केंद्र सरकार यह समझ चुकी है कि आरक्षण को लेकर ओबीसी तबक़ा शांत है। संभवतः आरक्षण पूरी तरह से इसलिए नहीं ख़त्म किया जा रहा है क्योंकि ऐसा करने पर सरकार के ख़िलाफ़ यह तबक़ा एकजुट हो सकता है। इसके अलावा हर संभव तरीक़े से सरकार आरक्षण व्यवस्था को ध्वस्त करने में जुटी हुई है।
आरक्षण के मसले पर क्यों ख़ामोश है ओबीसी वर्ग?
- विचार
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- 3 Dec, 2019

केंद्र सरकार हर संभव तरीक़े से आरक्षण व्यवस्था को ध्वस्त करने में जुटी हुई है। लेकिन ओबीसी तबक़ा शांत है, आख़िर क्यों?
छत्तीसगढ़ में अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी) और अनुसूचित जाति (एससी) का आरक्षण बढ़ाए जाने और कुल आरक्षण 72 प्रतिशत किए जाने के ख़िलाफ़ लामबंदी तेज हो गई है। सामान्य वर्ग हित सुरक्षा मंच, ब्राह्मण विकास परिषद जैसे तमाम संगठन तो आरक्षण ख़त्म करने की मांग को लेकर सड़कों पर हैं ही, राजस्थान में पुष्कर के पुरोहितों तक ने आरक्षण ख़त्म किए जाने की मांग शुरू कर दी है। वहीं, पिछड़े वर्ग द्वारा आरक्षण के समर्थन में कोई रैली नहीं निकल रही है।
विभिन्न विश्वविद्यालयों की भर्तियों सहित तमाम विभागों में भर्तियों में आरक्षण के नियमों का पालन नहीं हो रहा है, उसके ख़िलाफ़ इक्का-दुक्का ख़बरों को छोड़ दें तो कोई विरोध प्रदर्शन नहीं चल रहा है। आख़िर क्या वजह है कि ओबीसी वर्ग ख़ामोश है, जिसकी आबादी देश की कुल आबादी के 54 प्रतिशत से भी ज़्यादा मानी जाती है? इसके लिए आरक्षण की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से लेकर मौजूदा पिछड़ेपन का संक्षिप्त अध्ययन करना होगा।