नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ शाहीन बाग़ में 15 दिसंबर से महिलाओं के नेतृत्व में प्रदर्शन शुरू हुआ। अब ऐसा ही प्रदर्शन देश भर में फैलता जा रहा है। दुनिया के मीडिया की नज़र शाहीन बाग़ पर है। इस बीच सरकार के लिए परेशानी का सबब बन चुके ‘शाहीन बाग़’ के बारे में 16 जनवरी को अचानक सोशल मीडिया पर एक हैशटैग तैरने लगा। ‘#बिकाऊऔरते_शहीनबागकी’। बहुत दुखद आश्चर्य हुआ।
शाहीन बाग़ की महिलाओं के चरित्र पर लाँछन लगाने वाले लोग कौन?
- पाठकों के विचार
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- 19 Jan, 2020

नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ शाहीन बाग़ में महिलाओं के नेतृत्व में प्रदर्शन शुरू हुआ। लेकिन 16 जनवरी को अचानक सोशल मीडिया पर एक हैशटैग तैरने लगा। ‘#बिकाऊऔरते_शहीनबागकी’। किसने ट्रेंड कराया?
जब इसके पीछे की कहानी समझने की कोशिश की तो पाया कि एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें दो लड़के बात कर रहे हैं। बात कर रहे हैं शाहीन बाग़ में हो रहे विरोध-प्रदर्शन को लेकर। विरोध हो रहा है नागरिकता संशोधन क़ानून यानी सीएए, देशव्यापी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी एनआरसी, और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर यानी एनपीआर में जोड़े गए कुछ ग़ैर ज़रूरी और नुक़सानदेह सवालों को लेकर।
पहली नज़र में हैशटैग को लेकर कुछ लिखना-पढ़ना अटपटा लग सकता है, लेकिन ऐसे वक़्त में जब हैशटैग समाचारों की हेडलाइनों को निर्धारित करता हो, इन्हें नज़रअंदाज़ करना न सिर्फ़ मूर्खता है बल्कि ग़लत धारणाओं को बढ़ावा देना भी है। अब अपने मूल विषय पर लौटते हैं।