Emergency Debate: पीएम मोदी ने हर साल की तरह इस साल भी 50 साल पहले लगाई गई इमरजेंसी के लिए कांग्रेस को कोसा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने लोकतंत्र को कमजोर किया। इस पर कांग्रेस ने मोदी के 11 साल के शासन को "अघोषित आपातकाल" बताया।
बीजेपी शासित केंद्र सरकार बुधवार को आपातकाल के 50वें साल को 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में मना रही है। इ, मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस के बीच तीखी राजनीतिक बहस छिड़ गई। पीएम मोदी ने 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल को भारत के लोकतंत्र का "सबसे काला अध्याय" करार देते हुए कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। जवाब में, कांग्रेस ने मोदी सरकार पर पिछले 11 वर्षों से "अघोषित आपातकाल" चलाने का आरोप लगाया। कांग्रेस ने कहा कि इन 11 वर्षों में लोकतंत्र पर "पांच स्तरों पर व्यवस्थित हमला" किया गया और किया जा रहा है।
पीएम मोदी के ट्वीट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार सुबह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कई पोस्ट साझा किए, जिसमें उन्होंने आपातकाल के दौरान हुए अत्याचारों को याद किया। उन्होंने लिखा:
"कोई भी भारतीय यह कभी नहीं भूल सकता कि आपातकाल के दौरान हमारे संविधान की भावना का उल्लंघन किया गया, संसद की आवाज को दबाया गया और अदालतों को नियंत्रित करने की कोशिश की गई। 42वां संशोधन इसका प्रमुख उदाहरण है। गरीब, हाशिए पर पड़े और वंचित लोग विशेष रूप से निशाने पर थे, उनकी गरिमा का अपमान किया गया।"
पीएम मोदी ने लिखा- "आपातकाल भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे काला अध्याय है। हम अपने संविधान के सिद्धांतों को मजबूत करने और विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"
मोदी ने अपनी किताब 'द इमरजेंसी डायरीज' के प्रकाशन पर भी संतोष व्यक्त किया, जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रचारक के रूप में आपातकाल के दौरान अपने अनुभवों का जिक्र किया है।
मोदी आपातकाल की आड़ में छिप रहे हैंः खड़गे
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि देश में अघोषित आपातकाल लगा हुआ है। उन्होंने भाजपा पर अपनी शासन विफलता को छिपाने के लिए संविधान हत्या दिवस का “नाटक” करने का आरोप लगाया। मोदी के कटाक्ष पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा कि जिस सरकार में कोई सहनशीलता नहीं है और जो भाईचारे और स्वतंत्रता को पनपने नहीं देती, उसे दूसरों को उपदेश देने का कोई अधिकार नहीं है।
दिल्ली स्थित कांग्रेस के इंदिरा भवन में एक संवाददाता सम्मेलन में खड़गे ने कहा कि जिन लोगों ने “देश की आजादी में, संविधान बनाने में कोई भूमिका नहीं निभाई और बाबासाहेब आम्बेडकर के संविधान को खारिज कर दिया”, वे आपातकाल लगाए जाने के 50 साल बाद इसे उछाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि वही लोग अब संविधान बचाने की बात कर रहे हैं। खड़गे ने कहा कि मोदी और उनके शासन के कारण संविधान खतरे में है। मोदी सरकार में अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है।
कांग्रेस का पलटवार: मोदी का अघोषित आपातकाल
कांग्रेस ने पीएम मोदी के हमलों का जवाब देते हुए दावा किया कि पिछले 11 वर्षों से मोदी सरकार के तहत देश में "अघोषित आपातकाल" चल रहा है। कांग्रेस के महासचिव (संचार प्रभारी) जयराम रमेश ने X पर पोस्ट करते हुए लिखा:
11 साल अघोषित आपातकाल- भारतीय लोकतंत्र पर पांच दिशाओं से हो रहे हमले पर हमारा वक्तव्य।
विरोधियों को अर्बन नक्सली और खालिस्तानी कहती है सरकारः कांग्रेस
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार के आलोचकों को नियमित रूप से बदनाम किया जाता है, नफरत और कट्टरता को जानबूझकर बढ़ावा दिया जाता है, विरोध करने वाले किसानों को "खालिस्तानी" और जाति जनगणना के समर्थकों को "शहरी नक्सली" करार दिया जाता है। रमेश ने आगे लिखा:
"महात्मा गांधी के हत्यारों का महिमामंडन किया जाता है। अल्पसंख्यक अपनी जान और संपत्ति के डर में जी रहे हैं। दलितों और अन्य हाशिए पर पड़े समूहों को असमान रूप से निशाना बनाया गया है, और नफरत भरे भाषण देने वाले मंत्रियों को पदोन्नति से पुरस्कृत किया गया है।"रमेश ने 2024 के आम चुनावों का हवाला देते हुए कहा कि "प्रधानमंत्री ने नया संविधान बनाने और डॉ. आंबेडकर की विरासत को धोखा देने के लिए 'चार सौ पार' का नारा दिया था, लेकिन मतदाताओं ने इसे खारिज कर मौजूदा संविधान को संरक्षित करने का फैसला किया।"
असली मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए इमरजेंसी का रागः कांग्रेस
कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने हाल के पहलगाम आतंकी हमले जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर ध्यान देने के बजाय, 50 साल पुराने आपातकाल को उठाकर ध्यान भटकाने की कोशिश की है। जयराम रमेश ने कहा:
"2014 से देश में अघोषित आपातकाल लागू है। वे 50 साल पुरानी बात को उठा रहे हैं ताकि आज के सवालों से ध्यान हटाया जाए।" कांग्रेस ने पहलगाम हमले और राष्ट्रीय सुरक्षा पर चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक और विशेष संसदीय सत्र की मांग की है।राजनीतिक तनाव और आपातकाल की पृष्ठभूमि
25 जून, 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की थी, जो लगभग दो साल (1975-1977) तक चला। इस दौरान नागरिक स्वतंत्रता निलंबित कर दी गई थी, विपक्षी नेताओं और प्रेस की स्वतंत्रता पर कड़ा प्रहार हुआ था। इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा इंदिरा गांधी का रायबरेली से चुनाव रद्द किए जाने और कई राज्यों में कांग्रेस सरकारों के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के बीच यह कदम उठाया गया था। 42वें संवैधानिक संशोधन ने व्यापक बदलाव किए, जिससे सत्ता का केंद्रीकरण और न्यायिक निगरानी सीमित हुई थी।
बीजेपी ने कहा- मीडिया की आवाज दबा दी गई
बीजेपी नेताओं ने 1975 के आपातकाल के दौरान बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियों, सेंसरशिप और नागरिक स्वतंत्रता के निलंबन को याद करते हुए कांग्रेस की आलोचना की। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने X पर लिखा:
"इंदिरा गांधी ने आपातकाल लागू कर अपनी तानाशाही मानसिकता दिखाई और हमारे लोकतंत्र की आत्मा को कुचल दिया। लाखों लोगों को बिना किसी अपराध के जेल में डाल दिया गया और मीडिया की आवाज को दबा दिया गया।"
इमरजेंसी और आरएसएस
इमरजेंसी का जिक्र आते ही आरएसएस के स्टैंड की बात आ जाती है। वरिष्ठ पत्रकार पीयूष बबेले ने बुधवार को एक्स पर आरएसएस के देवरस का पत्र साझा करते हुए लिखाः RSS वाले पिछले 50 साल से यह झूठ फैला रहे हैं कि इंदिरा गांधी ने आपातकाल इसलिए लगा दिया था क्योंकि उनकी संसद सदस्यता रद्द कर दी गई थी। यह देखिए तब के RSS प्रमुख बालासाहब देवरस का इंदिरा गाँधी को लिखा पत्र जिसमें वह ख़ुद इंदिरा गाँधी को बधाई दे रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट की पाँच जजों की पीठ ने श्रीमती इंदिरा गांधी के निर्वाचन को वैध ठहराया है। अब समय आ गया है कि 50 साल के झूठ से पर्दा हटाया जाय।