उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव की जगह अब सिर्फ़ मलबा और तबाही का मंज़र हैं। 5 अगस्त 2025 को दोपहर 1:45 बजे, महज 34 सेकंड में खीर गंगा नदी में आई बाढ़ ने धराली को निगल लिया। पाँच लोगों की मौत की ख़बर है और सौ से ज्यादा लापता हैं। दर्जनों घर, होटल, होमस्टे पानी और मलबे की चपेट में बह गये। वजह बादल फटना बताया गया है। बीते कुछ सालों से उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में बादल फटने की घटनायें बार-बार हो रही हैं, और हर बार यह सवाल उठता है क्या विकास के नाम पर विनाश-लीला को आमंत्रित किया जा रहा है?
उत्तराखंड और हिमाचल में बार-बार बादल फटने के पीछे विनाशकारी विकास!
- विश्लेषण
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- 6 Aug, 2025


उत्तरकाशी में मंगलवार को बादल फटा
उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में बार-बार हो रहे बादल फटने की घटनाओं के पीछे क्या मानवीय कारण हैं? पढ़िए, इसकी असल वजहें क्या क्या हैं।
बादल फटना कोई गुब्बारा फटने जैसी घटना नहीं है। यह एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जिसे अंग्रेजी में क्लाउडबर्स्ट कहते हैं। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, यदि 20-30 वर्ग किलोमीटर के छोटे क्षेत्र में एक घंटे में 100 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश हो, तो इसे बादल फटना कहते हैं। यह बारिश इतनी तीव्र होती है कि नदियाँ उफान पर आ जाती हैं, भूस्खलन शुरू हो जाते हैं, और बस्तियाँ तबाह हो जाती हैं। खास तौर पर पहाड़ी इलाकों में, जैसे उत्तराखंड और हिमाचल में, यह घटना ज्यादा होती है।















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