प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोनिया गांधी-राहुल गांधी के खिलाफ एक विशेष अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया है। यह मामला नेशनल हेराल्ड केस से जुड़ा हुआ है। हालांकि ईडी पर राजनीतिक बदले की भावना से काम करने का आरोप है।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी नेता राहुल गांधी के खिलाफ नेशनल हेराल्ड मामले में एक अहम कदम उठाते हुए चार्जशीट दाखिल की है। यह चार्जशीट राउज एवेन्यु कोर्ट में दाखिल की गई और इसमें कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। ईडी ने मंगलवार को ही सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वॉड्रा को एक अन्य मामले में पूछताछ के लिए तलब किया। वाड्रा पैदल चलकर ईडी के दफ्तर जा पहुंचे। दोनों घटनाक्रम से साफ हो गया है कि ईडी गांधी परिवार और उनसे जुड़े लोगों पर कार्रवाई कर रही है। ईडी पर राजनीतिक बदले की भावना से कार्रवाई करने का आरोप पहले से ही लग रहा है।
नेशनल हेराल्ड केस एक दशक पुराना मामला है, जिसमें गांधी परिवार पर एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की संपत्तियों का दुरुपयोग करने और यंग इंडियन लिमिटेड के माध्यम से संपत्ति अधिग्रहण में वित्तीय अनियमितताओं का आरोप है। ईडी ने दावा किया है कि यंग इंडियन को AJL का स्वामित्व एक नाममात्र कीमत पर ट्रांसफर किया गया था, जिससे गांधी परिवार को करोड़ों की संपत्तियाँ नियंत्रित करने का अधिकार मिला।
नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़ा यह मामला 2012 में तब चर्चा में आया, जब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य कांग्रेस नेताओं पर धन शोधन और संपत्ति के दुरुपयोग का आरोप लगाया था। स्वामी ने अपनी शिकायत में दावा किया था कि कांग्रेस नेताओं ने यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड (वाईआई) नामक कंपनी के जरिए एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की संपत्तियों को अवैध रूप से हड़प लिया, जो नेशनल हेराल्ड अखबार का प्रकाशन करती थी।
चार्जशीट में आरोप लगाया गया है कि इस सौदे से सरकारी नियमों का उल्लंघन हुआ है और यह मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत आता है। ईडी के अनुसार, इस लेनदेन में 90 करोड़ रुपये से अधिक की कथित मनी लॉन्ड्रिंग हुई। ईडी की जांच के अनुसार, यंग इंडियन, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी की 38-38% हिस्सेदारी है, ने एजेएल की 2000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों को मात्र 50 लाख रुपये में हासिल कर लिया। जांच एजेंसी ने इसे संपत्ति की कीमत को कम आंकने और धन शोधन का मामला बताया। इसके अलावा, ईडी ने दावा किया कि कांग्रेस पार्टी ने एजेएल को 90.21 करोड़ रुपये का कर्ज दिया, जिसे बाद में यंग इंडियन ने अपने नियंत्रण में ले लिया।
सूत्रों के अनुसार, अदालत अब इस चार्जशीट पर 20 अप्रैल को विचार करेगी और तय करेगी कि आगे की कानूनी कार्रवाई क्या होगी। अगर अदालत आरोपों को सही पाती है, तो गांधी परिवार को अदालत में पेश होना पड़ सकता है और लंबी कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़ सकता है।
पिछले कुछ वर्षों में, ईडी ने इस मामले में कई लोगों से पूछताछ की, जिसमें सोनिया गांधी, राहुल गांधी, दिवंगत कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडिस, और अन्य शामिल हैं। 2023 में, ईडी ने दिल्ली, मुंबई और लखनऊ में एजेएल की 661 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियों और 90.21 करोड़ रुपये की शेयर हिस्सेदारी को अटैच किया था। हाल ही में, अप्रैल 2025 में, ईडी ने इन संपत्तियों को अपने कब्जे में लेने की प्रक्रिया शुरू की, जिसके बाद यह चार्जशीट दाखिल की गई।
कांग्रेस का जवाबः कांग्रेस पार्टी ने ईडी की इस कार्रवाई को "राजनीतिक प्रतिशोध" करार दिया है। पार्टी प्रवक्ता जयराम रमेश ने एक बयान में कहा, "यह केंद्र सरकार की ओर से कांग्रेस नेतृत्व को बदनाम करने की साजिश है। नेशनल हेराल्ड मामले में कोई अनियमितता नहीं है, और हम इस मामले में कानूनी लड़ाई लड़ेंगे।" राहुल गांधी ने भी पहले इस जांच को "विपक्ष को दबाने की कोशिश" बताया था।
इस घटनाक्रम से राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है, खासकर ऐसे समय में जब देश में आम चुनाव नजदीक हैं। कांग्रेस ने इसे लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला बताया है, जबकि सत्तारूढ़ भाजपा ने इसे कानून की जीत करार दिया है। इस केस पर देश की नजर टिकी हुई है, और आने वाले हफ्तों में इसके कानूनी और राजनीतिक नतीजे दूरगामी हो सकते हैं।
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि चार्जशीट दाखिल होने के बाद यह मामला और जटिल हो सकता है। ईडी की ओर से कोर्ट में पेश किए जाने वाले सबूत और गवाह इस केस की दिशा तय करेंगे। अगर दोष सिद्ध होता है, तो सोनिया और राहुल गांधी को गंभीर कानूनी परिणामों का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें जुर्माना और सजा शामिल हो सकती है।
क्या है नेशनल हेराल्ड का इतिहास? नेशनल हेराल्ड अखबार की स्थापना 1938 में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने की थी। यह अखबार स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कांग्रेस पार्टी का मुखपत्र रहा। हालांकि, वित्तीय संकट के कारण 2008 में इसका प्रकाशन बंद हो गया। इसके बाद, एजेएल के पास दिल्ली, मुंबई, लखनऊ और अन्य शहरों में मूल्यवान रियल एस्टेट संपत्तियां रह गईं, जिनके कथित दुरुपयोग का यह मामला है।