बेंगलुरु में भगदड़ के लिए कौन ज़िम्मेदार है? आरसीबी की सोशल मीडिया पोस्ट, कार्यक्रम में बदलाव, सरकार की चूक, या पुलिस प्रशासन की लापरवाही? वैसे, बेंगलुरु पुलिस ने रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु यानी आरसीबी, कर्नाटक राज्य क्रिकेट एसोसिएशन यानी केएससीए और आयोजन से जुड़ी कंपनी डीएनए के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की है। लेकिन सवाल उठ रहे हैं कि इस आयोजन में किस-किस स्तर पर चूक और लापरवाही हुई?
पहले इस पूरे मामले के घटनाक्रम को समझिए। रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु की तीन जून को ऐतिहासिक जीत हुई। चार जून को ख़बर आई कि बेंगलुरु में विजय परेड के लिए मंजूरी नहीं मिली। फिर इसी बीच आरसीबी के आधिकारिक एक्स हैंडल से 4 जून को दोपहर 3:14 बजे पुष्टि की गई कि शाम 5 बजे से विधान सौधा से चिन्नास्वामी स्टेडियम तक एक विजय परेड आयोजित होगी और इसके बाद स्टेडियम के अंदर एक सम्मान समारोह होगा। पोस्ट में मुफ्त पास के लिए एक लिंक शामिल था, जिसमें लिमिटेड एंट्री की घोषणा की गई और प्रशंसकों से पुलिस दिशानिर्देशों का पालन करने का अनुरोध किया गया।
पोस्ट में लिखा था, 'विजय परेड के बाद चिन्नास्वामी स्टेडियम में उत्सव होगा। हम सभी प्रशंसकों से अनुरोध करते हैं कि वे पुलिस और अन्य अधिकारियों द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों का पालन करें ताकि सभी शांतिपूर्वक रोडशो का आनंद ले सकें। मुफ्त पास (सीमित प्रवेश) shop.royalchallengers.com पर उपलब्ध हैं।'
4 जून से पहले आरसीबी ने कर्नाटक राज्य क्रिकेट एसोसिएशन यानी केएससीए के माध्यम से पहल की थी। इसने 3 जून को विधान सौधा में एक सम्मान समारोह आयोजित करने की अनुमति मांगने के लिए एक पत्र भेजा था। एनडीटीवी ने ख़बर दी है कि बेंगलुरु पुलिस ने तैयारी के लिए उत्सव को कम से कम दो दिन टालने का सुझाव दिया था।
रिपोर्ट है कि बेंगलुरु पुलिस ने उसी दिन दोपहर में भी साफ़ किया कि शहर में यातायात और भीड़ प्रबंधन की समस्याओं के कारण कोई विजय परेड नहीं होगी। इसके बजाय, कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन यानी केएससीए द्वारा चिन्नास्वामी स्टेडियम में एक बंद समारोह आयोजित करने का निर्णय लिया गया।
रिपोर्ट है कि इस अचानक बदलाव ने प्रशंसकों में भ्रम की स्थिति पैदा कर दी। बड़ी संख्या में प्रशंसक परेड की उम्मीद में स्टेडियम के आसपास जमा हो गए थे। वे बिना स्पष्ट जानकारी के इंतजार करते रहे। आरसीबी और बेंगलुरु पुलिस के परस्पर विरोधी बयानों ने स्थिति को और जटिल बना दिया।
लेकिन इन सब घटनाक्रमों के बीच चार जून को उत्सव समारोह हुआ। एक जगह नहीं, बल्कि दो जगहों पर। एक विधान सौधा में और दूसरा चिन्नास्वामी स्टेडियम में।
कहा जा रहा है कि एक साथ दो सभाओं ने मौजूदा संसाधनों के लिए बड़ी चुनौती पेश कर दी। विधान सौधा के बाहर एक लाख से अधिक लोग जमा हुए, स्टेडियम में भीड़ की संख्या तीन लाख से अधिक होने का अनुमान लगाया गया। दोनों स्थानों पर पुलिस बल बंट गया। इसका नतीजा यह हुआ कि अफरा तफरी जैसा माहौल बन गया और व्यवस्था संभालने वाले कथित तौर पर कम पड़ गए। इसका नतीजा यह हुआ कि 11 लोगों की मौत हो गई और 33 से ज़्यादा घायल हो गए।
सरकार की चूक
इस त्रासदी के लिए कर्नाटक सरकार को व्यापक रूप से ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा है। विपक्षी दल बीजेपी ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उप-मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने जल्दबाजी में विजय उत्सव का आयोजन किया, बिना उचित सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन की व्यवस्था किए। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने एक्स पर लिखा, 'मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री ने फोटो खिंचवाने की जल्दी में आरसीबी को बाध्य किया कि फाइनल जीतने के 12 घंटे के अंदर ही उत्सव आयोजित किया जाए। इसका नतीजा 11 लोगों की मौत और 50 से अधिक लोगों के घायल होने के रूप में सामने आया। पूर्व में जिस प्रकार अल्लू अर्जुन को भगदड़ का जिम्मेदार बताकर उन्हें गिरफ़्तार किया गया था, क्या आज सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार गिरफ़्तार किए जाएँगे?'
राज्य पुलिस प्रमुख की रिपोर्ट में भी इस बात का उल्लेख किया गया कि आयोजन की सूचना बहुत कम समय पहले दी गई थी, जिसके कारण पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम करना संभव नहीं हो सका। इसके बावजूद सरकार ने कार्यक्रम को आगे बढ़ाने का फ़ैसला किया, जो एक बड़ी चूक साबित हुई। कर्नाटक हाई कोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए सरकार को 10 जून तक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।
आरोप लगाया जा रहा है कि इस घटना ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उप-मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच तालमेल की कमी को भी उजागर किया और इसी कारण पुख्ता व्यवस्था नहीं हो पाई। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने जाँच का आश्वासन दिया है, जिसमें हादसे के कारणों के साथ-साथ लापरवाही के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों की भी पहचान की जाएगी।
यह त्रासदी न केवल एक खेल आयोजन की विफलता है, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और समन्वय की कमी का दुखद उदाहरण है। आरसीबी की जीत का जश्न अब एक दर्दनाक स्मृति बन गया है। इस घटना ने यह सवाल उठाया है कि क्या भविष्य में ऐसे आयोजनों के लिए बेहतर योजना और जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी। फिलहाल, पीड़ितों के परिवारों को न्याय और सहायता की उम्मीद है, जबकि शहर इस हादसे से उबरने की कोशिश कर रहा है।