बीते साल गुलज़ार के साथ रामभद्राचार्य को सम्मानित कर ज्ञानपीठ ने अपनी जो जगहंसाई कराई थी, शायद उसी से मुक्त होने का प्रयास है इस वर्ष का ज्ञानपीठ सम्मान जो विनोद कुमार शुक्ल को दिया जा रहा है। निश्चय ही वे हमारी भाषा के बड़े लेखक हैं। अब तो उनकी एक अंतरराष्ट्रीय कीर्ति भी है। कुछ अरसा पहले उन्हें अमेरिका का प्रतिष्ठित पेन नाबोकोव सम्मान मिल चुका है।
विनोद कुमार शुक्ल कविता करते नहीं, खोज लाते हैं
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- 23 Mar, 2025

प्रियदर्शन
हिंदी के प्रसिद्ध लेखक और कवि विनोद कुमार शुक्ल को भारत के सर्वोच्च साहित्यिक पुरस्कारों में से एक प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उनकी लेखन शैली, जिसमें सरलता और गहनता का मिश्रण है, ने उन्हें भारतीय साहित्य में एक प्रिय व्यक्ति बना दिया है। प्रियदर्शन की यह महत्वपूर्ण टिप्पणी हमें विनोद कुमार शुक्ल के कई और आयाम से भी परिचित कराती है।
करीब सात बरस पहले रायपुर की एक यात्रा के दौरान कवयित्री आभा दुबे के साथ मैं उनके घर गया था। गपशप के दौरान मैंने अनायास उनसे कविता पाठ का आग्रह किया। उनकी अनुमति से इसे रिकॉर्ड भी किया जो अब यूट्यूब पर कहीं पड़ा होगा। (तस्वीरों और स्मृतियों के संरक्षण में बहुत निष्णात नहीं हूं।) उन पर कई लेख लिखे। जब पेन सम्मान मिला था तो ज्ञानोदय के लिए लिखा था। जब मानव कौल ने उनकी रॉयल्टी को लेकर आश्चर्य और अफ़सोस जताया था और फिर एक रायल्टी विवाद शुरू हुआ था, तब भी लिखा था। उसके पहले उनके संग्रहों पर भी लिखा था।