चीन ने अपनी एयरलाइंस को अमेरिकी विमान निर्माता बोइंग कंपनी के जेट की डिलीवरी लेने से रोकने का आदेश दिया है। यह कदम अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध के ताजा घटनाक्रम के तहत उठाया गया है। सूत्रों के हवाले से ब्लूमबर्ग न्यूज ने बताया कि यह निर्णय अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा चीनी सामानों पर 145% तक टैरिफ लगाने के जवाब में आया है।


बीजिंग ने पिछले सप्ताहांत अमेरिकी आयात पर 125% का प्रतिशोधी टैरिफ लागू किया था। जिससे बोइंग के विमानों और संबंधित उपकरणों की लागत लगभग दोगुनी हो गई है। इस कदम से दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है, जो पहले से ही टैरिफ की जंग में उलझे हुए हैं।


रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने अपनी एयरलाइंस को न केवल बोइंग जेट की डिलीवरी रोकने, बल्कि अमेरिकी कंपनियों से विमान से संबंधित पुर्जे और उपकरण खरीदने से भी मना किया है। इससे चीन में बोइंग विमानों का संचालन करने वाली एयरलाइंस की रखरखाव लागत बढ़ सकती है।


चीन की प्रमुख एयरलाइंस जैसे एयर चाइना, चाइना ईस्टर्न एयरलाइंस और चाइना सदर्न एयरलाइंस को 2025-2027 के बीच बोइंग के क्रमशः 45, 53 और 81 विमानों की डिलीवरी लेने की योजना थी। इस रोक से इन योजनाओं पर असर पड़ सकता है।

ब्लूमबर्ग के अनुसार, चीनी सरकार उन एयरलाइंस की मदद करने पर विचार कर रही है जो बोइंग जेट्स को लीज पर लेती हैं और अब बढ़ी हुई लागत का सामना कर रही हैं। लेकिन यह कदम ग्लोबल विमानन उद्योग के लिए भी एक बड़ा झटका है, क्योंकि चीन की दुनिया में कुल विमान मांग का लगभग 20% हिस्सा रखता है।


ट्रम्प प्रशासन ने हाल ही में कुछ उच्च-तकनीकी उत्पादों जैसे स्मार्टफोन और सेमीकंडक्टर को टैरिफ से छूट दी है, लेकिन बोइंग जैसे क्षेत्रों पर कोई राहत नहीं दी गई। विशेषज्ञों का कहना है कि यह व्यापार युद्ध दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं के साथ-साथ ग्लोबल सप्लाई चेन को प्रभावित कर सकता है।

इस बीच, बोइंग के शेयरों में प्री-मार्केट ट्रेडिंग में 2.5% से अधिक की गिरावट देखी गई, जो इस निर्णय के तत्काल प्रभाव को दर्शाता है। स्थिति अभी भी अनिश्चित बनी हुई है, क्योंकि ट्रम्प ने पहले भी टैरिफ नीतियों में बदलाव किए हैं। उन्होंने टैरिफ लगाने के बाद उसे 90 दिनों के लिए टाल दिया। इससे अमेरिकी शेयर बाजार स्थिर हो गया। इसी तरह अन्य देशों में भी शेयर बाजार की स्थिति ठीक हुई। लेकिन ट्रम्प पर भरोसा करना मुश्किल है।