इसराइल ने संकेत दिए हैं कि वह ईरान के साथ चल रहे सैन्य संघर्ष को जल्द से जल्द समाप्त करना चाहता है। वॉल स्ट्रीट जर्नल ने सोमवार को यह जानकारी अपनी रिपोर्ट में दी है। इस रिपोर्ट से पहले इसराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की एक प्रेसकॉन्फ्रेंस का वीडियो सोमवार को सामने आया था, जिसमें वो भी इस तरह का संकेत देते दिख रहे हैं। नेतन्याहू के शब्द थे- वो क्षेत्रीय युद्ध को और नहीं बढ़ाना चाहते। इसराइल ईरान में अपना लक्ष्य पाने के करीब है। हालांकि इसराइल ने सोमवार को ही तेहरान में कई जगह हमला करके ईरान को भारी नुकसान पहुंचाया। 

इसराइल ने 13 जून से शुरू हुए अपने हवाई हमलों, जिसे "ऑपरेशन राइजिंग लायन" नाम दिया गया है, के जरिए ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों को अब तक भारी नुकसान पहुंचाया है। इसराइली अधिकारियों ने तब कहा था कि उनका लक्ष्य ईरान के परमाणु हथियार कार्यक्रम को नष्ट करना और क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करना है।

ईरान ने इसराइल के इन्फ्रास्टक्चर को तबाह किया

ईरान ने जवाबी कार्रवाई में इसराइल पर 400 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलें और 1000 ड्रोन दागे, जिससे तेल अवीव और हाइफा में नुकसान हुआ। ईरानी स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इसराइली हमलों में 430 नागरिक मारे गए, जबकि इसराइल में 24 लोग मारे गए और 1000 से अधिक घायल हुए। लेकिन इसराइल के इन्फ्रास्ट्रक्चर को काफी नुकसान पहुंचा। हाइफा में 61 बिल्डिंगों को ईरान ने पूरी तरह तबाह कर दिया। इसमें इसराइल की बजान रिफाइनरी शामिल है। जिस पर इसराइल 60 फीसदी ईंधन के लिए निर्भर है। इसी तरह तेलअवीव में ईरानी मिसाइलें शहर के बीचोंबीच गिरती रहीं। यहां तक कि जासूसी एजेंसी मोसाद का दफ्तर भी इसकी चपेट में आ गया।

इसराइल के आयरन डोम पर दबाव बढ़ा, इंटरसेप्टर्स की कमी

वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, इसराइल अब अपनी मिसाइल रक्षा प्रणाली, आयरन डोम, पर बढ़ते दबाव को देखते हुए युद्ध को जल्द खत्म करना चाहता है। इसराइल के पास उच्चस्तरीय एरो-3 इंटरसेप्टर्स की कमी हो रही है, और अगर ईरान के हमले जारी रहे, तो यह रक्षा प्रणाली कमजोर पड़ सकती है। अमेरिका ने इसराइल की मदद के लिए युद्धपोत और अतिरिक्त रक्षा प्रणालियां भेजी हैं, लेकिन इसराइल नहीं चाहता कि युद्ध लंबा खिंचे।

अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जनरल ने पुष्ट सूत्रों के हवाले बताया कि इसराइल अब ईरान से युद्ध खत्म करना चाहता है। लेकिन क्यों... क्योंकि उसके आयरन डोम पर दबाव ज्यादा है। उसका यह सिस्टम धीरे धीरे कमजोर पड़ रहा है।

नेतन्याहू का बयान- हम लक्ष्य के करीब, मकसद पूरा होते ही लड़ाई रुकेगी

नेतन्याहू ने सोमवार को सामने आए एक पूर्व-रिकॉर्डेड प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "हम अपने लक्ष्यों की ओर कदम-दर-कदम आगे बढ़ रहे हैं। हम इन्हें पूरा करने के बहुत करीब हैं।" उन्होंने जोर देकर कहा, "हम अपने मिशन को जरूरत से ज्यादा नहीं बढ़ाएंगे, लेकिन हम जल्दबाजी में खत्म भी नहीं करेंगे। जब लक्ष्य प्राप्त हो जाएंगे, तब ऑपरेशन पूरा होगा और लड़ाई रुक जाएगी।" इस लाइन को इस तरह समझा जा सकता है कि एक तरफ नेतन्याहू कह रहे हैं कि हम अपने लक्ष्यों को पाने के करीब हैं। फिर वो कह रहे हैं कि इस मिशन को जरूरत से ज्यादा नहीं बढ़ाएंगे। लक्ष्य पूरा होते ही लड़ाई रुक जाएगी।


नेतन्याहू ने यह भी कहा कि अमेरिका ने ईरान के फोर्दू परमाणु केंद्र पर "बहुत गंभीर नुकसान" पहुंचाया है, हालांकि नुकसान की विस्तृत जानकारी साझा नहीं की। उन्होंने कहा, "हम उन्हें पीछे धकेल रहे हैं, हम खतरे को हटा रहे हैं।" उन्होंने जोर देकर कहा, "लेकिन हम अपने मिशन को आवश्यकता से अधिक नहीं बढ़ाएंगे, लेकिन हम जल्दबाजी में भी समाप्त नहीं करेंगे। जब लक्ष्य प्राप्त हो जाएंगे, तब ऑपरेशन पूरा होगा और लड़ाई रुक जाएगी।" नेतन्याहू ने ईरान के परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल खतरे को "हमारे अस्तित्व के लिए दो ठोस खतरे" करार देते हुए कहा कि यह अभियान इन्हें खत्म करने के लिए शुरू किया गया था।

इसराइली पीएम नेतन्याहू ने साफ शब्दों में कहा ईरान में हम लक्ष्य पाने के करीब। लक्ष्य हासिल होते ही लड़ाई रुक जाएगी। वॉल स्ट्रीट जनरल ने अधिकारियों के हवाले से यही बात कही है कि इसराइल अब पीछे हट रहा है।

नेतन्याहू का बयान और इसराइल के हालात

नेतन्याहू का बयान इसराइल की रणनीति को क्षेत्रीय युद्ध में फंसने से बचाने की कोशिश को बताता है। लंबे युद्ध से इसराइल की अर्थव्यवस्था और जनता का मनोबल प्रभावित हो सकता है। इसराइल में नेतन्याहू के खिलाफ प्रदर्शन की खबरें आम हैं। नेतन्याहू ने अपने बयान से  अमेरिका और अन्य सहयोगियों को भरोसा देने की कोशिश है कि इसराइल क्षेत्र में अस्थिरता नहीं बढ़ाना चाहता। हालांकि, यह वादा और भरोसा ईरान की जवाबी कार्रवाई पर निर्भर करता है। अगर ईरान के हमले इसराइल पर जारी रहे तो इसराइल को भी जवाब देना मजबूरी बन जाएगा।  

बहरहाल, नेतन्याहू का बयान इसराइल की आक्रामक लेकिन सावधानीपूर्वक रणनीति को दर्शाता है, जिसमें ईरान को कमजोर करना, क्षेत्रीय प्रभाव बढ़ाना, और आंतरिक समर्थन बनाए रखना शामिल है। हालांकि, उनके दावों की सफलता ईरान की प्रतिक्रिया, अमेरिकी समर्थन, और क्षेत्रीय स्थिति पर निर्भर करेगी। बयान में अस्पष्टता है। उसी से लगता है कि इसराइल अब लंबी लड़ाई नहीं लड़ना चाहता।