लेखक पत्रकार हैं, आर्थिक और अंतरराष्ट्रीय विषयों पर लिखते रहते हैं।
ऐसे समय जब पूरी दुनिया में वामपंथ का मर्सिया पढ़ दिया गया है, भारत में दक्षिणपंथी और विभाजनकारी ताक़तें हावी हैं और बीजेपी व नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही है, इसके उलट वामपंथी दलों ने बिहार में ज़बरदस्त चुनावी नतीजे लाकर सबको हैरत में डाल दिया है।
ऐसे समय जब रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनल्ड ट्रंप डोमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडन से लगभग 40 सीटों से पीछे चल रहे हैं और उनका जीतना बेहद मुश्किल हो चुका है, उनकी प्रचार टीम ने पेनसिलविनिया, मिशिगन और विस्कॉन्सिन में अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के अब बस कुछ घंटे ही रह गए हैं। अटकले तेज़ है कि कौन चुनाव जीतेगा। साथ ही एक सवाल उभर कर सामने आ रहा है कि अगर ट्रंप चुनाव हार गये तो क्या वो पूरी शालीनता से पद छोड देंगे?
कई मुसलिम-बहुल राष्ट्रों के तीखे विरोध और निजी हमले के बावजूद अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मुद्दे पर फ़्रांसीसी राष्ट्रपति के अड़े रहने से कई सवाल खड़े होते हैं। क्या यह वाकई यूरोपीय और इसलामी सभ्यताओं का संघर्ष है?
क्या नेपाल एक बार फिर भारत के दबाव में आ गया है या उसने अपने दूरगामी हितों को ध्यान में रख कर सोच-समझ कर यह फ़ैसला किया है कि नक्शे के मामले को बहुत अधिक तूल देने के बजाय भारत को शांत किया जाए?
बिहार में 15 से 29 साल की उम्र के लगभग 27.6 प्रतिशत लोग ही किसी तरह के रोज़गार में है। बिहार को सोचना है कि उसका विधानसभा अनुच्छेद 370 पर काम करेगा या रोज़गार पर।
यहूदी राज्य इज़रायल के अस्तित्व को सिरे से खारिज करने वाले संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन ने न सिर्फ़ उसके वजूद को स्वीकार करने वाला क़रार किया है, बल्कि आर्थिक सहयोग बढ़ाने के कई समझौतों पर दस्तख़त कर सबको हैरत में डाल दिया है।
भारतीय प्रधानमंत्री की अपील को अनसुनी करते हुए ज़्यादा भारतीय अमेरिकी डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडन को वोट दे सकते हैं।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नैशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फ़ारूक़ अब्दुल्ला बुधवार को स्वयं चल कर महबूबा मुफ़्ती के घर उनसे मिलने गए। उनके साथ उनके बेटे और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी थे।
सरकार की नीतियों और फ़ैसलों के लोकतांत्रिक व शांतिपूर्ण विरोध को भी कुचलने का हथियार बन चुके राजद्रोह क़ानून पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मदन लोकुर ने चिंता जता कर इस पर नए सिरे से बहस छेड़ दी है।
राजधानी दिल्ली से सटे दादरी में 5 साल पहले मुहम्मद अख़लाक को गोमांस रखने के आरोप में उग्र भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला था। अब तक अदालत में उस मामले की सुनवाई शुरू नहीं हुई है।
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में सिर्फ एक महीने का समय बचा है और वहाँ के एक बड़े प्रतिष्ठित अख़बार न्युयार्क टाइम्स ने डोनल्ड ट्रंप से जुड़ी एक धमाकेदार और सनसनीखेज ख़बर छाप कर सबको चौंका दिया है।
सीएए-एनआरसी का विरोध करने वाले लोगों को दंगों का अभियुक्त बनाने, उन पर यूएपीए और राजद्रोह का मुकदमा लगाने से कई सवाल खड़े होते हैं। राजनीतिक विरोधियों से राजनीतिक तरीकों से निपटने के बजाय क्या राज सत्ता का दुरुपयोग करते हुए विरोध की आवाज़ को दबाया जा रहा है।
चीन ने भारत ही नहीं, दुनिया के कई देशों को निशाना बनाया है और लाखों लोगों के ख़ुफ़िया डेटा चुराए हैं। उसके निशाने पर समाज के हर वर्ग के लोग हैं, राजनेता से लेकर पॉप सिंगर और सेना प्रमुख से लेकर तस्कर तक।
चीनी कंपनी जेनहुआ डेटा भारत के 10 हज़ार लोगों के ख़ुफ़िया डेटा एकत्रित कर रहा है। इसमें प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, सेना प्रमुख, पूर्व सेना प्रमुख से लेकर उद्योगपति रतन टाटा तक हैं। आखिर उसका मकसद क्या है? क्या यह भारत की सुरक्षा के लिए ख़तरनका है? सत्य हिन्दी पर देखें प्रमोद मल्लिक का विश्लेषण।
क्या चीन पूरी दुनिया के लिये एक बड़ा ख़तरा बन कर उभर रहा है? क्या उसने यह तय कर लिया है कि बहुत जल्दी वह दुनिया की सबसे बड़ी सैनिक शक्ति बन जायेगा और अमेरिका को भी पीछे छोड़ देगा?
सबसे तेज़ वृद्धि दर वाली जीडीपी कुछ ही वर्षों में सबसे निचले स्तर पर पहुँच गई है। विकासशील देशों पर या जी-7 देशों पर नज़र डाली जाए तो साफ दिखता है कि -23.9 प्रतिशत वृद्धि दर के साथ यह स्पेन से भी नीचे जा चुका है।
एक ऐसा आदमी जो मजबूत जनाधार नहीं होने के बावजूद तीन दशक से ज़्यादा समय तक राजनीति में छाया रहा, एक ऐसा आदमी जो दो बार प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गया। क्या है प्रणब मुखर्जी होने का मतलब?
तुर्की के राष्ट्रपति रचप तैयप अर्दवान ख़ुद को पूरी दुनिया के मुसलमानों के ख़लीफ़ा के रूप में स्थापित करना चाहते हैं ताकि दुनिया भर के मुसलमानों पर उनका ही सिक्का चले।
क्या भारत चीन को लद्दाख से सैन्य कार्रवाई कर पीछे धकेल सकता है। यदि युद्ध छिड़ ही गया तो क्या भारतीय सेना पीपल्स लिबरेशन आर्मी पर भारी पड़ेगी?
कश्मीर रियाद के लिए बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण मुद्दा नहीं है। वह इस पर एक सीमा से आगे नहीं जा सकता। पाकिस्तान और सऊदी अरब के हित अलग-अलग हैं और अब उनके रास्ते भी अलग हो रहे हैं।
सऊदी अरब से झटका खा कर मुसलिम जगत में अलग-थलग पड़े पाकिस्तान के एक केंद्रीय मंत्री ने एक बार फिर भारत को परमाणु युद्ध की धमकी दी है।
यह भारतीय कूटनीति और विदेश नीति की विंडबना ही कही जाएगी कि एक-एक कर सभी देशों से भारत के रिश्ते मोदी शासन काल में बिगड़े है।
अमेरिका में नवंबर में होने वाले चुनाव में डेमोक्रेट राष्ट्रपति उम्मीदवार जो बाइडन ने उप राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में कमला देवी हैरिस को मनोनीत किया है।
एशिया में तेज़ी से बदल रहे भौगोलिक-राजनीतिक और सुरक्षा समीकरण में तुर्की नयी ताक़त बन कर उभर रहा है।
श्रीलंका में हुए संसदीय चुनाव में श्री लंका पोडुजना पेरामुना यानी श्री लंका पीपल्स फ्रंट (एसएलपीपी) को दो-तिहाई सीटें मिलीं। क्या है इसका मतलब?