दिल्ली-एनसीआर में हर तरफ़ धुआँ-धुआँ सा है। धुआँ क्या, पूरा का पूरा ज़हर सा है। दीपावली के एक दिन बाद जैसी स्थिति थी उसके अगले दिन यह और ख़राब हो गई। इस स्तर तक ख़राब कि यह जानलेवा हो गई है। लेकिन इसकी फ़िक्र किसे! न तो पटाखे जलने बंद हुए और न ही पराली। और सरकारी प्रयास तो पूरे 'चुनावी मोड' में हैं!