मैट्रिक्स फाइट नाइट (एमएफएन) चैंपियन चुंगरेंग कोरेन की पीएम मोदी के नाम अपील सोशल मीडिया पर सोमवार को जबरदस्त वायरल है। मणिपुर के इस खिलाड़ी ने खिताब लेने के बाद भावुक अपील की। देश के तमाम राजनीतिक दल उनकी अपील को शेयर भी कर रहे हैं। लेकिन यह साफ नहीं है कि कोरेन ने यह अपील कब की थी। जानिए क्या कहा चुंगरेंग कोरेन नेः
कई महीनों से हिंसा को लेकर सुर्खियों में रहे मणिपुर में फिर से हिंसा हुई है। जानिए, हथियारबंद लोगों के साथ वीडियो में दिखने पर पुलिसकर्मी को लेकर यह हंगामा क्यों हुआ।
मणिपुर में हिंसा रह-रह कर हो रही है। यहां पर कई दिनों बाद मंगलवार दोपहर से फिर हिंसा शुरू हो गई। एक गांव में जबरदस्त फायरिंग की आवाजें सुनाई दीं। मैतेई समुदाय के दो लोग इस हिंसा में मारे गए।
मणिपुर फिर सुलग उठा है। इस बार नाममात्र की आबादी वाले पंगल्स समुदाय के लोगों को निशाना बनाया गया। पंगल्स समुदाय के चार लोगों की हत्या कर दी गई। मणिपुर में मैतेई और कुकी आदिवासी समुदायों के बीच हिंसा के दौराना नगा समुदाय की तरह पंगल्स समुदाय तटस्थ रहा था। लेकिन अब वो भी हिंसा की चपेट में आ गए हैं। पंगल्स के बारे में पूरे घटनाक्रम के बारे में और विस्तार से जानिएः
घात लगाकर किए गए हमले में मणिपुर पुलिस के कई कमांडो घायल हो गए हैं। एक पुलिस अधिकारी की मौत होने की खबरें भी हैं। यह घटना मंगलवार शाम कुकी आदिवासी बहुल गांव में हुई है।
मणिपुर में कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो गई है। इंफाल में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के पैतृक घर पर भीड़ ने गुरुवार को हमले की कोशिश की लेकिन सुरक्षा बलों ने भीड़ को 100 मीटर की दूरी पर रोक लिया। इंफाल और बाकी जिलों में कर्फ्यू को अब कोई नहीं मान रहा है।
मणिपुर फिर सुलग रहा है लेकिन पीएम मोदी तमाम चुनावी राज्यों में घूम घूम कर गारंटी बांट रहे हैं। वो मणिपुर में जाकर किसी तरह की गारंटी नहीं देना चाहते। क्योंकि मणिपुर में फिलहाल चुनाव नहीं है। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को सरेआम केंद्र सरकार संरक्षण दे रही है जबकि राज्य पुरी तरह जातीय हिंसा में झुलस चुका है।
मणिपुर में जातीय हिंसा की फिर से भयानक तस्वीर सामने आई है। इस तस्वीर से राज्य में जातीय हिंसा का नया दौर शुरू हो सकता है। इतना सब होने के बावजूद मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की कुर्सी को कोई खतरा नहीं है। केंद्र सरकार का पूरा संरक्षण उन्हें हासिल है।
मणिपुर के लोगों की दुर्दशा के प्रति मोदी सरकार द्वारा दिखाई गई घोर उदासीनता किसी को भी आश्चर्यचकित करने पर मजबूर करती है कि क्या सुदूर उत्तर-पूर्वी राज्य उस "नए" भारत का हिस्सा नहीं है जिसके बारे में सत्तारूढ़ भाजपा बात करती रहती है। हिंसा में कोई कमी आना तो दूर, हालात बद से बदतर होते दिख रहे हैं।
मणिपुर के एक मैतेई ग्रुप ने केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात कर राज्य से असम राइफल्स को हटाने की मांग की है। मणिपुर में असम राइफल्स को लगातार विवादों में घसीटा जा रहा है। हाल ही में उसके बैरिकेड्स पर मैतेई समूहों ने हमले भी किए हैं। केंद्र सरकार ने असम राइफल्स की तैनाती राज्य में कानून व्यवस्था बनाने के लिए की है। असम राइफल्स ने हाल ही में कुछ ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया है जिन्होंने मणिपुर पुलिस के हथियार लूटे थे।
पिछले दिनों मणिपुर में देखा गया कि दो समुदायों के बीच नफरत की खाई इतनी बढ़ गई है एक समुदाय दूसरे दूसरे समुदाय के मृतकों के अंतिम संस्कार की जगह को लेकर भी विरोध पर उतर गया।
सरकार संसद में मणिपुर पर भले ही चर्चा से बच रही है लेकिन दूसरी तरफ वो मणिपुर में शांति बहाली के लिए वहां के कुकी और मैतेई संगठनों से बातचीत कर रही है। यह बातचीत आईबी अफसरों के जरिए हो रही है।
असम राइफल्स ने मणिपुर इंटीग्रिटी नामक संगठन की समन्वय समिति के संयोजक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। क्योंकि संगठन ने लूटे गए हथियार लोगों से न सौंपने का आग्रह किया था, संगठन ने असम राइफल्स को हटाने की मांग की है। यह संगठन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दौरे के समय आगे-आगे था। यह सारा मामला बहुत ही अजीबोगरीब है। तथ्यों को जानकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है।