पाँच राज्यों के चुनाव घोषित होते ही मीडिया महोत्सव शुरू हो गया है। कहा जा रहा है कि ये चुनाव 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों का सेमीफाइनल हैं और बीजेपी, कांग्रेस समेत उन सभी राजनीतिक दलों, जो इन चुनावों में मैदान में हैं, की अग्निपरीक्षा इन चुनावों में होगी। लेकिन वास्तविकता ये है कि ये चुनाव राजनीतिक दलों के लिए नहीं बल्कि आम जनता या मतदाताओं की अग्निपरीक्षा साबित होने जा रहे हैं। क्योंकि इन चुनावों के नतीजे ही मतदाताओं के मानस का पैमाना होंगे और उनके अनुसार ही देश की भावी राजनीतिक दिशा, दशा और उसके मुद्दे तय होंगे जो अगले लोकसभा चुनावों की भूमिका तैयार करेंगे।
पाँच राज्यों के चुनाव : मोदी की लोकप्रियता की अग्निपरीक्षा है!
- विश्लेषण
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- 11 Jan, 2022

ये चुनाव राजनीतिक दलों से ज़्यादा आम जनता और मतदाताओं की अग्निपरीक्षा हैं कि उन्हें कौन से मुद्दे पसंद हैं और वह कैसा जनादेश देते हैं। क्या उत्तर प्रदेश में महंगाई, बेरोजगारी, महिला सुरक्षा, महिला सशक्तीकरण, कोरोना कुप्रबंधन मुद्दा बनेगा या विकास परियोजनाओं की घोषणाएँ, शिलान्यास, मुसलिम माफियों से कानून व्यवस्था बिगड़ने के डर और मंदिर-मसजिद?
बिहार और पश्चिम बंगाल की तरह ये विधानसभा चुनाव भी कोरोना महामारी के संक्रमण की छाया में हो रहे हैं। बिहार के चुनाव कोरोना की पहली लहर के उतार के दौर में हुए थे, जबकि पश्चिम बंगाल, असम और तमिलनाडु के चुनाव कोरोना की दूसरी लहर के चरम दौर में हुए जब पूरे देश में कोरोना संक्रमण से होने वाली मौतों और इलाज की अफरातफरी से लोग जूझ रहे थे। अब पांच राज्यों के चुनाव कोरोना की तीसरी लहर के उस शुरुआती दौर में शुरू हुए हैं जब आशंका है कि अगर ज़रूरी क़दम न उठाए गए तो तीसरी लहर भी भयावह हो सकती है। इसीलिए इस बार पहले से सबक़ लेकर चुनाव आयोग ने कोरोना प्रतिबंधों के सख्ती से पालन करने का संदेश और निर्देश राजनीतिक दलों और लोगों को दिया।