लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस एक बड़े संकट में फँस गयी है। राहुल गाँधी ने नैतिक ज़िम्मेदारी लेते हुये इस्तीफ़ा दे दिया है और पार्टी के तमाम दबाव के बावजूद वह इस्तीफ़ा वापस लेने को तैयार नहीं हैं। कांग्रेस वर्किंग कमेटी उन्हें मनाने में लगी है। राहुल का कहना है कि अध्यक्ष कोई और बने। वह पार्टी में बने रहेंगे। पर क्या कांग्रेस बिना नेहरू गाँधी परिवार के चल पायेगी? एक रह पायेगी?

संघर्षों से तप कर राहुल गाँधी की स्वीकार्यता बढ़ सकती है या फिर कांग्रेस के भीतर से कोई नया नेता खड़ा हो सकता है। राहुल की जगह किसी और को पार्टी का अध्यक्ष बना देने से पार्टी की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं क्योंकि पूरे देश में स्वीकार्य कोई और नेता कांग्रेस के पास फ़िलहाल नहीं है।
दरअसल, दो चुनावों में लगातार कांग्रेस के औसत से भी ख़राब प्रदर्शन के बाद दो सवाल खड़े हो रहे हैं। पहला तो यह कि क्या कांग्रेस ख़त्म हो रही है? दूसरा, क्या राहुल गाँधी में पार्टी का नेतृत्व करने की क्षमता है? इन दोनों सवालों का जवाब देश की बदलती सामाजिक राजनीतिक परिस्थितियों में छिपा है।
शैलेश कुमार न्यूज़ नेशन के सीईओ एवं प्रधान संपादक रह चुके हैं। उससे पहले उन्होंने देश के पहले चौबीस घंटा न्यूज़ चैनल - ज़ी न्यूज़ - के लॉन्च में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। टीवी टुडे में एग्ज़िक्युटिव प्रड्यूसर के तौर पर उन्होंने आजतक