भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और महान स्पिनर बिशन सिंह बेदी का सोमवार को निधन हो गया। जानिए, उनको कैसे याद किए जाएगा और उनकी शख्सियत कैसी थी।
बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी द्वारा संसद में बसपा सांसद दानिश अली को अपशब्द कहा जाना क्या महज संयोग है या सिर्फ़ आवेश में कही गई बात है? इस पर बीजेपी की प्रतिक्रिया क्या संकेत देती है?
तेलंगाना के कवि और गायक गद्दर का रविवार को निधन हो गया। वह बीमार थे। वह गंभीर हृदय रोग से पीड़ित थे और 20 जुलाई को भर्ती हुए थे। जानिए गद्दर को कैसे याद किया जाएगा।
क्या कोई भी सीमा इंसान से बड़ी है? क्या दुनिया के मुल्कों की सरहद क्या लोगों को मिलने से रोक पाएगी? क्या इन्हीं वजहों से जब तब दुनिया भर में कई देशाओं की सीमाएँ नहीं बदलनी पड़ जाती हैं?
यदि अंग्रेज़ों के समय अंडरटेकिंग देने का ऐसा कोई क़ानून होता तो क्या गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जालियांवाला बाग के बाद ‘सर’ की उपाधि लौटा पाते? और क्या वह ऐसा अवार्ड ले भी पाते?
'ओपनहाइमर' का विरोध करने वाले लोग कौन हैं? क्या उन लोगों ने गीता पढ़ी है, फिल्म देखी है? क्या वे द्वितीय विश्वयुद्ध और परमाणु हमलों को ठीक से समझते हैं? भावनाएँ कैसे आहत हो रही हैं?
मणिपुर में महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने वाले वीडियो ने पूरे देश को झकझोर दिया है। आख़िर हर मामले में महिलाएँ निशाना क्यों बनाई जाती हैं? क्या बिलकीस बानो और मणिपुर मामले में कोई ख़ास फर्क है?
'द अनबियरेबल लाइटनेस ऑफ बीइंग' के लेखक और प्रसिद्ध साहित्यकार मिलान कुंदेरा का निधन हो गया। जानिए, दुनिया भर में किस रूप में उन्हें याद किया जा रहा है।
हमारे समय के कलाकार क्या कर रहे हैं? क्या वे झूठी प्रेरणाओं पर अपने चित्र बना रहे हैं? ‘मन की बात’ की सौ क़िस्तें पूरी होने पर चित्र बनाना क्या उनकी अंत:प्रेरणा का नतीजा है?
कर्नाटक के चुनाव नतीजे उस दक्षिणपंथी राजनीतिक विचारधारा को भी जवाब है, जिसे कृत्रिम माहौल बनाकर देश पर जबरन थोपने की कोशिश की जा रही है। कर्नाटक के चुनाव नतीजों पर पढ़िए प्रियदर्शन का नजरियाः
'द केरल स्टोरी' पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। किसी राज्य में इस पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है तो किसी में टैक्स फ्री क्यों? जानिए, द केरल स्टोरी की सफलता के मायने क्या हैं।
भारत की 7 महिला पहलवानों और उनके समर्थन में बैठे खिलाड़ियों को करीब एक हफ्ता हो गया है लेकिन बात सिर्फ इतनी आगे बढ़ी है कि मात्र एफआईआर दर्ज हुई है। इंसाफ की इस नाइंसाफी पर पत्रकार प्रियदर्शन की नजरः
गोरखपुर विश्वविद्यालय में ओमप्रकाश शर्मा, गुलशन नंदा या किसी अन्य लेखक को पढ़ाए जाने की बात से बेचैनी क्यों पैदा हो रही है? प्रेमचंद और निराला के साथ उनका ज़िक्र क्यों किया जा रहा है?
राहुल गांधी के मामले में क्या कांग्रेस किसी दुविधा में है कि राहुल को जेल जाने दिया जाए या नहीं? क्या राहुल चुनावी राजनीति से दूर रहकर बचे रह सकते हैं?
महिलाओं को माहवारी के दिनों की छुट्टियाँ देने का प्रस्ताव पारित हो जाता है तो इसके क्या फायदे होंगे? क्या नुक़सान भी हो सकता है और महिलाओं को नौकरियों में भेदभाव भी सहना पड़ सकता है? तो उपाय क्या है?
विपक्षी दलों द्वारा उठाए गए मुद्दों या सवालों पर मुख्य धारा का मीडिया की रिपोर्टिंग क्या उसी तरह होती है जैसी बीजेपी के मुद्दों या सवालों की होती है? क्या मीडिया की भाषा में कुछ अंतर दिखता है?
मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी सही या गलत है, इसका फैसला बहुत देर से आएगा। लेकिन जिस तरह और जिस अंदाज में यह पूरा मामला सामने आया है, उससे भारतीय लोकतंत्र के सहज होने के संकेत नहीं हैं। सिर्फ विपक्ष को भ्रष्ट साबित कर या घोषित कर अपने गिरेबान में न झांकने का यह तानाशाही अंदाज बहुत गंभीर खतरे की तरफ इशारा है।
नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला हालांकि खत्म हो गया लेकिन किताबों की दुनिया आपको किसी मेले तक सीमित नहीं रखती है। इसलिए किताबें खूब पढ़ने की आदत डालिए। सच तो यह है कि अच्छी किताबें पढ़ना आपके व्यक्तित्व में चमत्कारिक बदलाव कर सकती हैं। यह लेख पढ़िए और उसके बाद किताबें पढ़ना शुरू करिए।
पठान फिल्म क्या शाहरुख ख़ान की लोकप्रियता से सुपरहिट हुई? क्या फिल्म इतनी बेहतरीन है या फिर बहिष्कार के आह्वान से फिल्म ने 1000 करोड़ की कमाई कर ली? दरअसल, सचाई कुछ और है। जानें फिल्म कैसे सुपरहिट हुई।
दो मुस्लिम युवकी की हत्या के मुख्य आरोपी मोनू मानेसर को लेकर हिन्दू संगठन जुलूस निकाल रहे हैं। उसके बारे में जानकारियां सामने आ रही हैं, उससे गोरक्षा का खूंखार चेहरा सामने आ रहा है। मुसलमानों को विद्वेष की राजनीति के नाम पर कब तक इस तरह शिकार बनाया जाता रहेगा।
फिजी में विश्व हिन्दी सम्मेलन आयोजित करके एक बार फिर औपचारिकता पूरी की जा रही है। वरिष्ठ पत्रकार प्रियदर्शन ने अपने देश में हिन्दी की दुर्दशा पर नजर डाली है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को संदेश दिया था कि वे मुसलमानों को लेकर अनावश्यक बयानबाजी न करें। प्रियदर्शन ने इस बात पर टिप्पणी की है कि पीएम मोदी ने जो संदेश दिया, क्या वो उनकी सरकार में भी दिखता है, उनकी सरकार का मुस्लिमों को लेकर क्या रवैया है।
सूर्य कुमार यादव इन दिनों क्रिकेट में तूफानी बैटिंग के लिए चर्चा में हैं, लेकिन सुर्खियों उनकी जाति को लेकर भी ख़ूब बन रही हैं। आख़िर ऐसा क्यों है कि उनकी जाति पर बहस हो रही है?
यह सच है कि हिंदी और उर्दू को सांप्रदायिक पहचान के आधार पर बांटने वाली दृष्टि बिल्कुल आज की नहीं है। उसका एक अतीत है और किसी न किसी तरह यह बात समाज के अवचेतन में अपनी जगह बनाती रही है कि हिंदी हिंदुओं की भाषा है और उर्दू मुसलमानों की।