उत्तराखंड के हरिद्वार में प्रसिद्ध मनसा देवी मंदिर में रविवार सुबह भगदड़ की दुखद हादसे ने पूरे क्षेत्र को हिलाकर रख दिया। हादसे में कम से कम छह लोगों की मौत हो गई और 25 से अधिक लोग घायल हो गए। मंदिर की ओर जाने वाले रास्ते पर 'बिजली के तार में करंट' की अफवाह के कारण भगदड़ मची। यह हादसा सावन के पवित्र महीने में भारी भीड़ के बीच हुआ, जब हजारों श्रद्धालु मंदिर में दर्शन के लिए जुटे थे।

गढ़वाल मंडल आयुक्त विनय शंकर पांडे ने हादसे की पुष्टि करते हुए बताया कि सुबह करीब 9 बजे मंदिर की सीढ़ियों और पैदल मार्ग पर भारी भीड़ जमा थी। रिपोर्टों के अनुसार उन्होंने कहा कि इसी दौरान एक अफवाह फैल गई कि मंदिर के पास एक बिजली का तार टूटकर गिर गया है और उसमें करंट प्रवाहित हो रहा है। इस अफवाह से श्रद्धालुओं में दहशत फैल गई। इसके कारण लोग इधर-उधर भागने लगे। भीड़ में धक्का-मुक्की और भगदड़ की स्थिति बन गई, जिसमें कई लोग गिर गए और कुचल गए।
हरिद्वार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक परमेंद्र सिंह डोबाल ने भी इसकी पुष्टि की। न्यूज़18 की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने बताया, 'प्रथम दृष्टया, ऐसा लगता है कि बिजली के तार में करंट की अफवाह ने श्रद्धालुओं में दहशत पैदा की, जिसके कारण भगदड़ मची।' हालांकि, पुलिस और प्रशासन ने साफ़ किया कि शुरुआती रिपोर्टें के अनुसार मौतें बिजली के झटके से नहीं, बल्कि भगदड़ के दौरान कुचलने और दम घुटने के कारण हुई हैं। एकमात्र व्यक्ति को बिजली के तार से जलने की चोटें आईं, जिसे गंभीर हालत में उच्च चिकित्सा केंद्र में भेजा गया है।

हरिद्वार के जिला मजिस्ट्रेट मयूर दीक्षित ने बताया कि हादसा मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार से लगभग 100 मीटर नीचे सीढ़ियों और 2 किलोमीटर लंबे पैदल मार्ग पर हुआ। रिपोर्टों के अनुसार उन्होंने कहा, 'कुछ श्रद्धालुओं ने तार को खींचने की कोशिश की, जिससे दहशत फैली। प्रारंभिक जांच के अनुसार, मौतें भगदड़ के कारण हुईं, न कि बिजली के झटके से।'

मुख्यमंत्री ने क्या कहा?

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस हादसे पर गहरा दुख व्यक्त किया और तत्काल राहत कार्य शुरू करने के निर्देश दिए। उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा, 'हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर मार्ग पर भगदड़ की खबर अत्यंत दुखद है। एसडीआरएफ, स्थानीय पुलिस और अन्य बचाव टीमें घटनास्थल पर पहुंच चुकी हैं और राहत कार्य में जुटी हैं। मैं स्थानीय प्रशासन के साथ लगातार संपर्क में हूं और स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहा हूं। मैं माता रानी से सभी श्रद्धालुओं की सुरक्षा और कल्याण के लिए प्रार्थना करता हूं।'

बचाव और राहत कार्य

हादसे की सूचना मिलते ही राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल यानी एसडीआरएफ, स्थानीय पुलिस, अग्निशमन दल और चिकित्सा टीमें तुरंत घटनास्थल पर पहुंचीं। घायलों को तत्काल नजदीकी जिला अस्पताल में ले जाया गया, जहां 35 लोगों को भर्ती कराया गया। इनमें से छह की मौत हो चुकी है, जबकि दो लोग गंभीर हालत में हैं और उन्हें उच्च चिकित्सा केंद्रों में रेफर किया गया है।

सिटी पुलिस स्टेशन के प्रभारी रितेश शाह ने बताया कि मार्ग पर भारी भीड़ थी और तार गिरने की अफवाह ने स्थिति को और बिगाड़ दिया। रिपोर्टों के अनुसार उन्होंने कहा, 'लोग दीवार पर चढ़ने की कोशिश करने लगे, जिससे भगदड़ और बढ़ गई।' एक प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा है कि अचानक भारी भीड़ जमा हो गई और लोग चिल्लाने लगे कि करंट आ रहा है।

सावन की भारी भीड़ बड़ी वजह?

मनसा देवी मंदिर हरिद्वार में गंगा नदी के तट पर एक पहाड़ी पर स्थित है और यह हिंदू तीर्थयात्रियों के लिए एक प्रमुख सिद्धपीठ है। यह मंदिर मां मनसा देवी को समर्पित है जिन्हें नागों की देवी और मनोकामनाएँ पूरी करने वाली माता के रूप में पूजा जाता है। यह हरिद्वार के तीन प्रमुख सिद्धपीठों में से एक है, अन्य दो चंडी देवी मंदिर और माया देवी मंदिर हैं।

सावन का महीना शिव भक्तों और कांवड़ियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है, जिसके कारण हरिद्वार में तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ उमड़ती है। रविवार को मंदिर में हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे थे, जिसके कारण मार्ग पर भारी भीड़ थी। यह भीड़ हादसे का एक प्रमुख कारण बनी।

प्रशासन की कार्रवाई

प्रशासन ने हादसे की जाँच के आदेश दिए हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि अफवाह कैसे और कहां से शुरू हुई। जिला प्रशासन ने मंदिर के आसपास स्थिति को नियंत्रित कर लिया है और सामान्य स्थिति बहाल हो चुकी है। हालांकि, मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था की गई है।

प्रत्यक्षदर्शियों का बयान

एक प्रत्यक्षदर्शी बंटी ने इंडिया टुडे टीवी को बताया, 'मंदिर के पास एक खंभे में करंट की बात फैली, जिसके बाद लोग डर गए और भागने लगे।' हालाँकि, पुलिस ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि करंट के कारण कोई मौत नहीं हुई।
यह हादसा मंदिरों में भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था की कमियों को उजागर करता है। सावन जैसे धार्मिक अवसरों पर लाखों श्रद्धालु हरिद्वार पहुंचते हैं, जिसके लिए प्रशासन को पहले से बेहतर तैयारी करने की आवश्यकता है। जानकारों का कहना है कि मंदिरों में सीसीटीवी, आपातकालीन निकास मार्ग और भीड़ नियंत्रण के लिए प्रशिक्षित कर्मचारियों की तैनाती जैसे कदम भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोक सकते हैं।