भारत चाँद पर पहुँचने वाला है। गौरव के इस क्षण में मेरी नज़र चाँद पर भी है और ज़मीन पर भी, जहाँ चाँद से भी ज़्यादा गहरे गड्ढे हैं। दुनियाभर में सूरज की आग में जलते लोकतंत्र को चाँद की ठंडक चाहिए। यह ठंडक आएगी सूचनाओं की पवित्रता और साहसिकता से, न कि नेताओं की ऊँची आवाज़ से। सूचना जितनी पवित्र होगी, नागरिकों के बीच भरोसा उतना ही गहरा होगा। देश सही सूचनाओं से बनता है। फ़ेक न्यूज़, प्रोपेगंडा और झूठे इतिहास से भीड़ बनती है...। यहाँ सिर्फ़ मैं नहीं आया हूँ, मेरे साथ पूरी हिन्दी पत्रकारिता आई है, जिसकी हालत इन दिनों बहुत शर्मनाक है। गणेश शंकर विद्यार्थी और पीर मूनिस मोहम्मद की साहस वाली पत्रकारिता आज डरी-डरी-सी है। उसमें कोई दम नहीं है। अब मैं अपने विषय पर आता हूँ।