कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक शुक्रवार को दिल्ली में होगी। समझा जाता कि इसमें जाति जनगणना के मुद्दे पर रणनीति बनाई जाएगी। कांग्रेस इसे अपनी जीत के रूप में देख रही है।
जाति गणना के मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी अपनी रणनीति को मजबूत करने के लिए सक्रिय हो गई है। शुक्रवार को कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक बुलाई गई है, जिसमें इस मुद्दे पर पार्टी की स्थिति और भविष्य की दिशा तय की जाएगी। यह बैठक शाम 4 बजे नई दिल्ली में होगी।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "जाति जनगणना हमारी लंबे समय से चली आ रही मांग है। सरकार ने इसकी घोषणा की, लेकिन हमें समयसीमा, बजट और 50% आरक्षण की सीमा जैसे सवालों के जवाब चाहिए।" कांग्रेस इस मुद्दे को अपने सामाजिक न्याय के एजेंडे के केंद्र में रखना चाहती है। वो खासकर उन अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को टारगेट कर रही है जो पिछले कुछ चुनावों से बीजेपी की तरफ झुके हैं।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस घोषणा को अपनी पार्टी की जीत के रूप में पेश किया है। उन्होंने कहा, "हमने दिखाया है कि हम सरकार पर दबाव डाल सकते हैं। हम 50% आरक्षण की सीमा को हटाने के लिए भी दबाव बनाएंगे।" उन्होंने तेलंगाना में किए गए जाति सर्वेक्षण को एक मॉडल बताया, जिसे राष्ट्रीय स्तर पर अपनाने की वकालत की।
पार्टी के भीतर इस बात पर जोर है कि जनता को यह बताया जाए कि सरकार का यह फैसला कांग्रेस के लगातार दबाव का नतीजा है। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस इस मुद्दे पर अपनी नैतिक जीत को भुनाने की कोशिश करेगी, ताकि ओबीसी और अन्य वंचित समुदायों के बीच अपनी पैठ बढ़ा सके।
हालांकि, बीजेपी ने इस घोषणा को कांग्रेस के खिलाफ एक रणनीतिक कदम के रूप में पेश किया है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद से कांग्रेस ने कभी जाति जनगणना नहीं कराई और इसे केवल "राजनीतिक हथियार" के रूप में इस्तेमाल किया।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि राहुल गांधी जी ने बुधवार को कहा था कि हेडलाइन तो दी गई, लेकिन इसमें डेडलाइन नहीं है। हम सब जानते हैं कि ऐसे काम में नरेंद्र मोदी कितने माहिर हैं। इसी को देखते हुए राहुल गांधी जी ने कहा है कि सरकार जातिगत जनगणना को लेकर पूरा रोडमैप सामने रखे। हम छह साल से जनगणना का इंतज़ार कर रहे हैं और इससे पहले तो जाति शब्द का कोई जिक्र नहीं था, लेकिन कल अचानक जातिगत जनगणना की बात कह दी गई।
कांग्रेस की यह बैठक न केवल जाति जनगणना के डिजाइन और इसे लागू करने के तरीके पर चर्चा करेगी, बल्कि यह भी तय करेगी कि पार्टी इस मुद्दे पर अपनी पहल को बनाए रखे। राहुल गांधी और अन्य वरिष्ठ नेता इस बैठक में शामिल होंगे, जिसमें कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से भी इस विषय पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
इस बीच, कांग्रेस ने यह भी स्पष्ट किया कि वह जाति जनगणना को केवल आरक्षण तक सीमित नहीं रखना चाहती, बल्कि इसका इस्तेमाल देश के संस्थानों और शक्ति संरचना में विभिन्न समुदायों की भागीदारी को समझने के लिए करना चाहती है।
यह मुद्दा जैसे जैसे राजनीतिक रूप से गरमाता जा रहा है, कांग्रेस और बीजेपी दोनों इस पर अपनी-अपनी जीत का दावा कर रही हैं। अब यह देखना बाकी है कि कांग्रेस इस बैठक के बाद किस तरह की रणनीति अपनाती है और क्या वह जनता के बीच अपनी बात को प्रभावी ढंग से रख पाती है। हकीकत यही है कि नेता विपक्ष राहुल गांधी ने इस मुद्दे को काफी प्रमुखता से उठाया।