दिल्ली-एनसीआर में हर तरफ़ धुआँ-धुआँ सा है। धुआँ क्या, पूरा का पूरा ज़हर सा है। दीपावली के एक दिन बाद जैसी स्थिति थी उसके अगले दिन यह और ख़राब हो गई। इस स्तर तक ख़राब कि यह जानलेवा हो गई है। लेकिन इसकी फ़िक्र किसे! न तो पटाखे जलने बंद हुए और न ही पराली। और सरकारी प्रयास तो पूरे 'चुनावी मोड' में हैं!
दिल्ली-एनसीआर में हवा जानलेवा स्तर तक ख़राब क्यों?
- दिल्ली
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- 15 Nov, 2019
दिल्ली-एनसीआर में हर तरफ़ धुआँ-धुआँ सा है। धुआँ क्या, पूरा का पूरा ज़हर सा है। दीपावली के एक दिन बाद जैसी स्थिति थी उसके अगले दिन यह और ख़राब हो गई। इस स्तर तक ख़राब कि यह जानलेवा हो गई है।

इस मौसम में पहली बार वायु प्रदूषण का स्तर सीवियर यानी गंभीर हो गया है। दिल्ली में बुधवार को शाम पाँच बजे हवा की गुणवत्ता यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) औसत रूप से 419 तक पहुँच गया। उससे एक दिन पहले यानी मंगलवार को यह 400 तक था। 201 से 300 के बीच एक्यूआई को ‘ख़राब’, 301 और 400 के बीच ‘बहुत ख़राब’ और 401 और 500 के बीच होने पर उसे ‘गंभीर’ माना जाता है। एयर क्वॉलिटी इंडेक्स से हवा में मौजूद 'पीएम 2.5', 'पीएम 10', सल्फ़र डाई ऑक्साइड और अन्य प्रदूषण के कणों का पता चलता है। पीएम यानी पर्टिकुलेट मैटर वातावरण में मौजूद बहुत छोटे कण होते हैं जिन्हें आप साधारण आँखों से नहीं देख सकते। 'पीएम10' मोटे कण होते हैं।