सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जिस तरह पिछले कुछ समय से पाकिस्तान से हाथ खींचने लगे हैं और कश्मीर के मुद्दे पर उसके साथ कदम से कदम मिला कर चलने से इनकार कर रहे हैं, उससे कुछ लोगों को ताज्जुब हो रहा है। पर यह ताज्जुब की बात इसलिए नहीं है कि रियाद अब भविष्य की आर्थिक स्थिति पर सोच रहा है, वह तेल-आधारित अर्थव्यवस्था से बाहर निकल कर समानान्तर अर्थव्यवस्था विकसित करना चाहता है और इसमें उसे फ़ायदा भारत के साथ रहने में है, पाकिस्तान के साथ नहीं है।