प्रधानमंत्री मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाक़ात के कुछ घंटों बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। उन्होंने कहा है कि भारत ने ज़ीरो टैरिफ की पेशकश की है, लेकिन अब काफी देर हो गई है। ट्रंप ने कहा कि अमेरिका का भारत के साथ एकतरफ़ा व्यापारिक रिश्ता है। उन्होंने आगे कहा कि भारत द्वारा लगाए गए उच्च टैरिफ ने अमेरिकी व्यवसायों को वहाँ सामान बेचने से रोक दिया है। ट्रंप ने इसको 'पूरी तरह से एकतरफ़ा आपदा' क़रार दिया।

ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में लिखा, "बहुत कम लोग यह समझते हैं कि हम भारत के साथ बहुत कम व्यापार करते हैं, लेकिन वे हमारे साथ बहुत ज़्यादा व्यापार करते हैं। दूसरे शब्दों में वे हमें भारी मात्रा में सामान बेचते हैं, जो उनका सबसे बड़ा 'ग्राहक' है, लेकिन हम उन्हें बहुत कम बेचते हैं- अब तक यह पूरी तरह से एकतरफ़ा रिश्ता रहा है, और यह कई दशकों से ऐसा ही रहा है।"
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उन्होंने आगे कहा, 'इसका कारण यह है कि भारत ने अब तक हम पर इतने अधिक टैरिफ़ लगाए हैं कि हमारे व्यवसाय भारत में बिक्री करने में असमर्थ हैं। यह पूरी तरह से एकतरफा आपदा रही है! साथ ही, भारत अपने अधिकांश तेल और सैन्य उत्पाद रूस से खरीदता है, अमेरिका से बहुत कम। अब उन्होंने अपने टैरिफ को शून्य करने की पेशकश की है, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी है। उन्हें यह कई साल पहले करना चाहिए था।'

मोदी-पुतिन-जिनपिंग मुलाक़ात का असर?

ट्रंप का यह बयान तब आया है जब कुछ घंटे पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाक़ात हुई है। तीनों नेता चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान मिले। यह मुलाकात अमेरिका द्वारा भारत पर टैरिफ लगाए जाने और रूस-यूक्रेन संघर्ष को लेकर हाल के बयानों के बीच काफी अहम है। प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन के साथ मुलाकात को यादगार और सार्थक बताते हुए कहा कि दोनों नेताओं के बीच नियमित संपर्क रहा है और यह बैठक भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने का अवसर देती है। 

डोनाल्ड ट्रंप हाल में भारत के रूस से तेल खरीद पर आपत्ति जताते रहे हैं और इस वजह से भारत अमेरिका संबंध में काफ़ी ज़्यादा तनाव आ गया है। इस बीच, मोदी-पुतिन-जिनपिंग की मुलाक़ात ने हलचल मचा दी।

ट्रंप का दावा 

ट्रंप ने हाल में फॉक्स न्यूज को दिए एक साक्षात्कार में कहा था, 'भारत ने रूस से तेल खरीदकर पुतिन के युद्ध को वित्तपोषित किया है। मैंने 50% टैरिफ लागू कर दिया है, और अगर जरूरत पड़ी तो और सख्त कदम उठाए जाएंगे।' ट्रंप ने यह भी दावा किया था कि उनकी टैरिफ नीति के कारण रूस ने भारत जैसे बड़े तेल ग्राहक को खो दिया है, जिसके चलते पुतिन अलास्का में उनसे मिलने आए।

ट्रंप ने 6 अगस्त को भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ़ लगाया था, जिसे बाद में 50% तक बढ़ा दिया गया। यह कदम भारत के रूस से तेल खरीदने के जवाब में उठाया गया, जिसे अमेरिका यूक्रेन युद्ध में रूस की आर्थिक सहायता के रूप में देखता है। ट्रंप ने दावा किया कि भारत रूस का दूसरा सबसे बड़ा तेल ग्राहक था, जो लगभग 40% रूसी तेल खरीद रहा था।
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भारत की प्रतिक्रिया

भारत ने ट्रंप के दावों और टैरिफ़ को ग़लत करार दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है, 'हमारे तेल आयात बाजार के कई फ़ैक्टरों पर आधारित हैं और 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किए जाते हैं। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि अमेरिका ने उन कार्यों के लिए भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाया, जो कई अन्य देश भी अपने राष्ट्रीय हितों में कर रहे हैं।' भारत ने साफ़ किया कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी ज़रूरी क़दम उठाएगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा, 'हम आर्थिक दबाव के सामने नहीं झुकेंगे। भारत आत्मनिर्भर भारत के मंत्र को अपनाएगा और स्वदेशी सामान खरीदने पर जोर देगा।' उन्होंने भारतीयों से स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने का आह्वान किया।