एनसीईआरटी के बाद यूपी बोर्ड की किताबों से अब जवाहर लाल नेहरू को हटा दिया गया है। जुलाई से शुरू हो रहे सत्र से बच्चे नेहरू की जगह विवादास्पद सावरकर की जीवन पढ़ेंगे।
33 शिक्षाविदों ने राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) को पत्र लिखकर राजनीति विज्ञान की पुस्तकों से खुद का नाम हटाने की मांग की है
एनसीईआरटी द्वारा कुछ विषयों को हटाये जाने के विवाद के बीच इसके सलाहाकार अब एनसीईआरटी से राजनीति विज्ञान की किताबों से अपने नाम हटाने को क्यों कह रहे हैं?
एनसीईआरटी की किताबों से नाम गायब करने के सिलसिले में अब पता चला है कि स्वतंत्रता सेनानी और देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद का नाम किताब से गायब कर दिया। आजाद वही नेता थे, जिन्होंने 14 साल के बच्चों को मुफ्त अनिवार्य शिक्षा की वकालत की थी। जानिए पूरी कहानीः
देश के जाने-माने इतिहासकारों और केरल राज्य ने एनसीईआरटी की हरकत का जबरदस्त विरोध किया है। पाठ्यपुस्तकों से हटाए गए हिस्से केरल में पढ़ाए जाएंगे। वहां किताबें फिर से छापी जाएंगी।
एनसीईआरटी ने तमाम स्कूली किताबों में जो बदलाव किए हैं, उससे सिखों की सबसे बड़ी संस्था एसजीपीसी भी खुश नहीं है। एसजीपीसी अध्यक्ष ने एक बयान में कहा कि सिखों के इतिहास को गलत तरीके से पेश किया गया है।
महात्मा गांधी के प्रपौत्र केंद्र सरकार द्वारा स्कूल-कॉलेज की किताबों से गांधी पर चैप्टर हटाए जाने पर बेहद नाराज हैं। उनका कहना है कि महात्मा गांधी कि विरासत से आरएसएस और भाजपा हमेशा परेशान रहे हैं। जैसे ही उन्हें मौका मिला, उन्होंने अपना दोगलापन दिखा दिया। अब वो उस गांधी को पेश करेंगे जो उनके अनुकूल है।
एनसीईआरटी द्वारा पाठ्यपुस्तकों में किये जाने वाले बदलावों की घोषणा एक बुकलेट के जरिए की गई थी, जिसे एनसीईआरटी की आधिकारिक वेबसाइट पर भी अपलोड किया गया था और औपचारिक रूप से सभी स्कूलों के साथ भी साझा किया गया था।
पाठ्यक्रमों में हो रहे बदलावों के बीच उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद भी अपने पाठ्यक्रम में बदलाव कर रहा है। हालिया बदलावों को छोड़ दिया जाए तो यूपी बोर्ड का पाठ्यक्रम बहुत बड़ा और बहुत ज्यादा जटिल माना जाता रहा है।
पहली कक्षा के लिए एनसीईआरटी द्वारा तैयार हिंदी पाठ्य-पुस्तक की इस कविता को लेकर इन दिनों विवाद छिड़ा हुआ है। बहुत सारे लोगों का कहना है कि यह अश्लील कविता है।