अगस्त के एक उमस भरे दिन में देशभर से पर्यटक साबरमती नदी के पास स्थित गांधी आश्रम में आये हुए हैं। जैसे ही वे आश्रम के कच्चे-पक्के रास्तों को पार करते हुए आगे बढ़ते हैं, हृदय कुंज तक पहुंचने पर उनकी चाल अचानक धीमी हो जाती है। ये वही जगह है जहां गांधी कस्तूरबा के साथ रहा करते थे। कई लोग ह्रदय कुंज के बरामदे में लेटे हैं, अन्य लोग खंभों या दीवारों के सहारे बैठ जाते हैं और आसपास की शांति का अनुभव करते हैं। लेकिन सिर्फ महीने भर पहले, सरकार ने 55 एकड़ साबरमती आश्रम परिसर को ‘विश्वस्तरीय पर्यटक आकर्षण’ केंद्र बनाने के लिए 1,246 करोड़ रुपये की एक भव्य लेकिन विवादास्पद योजना को मंजूरी दी। कई लोग जो दशकों से यहां काम कर रहे हैं और रह रहे हैं, उन्हें अब डर है कि आश्रम और उसके आस पास का इलाक़ा हमेशा के लिए बदल जाएगा।
तो रिसार्ट में बदल देंगे साबरमती आश्रम को?
- गुजरात
- |
- |
- 7 Sep, 2021

महात्मा गांधी से जुड़े साबरमती आश्रम का पुनर्विकास किया जाएगा। आख़िर यह जीर्णोद्धार किस तरह का होगा? लोग क्यों आशंका जता रहे हैं कि कहीं इसका जीर्णोद्धार जलियांवाला बाग की तरह तो नहीं होगा?
गांधी आश्रम, जो स्वतंत्रता आंदोलन के मुख्य केंद्रों में से एक रहा है, को मूलरूप से सत्याग्रह आश्रम कहा जाता था। महात्मा गांधी ने 1917 और 1930 के बीच अपने जीवन के 15 वर्ष बिताए और फिर दांडी के ऐतिहासिक नमक मार्च के लिए रवाना हुए।