछले विवादास्पद भाषणों को उजागर कर रहे थे, लेकिन यति नरसिंहानंद सरस्वती ट्रस्ट की महासचिव उदिता त्यागी ने आरोप लगाया कि पुराने वीडियो क्लिप मुसलमानों द्वारा हिंसा भड़काने के इरादे से साझा किए गए थे।

शिकायत में डासना देवी मंडी में हिंसक विरोध प्रदर्शन के लिए अरशद मदनी और असदुद्दीन ओवैसी के साथ जुबैर को दोषी ठहराया गया।

8 अक्टूबर, 2024 की एफआईआर गाजियाबाद जिले में यति नरसिंहानंद सरस्वती ट्रस्ट की महासचिव उदिता त्यागी द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के बाद दर्ज की गई थी, जिसमें दावा किया गया था कि जुबैर ने 3 अक्टूबर को नरसिंहानंद के एक पुराने कार्यक्रम की वीडियो क्लिप मुसलमानों द्वारा उनके खिलाफ हिंसा भड़काने के इरादे से पोस्ट की थी। 

Press Club of India demands withdrawal of FIR against Mohammad Zubair - Satya Hindi

जुबैर ने एफआईआर को चुनौती देते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय का रुख किया। इससे पहले 25 नवंबर को मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने जांच अधिकारी को अगली सुनवाई तक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था, जिसमें जुबैर के खिलाफ लगाई गई आपराधिक धाराओं का स्पष्ट उल्लेख हो। मंगलवार को कोर्ट में जवाब दाखिल करते हुए आईओ ने बताया कि एफआईआर में दो नई धाराएं जोड़ी गई हैं- धारा 152 बीएनएस और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66। 

गौरतलब है कि जुबैर के खिलाफ शुरू में भारतीय न्याय संहिता की धारा 196 (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 228 (झूठे सबूत गढ़ना), 299 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य करना), 356 (3) (मानहानि) और 351 (2) (आपराधिक धमकी के लिए सजा) के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। 

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जुबैर ने हाईकोर्ट में मौजूदा रिट याचिका दायर कर याचिका को खारिज करने और बलपूर्वक कार्रवाई से संरक्षण की मांग की है। अपनी याचिका में उन्होंने कहा कि उनके एक्स पोस्ट में यति के खिलाफ हिंसा का आह्वान नहीं किया गया है। उन्होंने केवल पुलिस अधिकारियों को नरसिंहानंद की हरकतों के बारे में सचेत किया और कानून के अनुसार कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि यह दो वर्गों के लोगों के बीच वैमनस्य या दुर्भावना को बढ़ावा देने के बराबर नहीं हो सकता। याचिका में यह भी कहा गया है कि पैगंबर के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के समय, नरसिंहानंद एक अन्य अभद्र भाषा मामले में जमानत पर थे, जहां उनकी जमानत की शर्त यह निर्धारित थी कि वह ऐसा कोई बयान नहीं देंगे जो सांप्रदायिक वैमनस्य को बढ़ावा दे।

जुबैर ने मानहानि के आरोपों का भी विरोध किया, तर्क दिया कि नरसिंहानंद की टिप्पणियों के सार्वजनिक रूप से सुलभ वीडियो साझा करना मानहानि नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि नरसिंहानंद पहले से ही एक अलग घृणास्पद भाषण मामले में जमानत पर हैं, जिसमें उन्हें सांप्रदायिक वैमनस्य भड़काने वाले बयान देने से रोकने की शर्तें हैं। 

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ऑल्ट न्यूज़ ने नए आरोपों की निंदा करते हुए एक बयान जारी किया। बयान में समाचार पोर्टल ने कहा, 'आलोचकों ने लंबे समय से चेतावनी दी है कि इस प्रावधान का इस्तेमाल असहमति को दबाने और सत्ता में बैठे लोगों की आलोचना करने वाली आवाज़ों को निशाना बनाने के लिए किया जा सकता है, ठीक उसी तरह जैसे पहले राजद्रोह कानूनों का दुरुपयोग किया गया था। जुबैर का मामला इस बात का एक स्पष्ट उदाहरण है कि कैसे ये डर वास्तविकता बन रहे हैं। यह हलफनामा इस बात का एक और उदाहरण है कि कैसे राज्य मशीनरी का इस्तेमाल नफरत और गलत सूचना को उजागर करने के लिए प्रतिबद्ध व्यक्तियों और संगठनों को डराने के लिए किया जा रहा है।'

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क़मर वहीद नक़वी
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