कंबोडिया और थाईलैंड के बीच सीमा पर चल रहा तनाव रविवार को एक बार फिर भड़क उठा। वह भी तब जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि दोनों देशों ने तत्काल युद्धविराम के लिए सहमति जताई है। ट्रंप ने भारत-पाक युद्ध का ज़िक्र करते हुए चेताया कि युद्ध जारी रहा तो अमेरिका दोनों देशों से व्यापार नहीं करेगा। कंबोडिया और थाईलैंड की ओर से भी युद्धविराम के संकेत मिले थे। तीन दिनों से जारी इस हिंसक संघर्ष में अब तक कम से कम 33 लोगों की मौत हो चुकी है और 1,68,000 से अधिक लोग विस्थापित हो गए हैं। यह दोनों पड़ोसी देशों के बीच एक दशक से अधिक समय में सबसे ज़्यादा खूनी संघर्ष बताया जा रहा है।

यह ताजा विवाद गुरुवार को उस समय शुरू हुआ जब थाईलैंड और कंबोडिया की सेनाओं के बीच सीमा पर गोलीबारी हुई। दोनों देश एक-दूसरे पर पहले गोली चलाने का आरोप लगा रहे हैं। यह विवाद 100 साल से भी पुराने औपनिवेशिक युग के नक्शों को लेकर है, जो दोनों देशों के बीच सीमा निर्धारण को लेकर असहमति का कारण बना हुआ है। प्रीह विहार मंदिर जैसे ऐतिहासिक स्थलों के स्वामित्व को लेकर दोनों देशों के बीच लंबे समय से तनाव रहा है। 1962 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय यानी आईसीजे ने इस मंदिर पर कंबोडिया का दावा स्वीकार किया था, जिसे थाईलैंड ने कभी पूरी तरह स्वीकार नहीं किया।
तनाव मई में उस समय और बढ़ गया था जब गोलीबारी की एक घटना में एक कंबोडियाई सैनिक की मौत हो गई। इसके बाद दोनों देशों ने सीमा पर अपनी सैन्य तैनाती बढ़ा दी। थाईलैंड ने दावा किया कि उसके पांच सैनिक बारूदी सुरंग विस्फोट में घायल हुए, जिसके लिए उसने कंबोडिया को जिम्मेदार ठहराया। कंबोडिया ने इन आरोपों को खारिज करते हुए थाईलैंड पर सुनियोजित आक्रामकता का आरोप लगाया।

हिंसा कैसे बढ़ी

शनिवार को हिंसा तब बढ़ गई जब थाईलैंड के तटीय प्रांत त्रात और कंबोडिया के पुरसत प्रांत में पहली बार झड़पें हुईं। कंबोडिया के रक्षा मंत्रालय ने थाईलैंड पर पांच भारी तोपखाने के गोले दागने का आरोप लगाया। इसे उसने सुनियोजित हमला करार दिया। दूसरी ओर, थाईलैंड ने दावा किया कि उसकी नौसेना ने कंबोडिया की "घुसपैठ" को सफलतापूर्वक खदेड़ दिया।
इस संघर्ष में अब तक थाईलैंड में 13 नागरिकों और सात सैनिकों सहित 20 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कंबोडिया में आठ नागरिकों और पांच सैनिकों की मौत की खबर है। 

थाईलैंड के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 1,38,000 से अधिक लोग सीमावर्ती क्षेत्रों से विस्थापित हुए हैं। ये लोग मंदिरों, स्कूलों और सामुदायिक केंद्रों में शरण ले रहे हैं। कंबोडिया में 37,635 लोग सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने को मजबूर हुए हैं।

ट्रंप की मध्यस्थता का दावा

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर दावा किया कि उन्होंने कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन मानेट और थाईलैंड के कार्यवाहक प्रधानमंत्री फुमथाम वेचायाचाई से बात की है। ट्रंप ने कहा कि दोनों देश 'तत्काल युद्धविराम और शांति' चाहते हैं और उन्होंने सहमति जताई है कि वे जल्द ही मुलाकात करेंगे ताकि युद्धविराम को लागू किया जा सके।

ट्रंप की पोस्ट

ट्रंप ने यह भी कहा कि अमेरिका दोनों देशों के साथ व्यापारिक समझौतों पर बातचीत कर रहा है, लेकिन उन्होंने चेतावनी दी कि जब तक लड़ाई बंद नहीं होती, वह कोई व्यापारिक सौदा नहीं करेंगे। उन्होंने लिखा, 'हम दोनों देशों के साथ व्यापार पर बात कर रहे हैं, लेकिन अगर वे आपस में लड़ रहे हैं तो कोई सौदा नहीं होगा।' ट्रंप ने इस संघर्ष की तुलना भारत-पाकिस्तान के हालिया तनाव से भी की, जिसे उन्होंने दावा किया कि उनकी मध्यस्थता से हल किया गया था। हालाँकि भारत ने इस दावे को खारिज किया था।

थाईलैंड, कंबोडिया क्या बोले?

थाईलैंड के कार्यवाहक प्रधानमंत्री फुमथाम ने फेसबुक पर एक पोस्ट में ट्रंप की मध्यस्थता की सराहना की और कहा कि थाईलैंड 'सैद्धांतिक रूप से युद्धविराम के लिए सहमत' है, लेकिन उन्होंने कंबोडिया से ईमानदारी दिखाने की मांग की। उन्होंने ट्रंप से अनुरोध किया कि वे कंबोडिया को द्विपक्षीय वार्ता के लिए तत्काल तैयार होने का संदेश दें।
दूसरी ओर, कंबोडिया ने शुक्रवार को मलेशिया द्वारा प्रस्तावित युद्धविराम को स्वीकार कर लिया था, लेकिन उसने थाईलैंड पर इसका उल्लंघन करने का आरोप लगाया। कंबोडिया के संयुक्त राष्ट्र राजदूत छिया केओ ने शुक्रवार को न्यूयॉर्क में एक आपातकालीन बैठक में बिना शर्त युद्धविराम की मांग की थी। कंबोडिया ने थाईलैंड पर क्लस्टर म्यूनिशन के उपयोग का भी आरोप लगाया, जो अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत प्रतिबंधित हैं। थाईलैंड ने इन आरोपों का जवाब नहीं दिया है।

यूएन: अधिकतम संयम बरतने की अपील

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दोनों पक्षों से अधिकतम संयम बरतने की अपील की है। आसियान यानी दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रों का संगठन के मौजूदा अध्यक्ष मलेशिया ने मध्यस्थता की पेशकश की है, जिसे कंबोडिया ने स्वीकार किया, लेकिन थाईलैंड ने तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को खारिज करते हुए द्विपक्षीय समाधान पर जोर दिया। चीन ने भी इस घटनाक्रम पर चिंता जताई है, क्योंकि कंबोडिया उसका करीबी सहयोगी है।
मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने दोनों देशों से अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों का पालन करने की मांग की है और क्लस्टर म्यूनिशन के कथित उपयोग की निंदा की है। भारतीय दूतावास ने कंबोडिया में भारतीय नागरिकों के लिए एक यात्रा सलाह जारी की है, जिसमें सीमावर्ती क्षेत्रों से बचने की सलाह दी गई है।

अमेरिका, चीन का क्या इंटरेस्ट?

हालांकि ट्रंप ने युद्धविराम की घोषणा की है, लेकिन दोनों देशों के बीच तनाव और छिटपुट गोलीबारी की खबरें अभी भी सामने आ रही हैं। जानकारों का मानना है कि यह संघर्ष क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा बन सकता है, खासकर तब जब थाईलैंड अमेरिका का लंबे समय से सहयोगी है और कंबोडिया का चीन के साथ गहरा रक्षा संबंध है।

ट्रंप की मध्यस्थता से युद्धविराम की उम्मीदें बढ़ी हैं, लेकिन दोनों पक्षों की ओर से एक-दूसरे पर लगाए जा रहे आरोप और विश्वास की कमी इसे लागू करने में बड़ी चुनौती बन सकती है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजर अब इस बात पर है कि क्या यह युद्धविराम वास्तव में लागू हो पाएगा और क्या यह दशकों पुराने सीमा विवाद का स्थायी समाधान निकाल सकता है।