Delhi Air Pollution Latest: दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण चरम पर है। इस बार पंजाब-हरियाणा से पराली जलाने की सूचनाएं पिछले वर्षों जैसी नहीं हैं, इसके बावजूद राष्ट्रीय राजधानी में स्मोग छाया हुआ है जो प्रदूषण की खास वजह है। ऐसा क्यों हो रहा हैः
दिल्ली एनसीआर में हवा ज़हरीली होती जा रही है।
दिल्ली फिर गैस चैंबर बन गई है। हवा में ज़हर इतना कि साँस लेना भी खतरे से खाली नहीं। शनिवार सुबह राजधानी का एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी AQI 355 दर्ज किया गया, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है। दिल्ली के कई इलाकों और एनसीआर में भी हालात बुरे हैं। कुछ स्वतंत्र मॉनिटरिंग एजेंसियों के मुताबिक, कल दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 727 तक था, लेकिन सरकारी एजेंसी CPCB के आँकड़ों में यह स्तर 312 दर्ज किया गया, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है। इस वजह से अस्पतालों में मरीजों की भीड़ बढ़ रही है, लेकिन सरकार अब भी खामोश है।
दिल्ली में दफ्तरों का समय बदला
दिल्ली की ज़हरीली हवा की वजह से दिल्ली में सरकारी दफ्तरों के खुलने और बंद होने का समय बदल दिया गया है। इसकी घोषणा मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने की है। सर्दियों के मौसम के लिए प्रस्तावित नए समय हैं: दिल्ली सरकार के कार्यालय सुबह 10:00 बजे से शाम 6:30 बजे तक
दिल्ली नगर निगम के कार्यालय सुबह 8:30 बजे से शाम 5:00 बजे तक खुलेंगे। यह व्यवस्था 15 फरवरी, 2026 तक लागू रहेगी।
इस साल अभी तक 10 सबसे प्रदूषित शहर
भारत में सबसे खराब AQI वाले शहर
दिल्ली प्रदूषण चार्ट में सबसे ऊपर बना हुआ है। ITO पर सुबह 8 बजे तक AQI 373 दर्ज किया गया, और मुंडका में 363 दर्ज किया गया। दोनों ही "बेहद खराब" श्रेणी में आते हैं, जो स्वस्थ व्यक्तियों को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। CPCB के अनुसार, दिल्ली का एक और हॉटस्पॉट, आनंद विहार भी 352 AQI के साथ सबसे खराब स्थानों में से एक है।
- गाजियाबाद में, वसुंधरा क्षेत्र में 353 AQI दर्ज किया गया, जो सबसे प्रदूषित स्थानों में से एक है।
नोएडा का सेक्टर 62 309 के साथ दूसरे स्थान पर है। यूपी में ही हापुड़ और बागपत के नाम भी इसमें शामिल हैं। हरियाणा के पानीपत में भी हवा बेहद खराब रही, जहाँ सेक्टर 18 में एक्यूआई 310 दर्ज किया गया।
जींद के पुलिस लाइन इलाके में एक्यूआई 294 दर्ज किया गया।
फतेहाबाद के हुडा सेक्टर में 292 दर्ज किया गया, जो पूरे हरियाणा में खराब स्थिति को बता रहा है।
पंचकूला के सेक्टर 6 में 268 दर्ज किया गया।
सिरसा के एफ ब्लॉक में एक्यूआई 225 दर्ज किया गया, जिसे "खराब" श्रेणी में रखा गया है।
दिल्ली एनसीआर का पुराना दुश्मन
नई दिल्ली की हवा हर साल सर्दियों में एक घातक स्मॉग में बदल जाती है, जो न केवल सांस लेना मुश्किल बना देती है, बल्कि स्वास्थ्य पर गहरा असर डालती है। दिल्ली की हवा में वाहन और उद्योगों से उड़ने वाले प्रदूषित कण दिल्ली एनसीआर के लिए बहुत हद तक जिम्मेदार है। इस बार सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली पर ग्रीन पटाखे फोड़ने को कहा था लेकिन कुछ लोग माने नहीं और उन्होंने इसकी आड़ में उन परंपरागत पटाखों को फोड़ा, जिनकी वजह से नवंबर में अक्सर प्रदूषण फैलता है। इस बार पंजाब-हरियाणा से पराली जाने की घटनाएं पहले के मुकाबले कम रिपोर्ट की जा रही हैं लेकिन इसके बावजूद दिल्ली एनसीआर की हवा ज़हरीली बनी हुई है।
दिल्ली की भौगोलिक स्थिति भी कम ज़िम्मेदार नहीं
दिल्ली की हवा का संकट केवल मानवीय गतिविधियों का नतीजा नहीं है, बल्कि शहर की भौगोलिक स्थिति इसे और गंभीर बनाती है। दिल्ली अरावली पर्वतमालाओं से घिरी एक कटोरी जैसी टोपोग्राफी में बसी है, जो प्रदूषकों को बाहर निकलने से रोकती है। सर्दियों में तापमान इनवर्शन (जब ठंडी हवा गर्म हवा के नीचे फंस जाती है) एक ढक्कन की तरह काम करता है, जिससे स्मॉग फैलने के बजाय जमीन के करीब रह जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि कम हवा की गति और शुष्क मौसम इस समस्या को और बढ़ाते हैं।2025 में यह संकट और गहरा हो गया है। दिवाली के बाद दिल्ली की हवा लगातार 'गंभीर' श्रेणी में बनी हुई है। जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) कई इलाकों में 500 से ऊपर रहा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, स्वस्थ स्तर 50 से नीचे होना चाहिए, लेकिन यहां PM2.5 कणों का स्तर 1,800 तक पहुंच गया, जो सुरक्षित सीमा से 15-20 गुना ज्यादा है। नवंबर 2025 तक, 8 नवंबर को नई दिल्ली का AQI 271 (गंभीर) दर्ज किया गया।
दिल्ली में राजनीति ज्यादा, बुनियादी जरूरतों पर बात नहीं
राजधानी में बीजेपी की सरकार है। बीजेपी जब विपक्ष में थी तो वो पिछली केजरीवाल सरकार को प्रदूषण का जिम्मेदार मानती थी। लेकिन स्थिति बदल गई। अब बीजेपी सत्ता में है और जिम्मेदारी से भाग रही है। बीजेपी ने समस्या को कम बताने के लिए छठ त्यौहार के दौरान बनावटी यमुना बना दी, ताकि उसमें पीएम मोदी पूजा कर सकें। लेकिन मामला उठने पर पीएम मोदी ने अपने कदम पीछे खींच लिया। दिल्ली सरकार ने राजधानी में कृत्रिम बारिश कराने की कोशिश की। कई करोड़ खर्च के के बावजूद बारिश नहीं हुई।