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कोरोना मानव-निर्मित वायरस, वुहान लैब से लीक हुआ: वैज्ञानिक

कोरोना वायरस पर एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है! जिस कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया और जिसकी वजह से इसे सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक बताया जा रहा है, वह क्या मानव निर्मित था? कम से कम वुहान लैब में काम करने वाले एक वैज्ञानिक ने तो ऐसा ही दावा किया है। न्यूयॉर्क पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार उस वैज्ञानिक ने दावा किया है कि मानव निर्मित वह वायरस वुहान लैब से लीक हुआ था।

वह वुहान लैब चीन के वुहान शहर में है। यह वही शहर है जहाँ सबसे पहली बार वायरस बेहद तेज़ी से फैला था। पहली बार यह वायरस जब चीन के वुहान शहर में 2019 के दिसंबर महीने में आया तो विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ का कहना था कि यह एक नया वायरस है। चीन के हुएई प्रांत के वुहान शहर में न्यूमोनिया के कई केस आने के बारे में डब्ल्यूएचओ को 31 दिसंबर 2019 को जानकारी दी गई थी। यह वायरस अलग तरह का वायरस था। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार क़रीब एक हफ़्ते बाद 7 जनवरी को उसे बताया गया कि चीन के अधिकारियों ने एक नये वायरस की पहचान की। यह नया वायरस कोरोना वायरस था।

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इसके बाद वुहान शहर कोरोना का केंद्र बन गया। लेकिन मार्च-अप्रैल आते-आते वहाँ यह वायरस पूरी तरह नियंत्रण में हो गया, लेकिन दुनिया के दूसरे शहर इसकी गंभीर चपेट में भी आ गए।

बहरहाल, इसी वुहान में एक विवादास्पद अनुसंधान प्रयोगशाला में काम करने वाले एक अमेरिकी वैज्ञानिक ने कहा है कि कोविड-19 एक 'मानव निर्मित वायरस' था जो वहाँ से लीक हुआ था। न्यूयॉर्क पोस्ट ने ब्रिटिश समाचार पत्र द सन में उस शोधकर्ता एंड्रयू हफ के बयान के हवाले से कहा है कि दो साल पहले वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी से कोविड लीक हो गया था।

रिपोर्ट के अनुसार महामारी विज्ञानी हफ ने अपनी ताज़ा पुस्तक, 'द ट्रुथ अबाउट वुहान' में दावा किया है कि कोरोना महामारी ख़तरनाक जेनेटिक इंजीनियरिंग का परिणाम थी। जिस लैब में यह सब शोध हो रहा था उसका बड़ी मात्रा में वित्त पोषण अमेरिकी सरकार कर रही थी। हफ की पुस्तक के अंश यूके स्थित टैब्लॉइड द सन में छपे हैं।
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न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, हफ न्यूयॉर्क में स्थित एक गैर-लाभकारी संगठन, इकोहेल्थ एलायंस के पूर्व उपाध्यक्ष हैं, जो संक्रामक रोगों का अध्ययन करते हैं।

हफ ने अपनी पुस्तक में दावा किया है कि अपर्याप्त सुरक्षा के साथ शोध को किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप वायरस वुहान लैब से लीक हुआ। 

वैज्ञानिक ने अपनी किताब में लिखा है कि ईकोहेल्थ एलायंस और उस विदेशी प्रयोगशाला के पास उचित जैव सुरक्षा, बॉयो सिक्योरिटी और रिस्क मैनेजमेंट के लिए पर्याप्त नियंत्रण के उपाय नहीं थे।

एएनआई ने मीडिया रिपोर्टों के हवाले से लिखा है कि एक दशक से अधिक समय से नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ यानी एनआईएस से फंडिंग के साथ संगठन चमगादड़ों में कई कोरोना वायरस का अध्ययन कर रहा है और उसने वुहान लैब से घनिष्ठ संबंध बनाए हैं। एनआईएच संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार की प्राथमिक एजेंसी है जो बायोमेडिकल और सार्वजनिक स्वास्थ्य अनुसंधान के लिए जिम्मेदार है। हफ ने 2014 से 2016 तक इकोहेल्थ एलायंस में काम किया था। उन्होंने कहा है कि इसने कई वर्षों तक वुहान लैब की सहायता की।

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बता दें कि पहले वुहान लैब से कोरोना वायरस के लीक होने को लेकर शुरू से ही बहस होती रही है। चीनी सरकारी अधिकारियों और प्रयोगशाला में काम करने वालों ने इस बात से इनकार किया है कि वायरस वहाँ उत्पन्न हुआ। कोरोना महामारी की शुरुआत से ही अमेरिकी प्रशासन इस वायरस के लीक होने का ठीकरा चीन पर फोड़ता रहा है। हालांकि, चीन ने हमेशा ही इन आरोपों का खंडन किया है। जर्नल साइंस में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया था कि चीन के वुहान में एक एनिमल मार्केट यानी पशु बाजार कोविड महामारी का केंद्र था। दूसरे शोध में वायरस के शुरुआती विकास का अध्ययन करने के लिए शुरुआती मामलों के जीनोमिक डेटा की जाँच की गई। इसमें यह निष्कर्ष निकला कि नवंबर 2019 से पहले मनुष्यों में कोरोना वायरस की संभावना नहीं थी।
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क़मर वहीद नक़वी
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