बैंकिंग सेक्टर में हलचल है। आरबीआई ने कर्ज बाँटने के लिए अब ऐसे नियम लगा दिए हैं जिससे कर्ज देने की रफ्तार धीमी पड़ेगी। बैंक ऑफ़ बड़ौदा से लेकर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया यानी एसबीआई तक चिंतित हैं। एसबीआई ने कहा है कि कर्ज में कमी आने की आशंका है। बैंक ऑफ़ बड़ौदा ने कहा है कि बफर कैपिटल पर असर पड़ेगा। एनबीएफसी यानी नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों की तरफ़ से भी कर्ज कम होने की शिकायत की गई है। सरकार की योजना तो अधिक से अधिक कर्ज बाँटकर अर्थव्यवस्था को रफ़्तार देने की है। तो सवाल है कि आख़िर आरबीआई ने यह फ़ैसला क्यों लिया कि बाज़ार में लोगों को कम कर्ज मिले? क्या उस कर्ज के डूबने की आशंका है और फिर बैंकिंग सेक्टर पर संभावित संकट का डर?