अर्थव्यवस्था की हालत ख़राब होना तो सरकार ने भी मान लिया है। इसके लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मनमोहन सिंह को ज़िम्मेदार बताया। क्या सच में ऐसा है? क्या प्रधानमंत्री मोदी की कोई जवाबदेही नहीं है? कौन ज़िम्मेदार है? नरेंद्र मोदी या मनमोहन सिंह? देखिए सत्य हिंदी पर आशुतोष की बात।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पलटवार करते हुए सरकार पर आरोप लगाया है कि वह अपनी नाकामियों के लिए दूसरों पर दोष मढ़ने में लगी है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का कार्यकाल सरकारी बैंकों के लिए सबसे ख़राब था।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारत के लिए साल 2019 के अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में 1.2 प्रतिशत अंक की कटौती कर इसे 6.1 प्रतिशत कर दिया है।
देश की आर्थिक बदहाल की बात तो केंद्र सरकार स्वीकार नहीं कर रही है, पर अब ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत का स्थान 5 साल में बहुत नीचे खिसका है।
केंद्रीय क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कुछ दिन पहले कहा था कि अगर फ़िल्में करोड़ों का कारोबार कर रही हैं तो फिर देश में मंदी कैसे है।
सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचना वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पति परकल प्रभाकर ने ही की है। देश की आर्थिक स्थिति ख़राब है। निर्मला के पति ने क्यों उठाये सवाल? क्या निर्मला उनकी बात को सुनेंगी और आर्थिक फ़ैसले में बदलाव लाएँगी? सत्य हिंदी पर देखिए शैलेश की रिपोर्ट।
क्या तमाम आर्थिक इन्डीकेटर यह संकेत दे रहे हैं कि बहुत जल्द अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मंदी की शुरुआत हो जाएगी?
अर्थव्यवस्था में चल रही उथल-पुथल और मंदी के बीच सरकार ने अब कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए कंपनी एक्ट में संशोधन करने जा रही है। किसको होगा फ़ायदा?
ख़राब आर्थिक हालत के लिए अब आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने सरकार को निशाने पर लिया है। राजन ने कहा है कि 'केंद्रीय सत्ता' भारत को एक 'अंधेरे और अनिश्चित रास्ते' पर ले जा रही है।
आर्थिक मंदी को फ़िल्मों की कमाई से जोड़ने को लेकर दिये गये बयान पर विवाद बढ़ने के बाद केंद्रीय क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को बैकफ़ुट पर आना पड़ा है।
विश्व बैंक ने भी रविवार को चालू वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारत की ग्रोथ रेट का अनुमान घटा दिया है।
मोदी सरकार के क़ानून मंत्री का बयान आर्थिक मंदी की वजह से अपनी नौकरियां गंवा देने वाले या व्यापार में घाटे की वजह से परेशान व्यापारियों के जख्मों पर नमक छिड़कने वाला है।
देश का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक साढ़े छह साल में सबसे कम है। जुलाई के मुक़ाबले अगस्त में औद्योगिक विकास 4.3 प्रतिशत से घटकर -1.10 प्रतिशत पर आ गया है। ऐसा क्यों हुआ, सरकार बताएगी?
अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर लगातार निराश करने वाली ख़बरें आ रही हैं। बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गिरती अर्थव्यवस्था को संभाल पायेंगे और क्या उनके पास इस संकट से निपटने के लिए अच्छी टीम है।
औद्योगिक उत्पादन वृद्धि दर शून्य से नीचे चला गया है, अगस्त में यह -1.1 प्रतिशत तक पहुँच गया।
घरेलू यात्री वाहनों की बिक्री सितंबर में 23.69 प्रतिशत घटकर 2,23,317 तक रह गई है, जो एक साल पहले की अवधि में 2,92,660 थी।
विश्व आर्थिक फ़ोरम द्वारा तैयार अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा इन्डेक्स में भारत 10 स्थान फिसल कर 68वें स्थान पर आ गया। इस सूची में 141 देश हैं।
भारत की आर्थिक मंदी पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने चिंता जताई है। नई आईएमएफ़ प्रमुख क्रिस्टलीना जॉर्जीवा ने कहा है कि यह भारत में ज़्यादा दिख रही है।
शायद ही कोई दिन ऐसा होता होगा जब अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर निराश करने वाली ख़बर न आती हो।
रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया की ओर से शुक्रवार को जारी की गई मौद्रिक नीति की रिपोर्ट से मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ना तय है।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी वृद्धि दर में कटौती कर दी है। आरबीआई ने इसे 6.9 प्रतिशत से कम कर 6.1 प्रतिशत कर दिया है।
आर्थिक मोर्चे पर घिरी केंद्र सरकार को एक के बाद एक झटके लग रहे हैं। ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक़, अगस्त महीने में 8 कोर सेक्टर की विकास दर में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है।
भारत के शेयर बाज़ार में शुक्रवार को आई ज़बरदस्त तेज सोमवार को बरक़रार रही और बीएसई का सूचकांक 1300 अंक की बढ़त हासिल करने में कामयाब रहा।
आर्थिक मोर्चे पर मुश्किल दौर का सामना कर रही सरकार ने जीएसटी की बैठक से पहले कॉरपोरेट टैक्स में कटौती की घोषणा की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ह्यूस्टन के हाऊडी मोडी कार्यक्रम के पहले राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप से मुलाक़ात करेंग, जिसमें उद्योग-व्यापार पर प्रमुखता से बातचीत होगी।