श्रीलंका में हाल ही में हुए संसदीय चुनाव के नतीजों ने कई सवाल तो खड़े किए ही हैं, पूरी दुनिया के चुनावी ट्रेंड को एक बार फिर साबित कर दिया है। पाँच साल पहले आश्चर्यजनक चुनावी कामयाबी हासिल कर पूरी दुनिया को चौंकानी वाली युनाइटेड नेशनल पार्टी को सिर्फ़ एक सीट मिली है। दूसरे कई दल बिल्कुल अप्रासंगिक हो गए, और श्री लंका पोडुजना पेरामुना यानी श्रीलंका पीपल्स फ्रंट (एसएलपीपी) को दो-तिहाई सीटें मिलीं। महिंदा राजपक्षे के नेतृत्व वाली इस पार्टी को 225 में से 145 सीटें मिलने से सवाल यह ख़ड़ा हुआ कि मतदाताओं के इस फ़ैसले की व्याख्या कैसे की जाए।