उत्तर भारत में कुल जमा 2 ही ड्रामा स्कूल हैं और दोनों का बुरा हाल है। 'नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा' (एनएसडी) की तर्ज़ पर खोले गए इन स्कूलों में एक (भोपाल) में शिक्षण के लिए कोई फ़ैकल्टी (अध्यापक) नहीं है। 'स्कूल' के एक अदद शिक्षक को लॉकडाउन शुरू होने से पहले ही बाहर का रास्ता दिखा दिया गया और कोर्स को पूरा किये जाने की माँग को लेकर निदेशक कार्यालय के सामने धरने पर बैठे छात्रों में से 8 को बीते सोमवार 'स्कूल' से निष्कासित कर दिया गया है। उधर दूसरे 'स्कूल' (लखनऊ) में न निदेशक हैं न फ़ैकल्टी। निदेशक के पद पर 4 साल से 'स्कूल' का एक बाबू (क्लर्क) क़ाबिज़ है।
ड्रामा स्कूल की अजब दास्ताँ: एकमात्र शिक्षक निकाला, विरोध पर छात्र भी निष्कासित
- विविध
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- 26 Aug, 2020

फ़ाइल फ़ोटो
उत्तर भारत में 2 ड्रामा स्कूलों- मध्य प्रदेश नाट्य विद्यालय और भारतेन्दु नाट्य एकेडमी के हाल क्या हैं? स्थानीय अंचलों में इन दोनों संस्थाओं ने कलाओं की प्रस्तुति और प्रसार की दिशा में अनुकरणीय कार्य किया है। लेकिन अब क्या इनके वैसे ही हालात हैं? क्यों इनकी दुर्दशा की ख़बरें मीडिया में आ रही हैं?
'मध्य प्रदेश नाट्य विद्यालय' (एमपीएसडी) की स्थापना जून 2011 में हुई थी। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सांस्कृतिक संपदा से परिपूर्ण राज्य हैं। छत्तीसगढ़ के स्वतंत्र राज्य बनाये जाने से पहले ही इन सांस्कृतिक सम्पदाओं और इससे जुड़ी प्रस्तुति कलाओं के संरक्षण और संवर्धन हेतु यहाँ के युवाओं के लिए एक ऐसे 'ड्रामा स्कूल' के खोलने पर विचार चल रहा था जो इन परम्परागत प्रस्तुति कलाओं को आधुनिक रंग तकनीक के चश्मे से देख सके और उन्हें इस नए 'चैलेंज' के लिए प्रशिक्षित कर सके। इससे पूर्व 1980 के दशक में (तमाम तरह के विवादों के बावजूद) यहाँ 'भारत भवन' की स्थापना की गई थी जिसने निःसंदेह इस अंचल में कलाओं की प्रस्तुति और प्रसार की दिशा में अनुकरणीय कार्य किया है।