इसराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक इंटरव्यू में विवादास्पद बयान देते हुए कहा कि ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह अली खामेनेई की हत्या ही अंतिम उपाय है। इस युद्ध को खत्म करने और ईरान में सत्ता परिवर्तन का एकमात्र रास्ता है। नेतन्याहू ने दावा किया कि खामेनेई के बिना ईरान का शासन कमजोर हो जाएगा, जिससे क्षेत्र में स्थिरता आ सकती है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब इसराइल और ईरान के बीच तनाव चरम पर है, और दोनों देश एक-दूसरे पर मिसाइल हमले कर रहे हैं। हालांकि यह बयान एक रणनीति के तहत आया है, जिससे ईरान की जनता सुप्रीम लीडर के खिलाफ विद्रोह कर दे। नेतन्याहू ने इससे पहले ईरान की जनता से अपील की थी कि वो शासन के खिलाफ विद्रोह कर दे। लेकिन उस अपील के फौरन बाद ईरान में जगह-जगह इसराइल और अमेरिका के खिलाफ प्रदर्शन हुए थे।
नेतन्याहू ने यह भी संकेत दिया कि इसराइल ने पहले भी खामेनेई को निशाना बनाने की योजना बनाई थी। सूत्रों के अनुसार, कुछ समय पहले इसराइल ने इस ऑपरेशन की तैयारी पूरी कर ली थी, लेकिन जब यह सूचना अमेरिका को मिली, तो राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इसे वीटो कर दिया। ट्रम्प का मानना था कि खामेनेई की हत्या से मध्य पूर्व में व्यापक युद्ध छिड़ सकता है, जो क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के लिए खतरनाक होगा।
हालांकि, ट्रम्प के हस्तक्षेप के बावजूद, नेतन्याहू ने अब फिर से खामेनेई को निशाना बनाने की बात कही है। उन्होंने फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा, "हम वही कर रहे हैं जो हमें करना है। खामेनेई को खत्म करना संघर्ष को बढ़ाएगा नहीं, बल्कि इसे समाप्त कर देगा।" इस बयान ने न केवल ईरान, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भी हड़कंप मचा दिया है। हालांकि ट्रम्प ने जिन वजहों से पहले इसराइल को रोक दिया था, वो कारण खत्म हो गए हैं। उनमें से कोई कारण खत्म नहीं हुए हैं लेकिन नेतन्याहू ने फिर से बयान दे दिया है। यह एक रणनीति है जो ईरान की जनता के सामने पेश की गई है।
नेतन्याहू का बयान बताता है कि इसराइल अब केवल ईरान के परमाणु ठिकानों या सैन्य कमांडरों को निशाना बनाने तक सीमित नहीं रहना चाहता। खामेनेई जैसे शीर्ष नेता को निशाना बनाना दरअसल वहां सत्ता परिवर्तन की कोशिश का हिस्सा हो सकता है। यह इसराइल की आक्रामक नीति को दर्शाता है, जिसका मकसद ईरान के शासन को कमजोर करना है।
ट्रम्प द्वारा पहले इस योजना को रोकने का मतलब था कि अमेरिका क्षेत्र में युद्ध को सीमित रखना चाहता है। ट्रम्प ने कूटनीति के जरिए ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर समझौता करने की बात कही है। लेकिन नेतन्याहू का दोबारा यह बयान देना अमेरिका और इसराइल के बीच नीतिगत मतभेद को उजागर करता है। यह संभव है कि नेतन्याहू ट्रम्प पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हों ताकि अमेरिका उनकी रणनीति का समर्थन करे।

मिडिल ईस्ट में छिड़ेगा युद्ध? 

खामेनेई की हत्या का प्रयास मिडिल ईस्ट में एक व्यापक युद्ध को जन्म दे सकता है। ईरान ने पहले ही जवाबी कार्रवाई की धमकी दी है, और उसके सहयोगी जैसे हिज्बुल्लाह और सीरिया भी इस संघर्ष में शामिल हो सकते हैं। इससे न केवल मध्य पूर्व, बल्कि ग्लोबल तेल आपूर्ति और अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है। तुर्की और रूस जैसे देशों ने भी इस तनाव को कम करने की अपील की है, जो स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है। स्थितियां भयावह होने वाली हैं।
इसराइल में नेतन्याहू को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (आईसीसी) द्वारा उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट और घरेलू भ्रष्टाचार के आरोप शामिल हैं। यह बयान उनकी छवि को एक मजबूत नेता के रूप में पेश करने और घरेलू समर्थन हासिल करने की कोशिश हो सकता है। इसराइल का ग़ज़ा और ईरान में जैसे ही युद्ध रुकेगा, नेतन्याहू को वापस अपने देश के अंदर की चुनौतियों का सामना करना होगा। इसीलिए वो ध्यान बंटाने के लिए इस तरह की धमकियां दे रहे हैं।
ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई ने इसराइल को "सजा" देने की बात कही है, और ईरान ने इसराइल पर सैकड़ों मिसाइलें दागी हैं। खामेनेई को निशाना बनाने की बात से ईरान और आक्रामक हो सकता है, जिससे दोनों देशों के बीच युद्ध और तेज हो सकता है। ईरान ने अमेरिका से भी इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की है, जो ट्रम्प की कूटनीतिक रणनीति को और जटिल बनाता है।
ट्रम्प ने बार-बार कहा है कि वह ईरान के साथ एक नया परमाणु समझौता चाहते हैं। लेकिन नेतन्याहू का बयान उनकी इस कोशिश को कमजोर कर सकता है। ट्रम्प के लिए यह एक चुनौती है कि वह इसराइल के समर्थन और ईरान के साथ कूटनीति के बीच संतुलन बनाएं। अगर नेतन्याहू अपनी योजना पर आगे बढ़ते हैं, तो ट्रम्प को मजबूरन युद्ध में शामिल होना पड़ सकता है, जो उनकी "अमेरिका फर्स्ट" नीति के खिलाफ होगा।
बहरहाल, नेतन्याहू का यह बयान एक रणनीतिक कदम है, जो न केवल ईरान को कमजोर करने, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर इजराइल की स्थिति को मजबूत करने की कोशिश है। हालांकि, यह बयान जोखिमों से भरा है, क्योंकि यह मध्य पूर्व को एक बड़े युद्ध की ओर धकेल सकता है। ट्रम्प का पहले इस योजना को रोकना और अब नेतन्याहू का फिर से इसे उठाना दोनों देशों के बीच तनाव को बढ़ा सकता है। यह स्थिति वैश्विक शक्तियों, खासकर अमेरिका, रूस, और तुर्की, की प्रतिक्रिया पर निर्भर करेगी। फिलहाल, यह बयान क्षेत्रीय अस्थिरता को और बढ़ाने वाला साबित हो सकता है।