2018 के कर्नाटक चुनाव के बाद राज्य की राजनीति में जो हुआ, वैसी उठापटक कभी देखी नहीं गई। बीजेपी का पूरा समय मुख्यमंत्री बदलने में ही बीता। बसवराज बोम्मई के कार्यकाल में करप्शन के सबसे तीखे आरोपों का सामना राज्य की बीजेपी सरकार को करना पड़ा। 1985 के बाद से, राज्य ने बाद के चुनावों में किसी भी पार्टी को दोबारा सत्ता में बरकरार नहीं देखा है। आखिरी बार जनता पार्टी और उसके तत्कालीन मुख्यमंत्री रामकृष्ण हेगड़े ने यह करिश्मा किया था। 2023 के चुनावों के परिणाम तय करेंगे कि क्या भाजपा इतिहास को फिर से लिख सकती है। वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में बीएस येदियुरप्पा के छह दिवसीय कार्यकाल के साथ शुरू हुआ था।
कर्नाटकः क्या इस बार लिंगायत-वोक्कालिगा की सुपरमेसी बरकरार रहेगी
- कर्नाटक
- |
- 29 Mar, 2025
कर्नाटक के चुनाव यह भी तय करेंगे कि राज्य का मुख्यमंत्री लिंगायत या वोक्कालिगा में से चुना जाएगा या फिर इन्हीं समुदायों का कब्जा बरकरार रहेगा। इस मामले में राज्य का पिछला इतिहास जानना जरूरी है।
